‘सनातनचे ४६ वे (समष्टी) संत पू. भगवंत कुमार मेनराय (वय ८५ वर्षे) यांनी देहत्याग केल्याचे समजल्यावर सुचलेले काव्य येथे दिले आहे. ‘या काव्याच्या माध्यमातून त्यांच्या पावन चरणी आमचा नमस्कार पोचावा’, ही श्री गुरुचरणी प्रार्थना !
भगवन्नाम के जप में ।
मंत्रों के सस्वर उच्चारो में ।। १ ।।
आंखों से बहती अश्रु की धार में ।
मन में उठती यादों के मोहजाल में ।। २ ।।
हुई आत्मा की परमात्मा से सगाई ।
जब बेटी ने की संत-पिता की विदाई ।। ३ ।।
हाथ थामकर चलना सिखाया ।
मन थामकर जप करना सिखाया ।। ४ ।।
जीवन-संघर्ष में दी प्रेरणा ।
लगन से सेवा करने की शिक्षा ।। ५।।
जीवन की ऊंच-नीच समझाई ।
पिताजी, आपने साधना की नींव बनाई ।। ६ ।।
उच्चलोक में अब आप आनंद से रहेंगे ।
स्वयं शिव बनकर शिव को भजेंगे ।। ७ ।।
साधना-यात्रा के लिए हमें आशीष देना ।
गुरुचरणों में हमें भी है जीवन सौंपना ।। ८ ।।
श्रीगुरु ही अब हमारे माता-पिता, भाई ।
कर दी हमने अपने संत-पिता की विदाई ।। ९ ।।
– कु. निधि देशमुख, फोंडा, गोवा. (५.६.२०२४)