माया मन से जब छूटे तो कृष्ण मिलता है ।
मन में बस कृष्ण की स्मृति हो तो कृष्ण मिलता है ।
करते हैं वे जब कृपा तो कृष्ण मिलता है ।
हर क्षण में उनके चरणों का अनुभव हो तो कृष्ण मिलता है ।
उनके अस्तित्व से पूरी सृष्टि के बदलने का अनुभव हो तो कृष्ण मिलता है ॥ १ ॥
वे (टीप १) हर क्षण में बसते हैं ।
वे हर मन में बसते हैं ।
वे हर स्थिति में बसते हैं ।
वे हर श्वास में बसते हैं ॥ २ ॥
मेरे कृष्ण, आपकी बहुत याद आती है ।
आप कहां हैं, मेरे नेत्र आपके दरस के प्यासे हैं ।
गुरुरूप में आके आप दरसन दीजिए न कृष्णा ।
ये मन आपकी विरह की व्याकुलता आज बहुत समय बाद अनुभव कर रहा है ।
इसे मिलन का आनंद दीजिए न कृष्णा ।
शीघ्र आके आपके कृष्णानंद में डूबो दीजिए न कृष्णा ॥ ३ ॥
टीप १ – परात्पर गुरु डॉ. आठवले
– कृष्ण की होने के लिए तड़प रही,
कु. कृतिका खत्री, देहली (२९.७.२०१५)
या कवितेत प्रसिद्ध करण्यात आलेल्या अनुभूती या ‘भाव तेथे देव’ या उक्तीनुसार साधकांच्या वैयक्तिक अनुभूती आहेत. त्या सरसकट सर्वांनाच येतील असे नाही. – संपादक