द्रौपदी की रक्षा हेतु आए भगवान श्रीकृष्ण रूप में ।
हमारे लिए आए श्रीविष्णु श्री जयंत रूप में ।। १ ।।
परम भाग्य हमारा हम आए हैं प्रभुछायामें ।
आध्यात्मिक उन्नति कर आइए अर्पण करें
स्वयं को प्रभुचरणोमें ।। २ ।।
रक्षाबंधन का त्योहार होता है बडा प्यारा ।
हर बहन को अपना भाई लगता अपने जान से प्यारा ।। ३ ।।
इस विशाल परिवार में हम सबके भाई बने श्रीकृष्ण और गुरुदेव ।
हमारे मन में वे बसे, ये रिश्ता है सबसे न्यारा ।। ४ ।।
रक्षाबंधन की सभी कार्यकर्ताओंको हार्दिक शुभकामनाएं एवं सभी गुरुबहनों को भावपूर्ण नमस्कार !’
– श्री शंभू गवारे (आध्यात्मिक पातळी ६४ टक्के), कोलकाता, बंगाल. (२२.८.२०२१)
या लेखात प्रसिद्ध करण्यात आलेल्या अनुभूती या भाव तेथे देव या उक्तीनुसार साधकांच्या वैयक्तिक अनुभूती आहेत. त्या सरसकट सर्वांनाच येतील असे नाही. – संपादक |