सरकारी सहायता प्राप्त मिशनरी स्कूलों में पादरियों तथा ननों को अपने वेतन पर आयकर देना होगा !

 सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, ध्यान दें कि इस प्रकार के ईसाई मिशनरी स्कूल धर्मनिरपेक्षता और लोकतन्त्र की हत्या हैं ,और हत्यारी है कांग्रेस !

Bangladesh Hindu Attacked : बांगलादेश में पिछले ३ माह से हिन्दुओं पर प्रतिदिन हुए ३ आक्रमण !

बांगलादेश की शेख हसीना सरकार हिन्दुओं पर होनेवाले आक्रमण रोकने में असफल 

संविधान में स्थित हिन्दू विरोधी अनुच्छेद २८ और ३० रद्द कीजिए !

‘अनुच्छेद ३०’ के अनुसार मुसलमान और ईसाई शिक्षासंस्थानों को सरकारी सहायता लेकर धार्मिक शिक्षा देने का अधिकार होना; परंतु हिन्दू धर्मियों पर ‘अनुच्छेद २८’ के अनुसार धार्मिक शिक्षा देने पर प्रतिबंध होना

धर्म के आधार पर मुसलमान एवं ईसाईयों को निधि का वितरण करना, यह कौनसी धर्मनिरपेक्षता ? – एम. नागेश्वर राव, भूतपूर्व प्रभारी महासंचालक, सीबीआई

‘‘धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों पर इतनी बडी मात्रा में निधि व्यय करना, इसमें कौनसी धर्मनिरपेक्षता है ? संविधान यदि धर्मनिरपेक्ष है, तो सभी के साथ समान व्यवहार होना चाहिए’’, ऐसा प्रतिपादन सीबीआई के भूतपूर्व प्रभारी महासंचालक श्री. एम. नागेश्वर राव ने किया ।

१२ से १८ जून की अवधि में गोवा में होनेवाले दशम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ के उपलक्ष्य में …

इस्लामी अथवा ईसाई देशों की भांति हिन्दू राष्ट्र कोई संकीर्ण अवधारणा (संकल्पना) नहीं है, अपितु वह विश्वकल्याण का विचार करनेवाली, प्रत्येक नागरिक की लौकिक एवं पारलौकिक उन्नति का विचार करनेवाली एक सत्त्वप्रधान व्यवस्था है ।

असम के अनेक जिलों में हिन्दू ही अल्पसंख्यक बन गए हैं ! – मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा

जिन जिलों में ‘हिन्दू बहुसंख्यक’ नहीं हैं, न्यूनतम उन जिलों में तो हिन्दुओं को ‘अल्पसंख्यक’ घोषित किया जाए । असम में ऐसे अनेक जिले हैं, जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं । उनमें भी कुछ जिलों में हिन्दुओं की संख्या ५ सहस्र से भी अल्प है और वहां मुसलमान बहुसंख्यक हैं ।

देश के ७७५ में से १०२ जिलों में हिन्दू अल्पसंख्यक !

हिन्दुओं को जिलावार अल्पसंख्यक घोषित कर दिया जाए, तो उन्हें अनेक योजनाओं का लाभ मिल सकता है !

भारत यदि ‘हिंदू राष्ट्र’ हुआ, तो अन्य १५ राष्ट्र, ‘हिंदू राष्ट्र’ होने हेतु सिद्ध ! – पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी ने पुनश्च एक बार हिंदू राष्ट्र का पुनरुच्चार किया। उन्होंने कहा कि, उनकी ५२ देशोंके वरिष्ठ प्रतिनिधीयों के साथ ‘ विडीओ कान्फरन्स के माध्यमसे चर्चा हुई।

कोरोना प्रतिबंधक टीके फेंकने के प्रकरण में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का गंभीर दृष्टिकोण !

प्रतिभू (जमानत) आवेदन का विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि २ विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इस प्रकरण की जांच की है । इस जांच में पाया गया कि परिचारिका ने जानबूझकर कोरोना की बहुमूल्य २९ डोस फेंकी है ।

केरल में मुसलमान और ईसाइयों को दिए गए अल्प संख्यक दर्जे पर पुनर्विचार होना चाहिए ! –  केरल उच्च न्यायालय में याचिका

ऐसी याचिका क्यों प्रविष्ट करनी पडती है, सरकार यह स्वयं क्यों नहीं करती ?