आप ही मेरा ध्येय,
और आप ही हैं मार्ग मेरा ।
आज्ञापालन भी आप ही
करवाते हैं, कुछ नहीं है मेरा ।
यह जीवन आपने दिया है
आपके चरणों में
ही अर्पण सारा ।
हे गुरुदेव, फिर मत कहना कि तुम जीते मैं हारा ।। १ ।।
आपके बिना मैं कुछ नहीं, न कुछ अस्तित्व है मेरा ।
बात यदि हार जीत की है, तो निश्चित कर दीजिए हारना मेरा ।
आपके हारने की बात आपके मुख से भी नहीं गवारा ।
हे गुरुदेव, फिर मत कहना कि तुम जीते मैं हारा ।। २ ।।
आपका हर वाक्य, जीवन का ध्येय है मेरा ।
मेरे गुरुदेव कभी हारें, वह क्षण कभी नहीं आएगा ।
मेरे जीवन का प्रकाश हैं आप, नहीं तो है केवल अंधेरा ।
हे गुरुदेव, फिर मत कहना कि तुम जीते मैं हारा ।। ३ ।।
– अधिवक्ता (श्रीमती) अमिता सचदेवा, देहली (१६.३.२०२१)