SC On Use Of Elephants In Temples : मंदिरों में हाथियों का उपयोग करना हमारी संस्कृति का अंश ! – सर्वोच्च न्यायालय
हिन्दुओं की धार्मिक परंपराओं पर इस प्रकार प्रतिबंध न लगे; इसके लिए हिन्दू राष्ट्र की ही आवश्यकता है !
हिन्दुओं की धार्मिक परंपराओं पर इस प्रकार प्रतिबंध न लगे; इसके लिए हिन्दू राष्ट्र की ही आवश्यकता है !
झारखंड उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध प्रविष्ट याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने उपर्युक्त निर्णय सुनाया।
सर्वोच्च न्यायालय को ऐसे दांभिक एवं झूठे युक्तीवाद को सम्मति देने की अपेक्षा भारतीयों को हलालमुक्त उत्पाद उपलब्ध कराने का निर्णय दें, जनता यही अपेक्षा करती हैं !
वास्तविक, भारत के हिन्दुओं को इस प्रकार न्यायालय में न जाना पड़े इसके लिए केंद्र सरकार ने ही बांग्लादेश के हिन्दुओं की रक्षा के लिए बांग्लादेश पर दबाव डालना चाहिए, यह विश्व के सभी हिन्दुओं की भावना है !
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर समाज के नियमों के विरुद्ध बोलने की किसी को भी अनुमति नहीं है। अगर यह अशलीलता यूट्यूबनहीं है, तो और क्या है? इस व्यक्ति के मन में कुछ गंदा है।
संसद ने कानून बनाया है, इसलिए कानून में परिवर्तन करने अथवा उसे निरस्त करने का अधिकार संसद को है । अत: कानून की घटनात्मकता पर निर्णय करने में न्यायालय का समय लेने की अपेक्षा वास्तव में संसद को ही उसे एकमत से निरस्त करना चाहिए, यही हिन्दू समाज की भावना है !
नगर निगम प्रशासन मंडलों अथवा मूर्तिकारों को पीओपी के पर्याप्त विकल्प उपलब्ध कराए बिना ही ऐसे आदेश जारी कर रहा है । क्या हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार इस ओर ध्यान देगी, जबकि पुणे स्थित सृष्टि इको-रिसर्च इंस्टीट्यूट ने रिपोर्ट दी है कि पीओपी से प्रदूषण नहीं हो रहा है ?
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को लगाई फटकार !
दोषी प्रमाणित नेताओं को केवल ६ वर्षों के लिए चुनाव लडना प्रतिबंधित करना, कोई समझदारी नहीं है । यदि एकाध सरकारी कर्मचारी को दंड मिले, तो वह पूरी उम्र सेवा से हाथ धो लेता है; तो फिर दोषी व्यक्ति संसद में कैसे वापस आ सकता है ?
यह प्रश्न केंद्र के साथ ही देश के प्रत्येक राज्य से पूछना, आवश्यक हैं ! क्योंकि पिछले अनेक दशकों से भारत में घुसपैठ हो रही है तथा उन्हें नियंत्रित कर बाहर धकेलने के प्रयास बडी मात्रा में नहीं हो रहे । यह वस्तुस्थिति कष्टदायक है !