शिवरात्रि पर जन्म होने के कारण ।
उस शिव अंश को नाम मिला ‘शंभू’ ॥ १ ॥
भूत, भविष्य की चिंता न कर ।
वर्तमान में रहकर गुरु चरणों में लीन होने के करते वे प्रयास ॥ २ ॥
नेतृत्व, सीखने की वृत्ति आदि के कारण,
गुरुकृपा पाने का करते वे प्रयास ।
निर्मल भाव के कारण,
सहजता से तत्त्वनिष्ठ रहने का करते वे प्रयास ॥ ३ ॥
श्रद्धा, भाव और धैर्य, इन ईश्वरीय गुणों के कारण ।
दूर-दूर के राज्यों में कभी अकेले रहकर
अध्यात्म का करते वे प्रसार ॥ ४ ॥
साधकों के प्रति होनेवाले प्रेमभाव के कारण ।
गुरुचरणों से एकरूप होने हेतु उनकी भी करते वे सहायता ॥ ५ ॥
पूर्णकालीन होने के उपरांत अपनी ध्येयनिष्ठा के बल पर ।
एक वर्ष में ही गुरुदेवजी का मन
जीतने के किए प्रयास (टिप्पणी १) ॥ ६ ॥
जन्मदिन के इस शुभ अवसर पर
श्रीगुरुचरणों में अब यही है प्रार्थना ।
शंभू भैया शीघ्रातिशीघ्र संत पद पर हों विराजमान !
टिप्पणी १ : ६१ प्रतिशत अध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया
– कु. वर्षा जबडे, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (१४.२.२०२०)