विश्‍व गुरु भारत बन जागे ।

भारत में अवतारी होगा, जो अति विस्मयकारी होगा ।
ज्ञानी और विज्ञानी होगा, वो अद्भुत सेनानी होगा ।

जीते जी कई बार मरेगा, छद्म वेश में जो विचरेगा (टीप १) ।
देश बचाने के लिए होगा आव्हान,
युग परिवर्तन के लिए चले प्रबल तूफान ।

तीनों ओर से होगा हमला, देश के अंदर द्रोही घपला ।
सभी तरफ कोहराम मचेगा, कैसे हिन्दुस्तान बचेगा ।

नेता मंत्री और अधिकारी, जान बचाना होगा भारी ।
छोड मैदान सब भागेंगे, सब अपने-अपने घर दुबकेंगे (टीप २) ।

जिन-जिन भारत मात सताई, जिसने उसकी करी लुटाई ।
ढूंढ-ढूंढ कर बदला लेगा, सब हिसाब चुकता कर देगा ।
चीन अरब की धुरी बनेगी,
विध्वंसक ताकत उभरेगी (टीप ३), घाटे में होंगे ईसाई ।
इटली में कोहराम मचेगा, लंदन सागर में डूबेगा ।

युद्ध तीसरा प्रलयंकारी,
जो होगा भारी संहारी, भारत होगा विश्‍व का नेता ।
दुनिया का कार्यालय होगा, भारत में न्यायालय होगा ।

तब सतयुग दर्शन आएगा, संत राज सुख बरसाएगा ।
सहस्र वर्ष तक सतयुग लागे, विश्‍व गुरु भारत बन जागे ।

टीप १ – विचरेगा : विचरण

टीप २ – दुबकेंगे : लपणार

टीप ३ – चीन अरब की धुरी बनेगी,

विध्वंसक ताकत उभरेगी : दोघे मिळून विध्वंस घडवणार

(संदर्भ : संत रविदास जी की पोथी)

प्रेषक : श्री. विजय अनंत आठवले