गुरुदेव, हिन्दू राष्ट्र लाने में आपने सहयोग दे दिया ।

पू. (श्रीमती) राधा प्रभुआजी

जय हो, जय हो, जय हो, जय हो, जय हो, हे गुरुदेव ।
शरणु आपके चरण पर, हो गए गुरुदेव ।। धृ. ।।

साधना का मार्ग आपने हमें दिखा दिया ।
ज्ञान ज्योति का प्रकाश आपने डाल दिया ।
चित्त से दोष और अहं आपने हटा दिया ।। शरणु ।। १ ।।

साधकों को संस्कार दिया । शिष्य कर दिया ।
दाता आपने शिष्य को संत बना दिया ।
आगे चलकर संत, सद्गुरु हो गया ।। शरणु ।। २ ।।

जयंत अवतार लेकर सारे विश्व का ।
सूत्र दोनों हाथों में आपने पकड लिया ।
ज्ञानगुरु, मोक्षगुरु पद ले लिया ।। शरणु ।। ३ ।।

दोनों सद्गुरुओं को आपने अपना पद दिया ।
एक खुद के क्षेत्र और दूसरी तीर्थक्षेत्र पर ।
हिन्दू राष्ट्र लाने में सहयोग दे दिया ।। शरणु ।। ४ ।।

– (पू.) श्रीमती राधा प्रभु, मंगळुरू, कर्नाटक. (२३.७.२०२१, गुरुपौर्णिमा)

• येथे प्रसिद्ध करण्यात आलेल्या अनुभूती या ‘भाव तेथे देव’ या उक्तीनुसार संतांच्या वैयक्तिक अनुभूती आहेत. त्या सरसकट सर्वांनाच येतील असे नाही. – संपादक