सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे यांच्या चरणी कु. मनीषा माहुर यांनी अर्पण केलेले काव्यपुष्प येथे देत आहोत.
गुरुदेवजी की कृपा से मिली सद्गुरु की कृपा अनमोल ।
सद्गुरु की कृपा छत्रसे हो जाती है हर परिस्थिति अनुकूल ।। १ ।।
आप अनुकूलता में कृपा और प्रतिकूलता में परम कृपा ।
अनुभव करना सिखाकर श्रद्धा दृढ करते हैं ।
कभी पिता बनकर सभी का ध्यान रखते हैं ।। २ ।।
कभी अपनी प्रीति से हमें गुरुरूप का अनुभव कराते हैं ।
आपमें ही भगवान के सभी रूप दिखते हैं ।। ३ ।।
शयन करते समय शेषनाग पर शयन मुद्रा में श्रीविष्णु लगते हैं ।
साधकों के साथ विनोद करते समय बाल कृष्ण लगते हैं ।। ४ ।।
दही चीनी खाते समय बाल मुकुंद के दर्शन होते हैं ।
साधकों के साथ बात करते समय लीलाधर बांसुरीवाले श्रीकृष्ण ही दिखते हैं ।। ५ ।।
व्यासपीठ पर संबोधित करते समय मुखमंडल पर ब्राह्मतेज और क्षात्रतेज दिखता है ।
जैसे की धर्म संस्थापना के देवता जगद्गुरु भगवान कृष्ण ही सुदर्शन चक्र लिए खडे हैं ।। ६ ।।
भाव भक्ति का ज्ञान अमृत सुनते समय कृष्णमय हुई राधाजी दिखती हैं ।
तीनों मोक्ष गुरु का उल्लेख होते ही शिष्यभाव में आप चले जाते हैं ।। ७ ।।
प्रत्यक्ष साधना अपनी कृति से सिखाते हैं ।
आपके श्रीचरणों में है आर्त प्रार्थना सदैव रहूं ।। ८ ।।
हर क्षण हो समष्टि उत्तम शिष्य बनने का प्रयास, ईश्वर ही ले जाएंगे मोक्ष तक, कभी न छूटे प्रभु का हाथ, गुरुदेव उद्धार करें इस तुच्छ जीव का, यही प्रार्थना अर्पण करते हैं कृतज्ञता के साथ ।
– कु. मनीषा माहुर, देहली सेवाकेंद्र, देहली. (१७.८.२०२३)