सीएए कानून के विरुद्ध मुस्लिम लीग पहुंची सर्वोच्च न्यायालय
सीएए कानून के विरुद्ध इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका प्रविष्ट की गई है । याचिका द्वारा कानून पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है ।
सीएए कानून के विरुद्ध इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका प्रविष्ट की गई है । याचिका द्वारा कानून पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है ।
विरोध और असंतोष इस तरह व्यक्त किया जाना चाहिए जो लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वीकार्य हो ।
भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष है, तथापि संविधान के प्रथम पन्ने पर प्रभु श्रीरामजी का चित्र है । उनका भी आदर बनाए रखें, ऐसा ही बहुसंख्यक भारतीयों को लगता है !
शेख शाहजहान को सीबीआई के नियंत्रण में देने से तृणमूल कांग्रेस के सभी घोटालों की जानकारी सामने आएगी । इसलिए उसे सौंपने के लिए बंगाल सरकार अस्वीकार कर रही थी । इससे तृणमूल कांग्रेस को लोकतंत्र की कितनी चिंता होगी, यह ध्यान में आता है !
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उदयनिधि को कठोर दंड देना चाहिए, ऐसी सनातन धर्मियों की मांग है !
सर्वोच्च न्यायालय के ७ न्यायमूर्तियों के घटना पीठ ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय दिया है । वर्ष १९९८ में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव द्वारा सरकार की ओर से सांसदों और विधायकों को सभागृह में भाषण देने अथवा मतों के लिए घूस लेने के मामले में उनके विरुद्ध अभियोग चलाने के लिए छूट दी गई थी ।
इसके लिए सरन्यायाधिशों को ही आगे आना चाहिए और उनकी अधिकार कक्षा में परिवर्तन करवा लेने चाहिए, ऐसा ही जनता को लगता है !
‘कुछ ही दिन पूर्व अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के स्थान पर श्रीराममूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा का समारोह संपन्न हुआ । उस विषय में संपूर्ण देश में बहुत बडे स्तर पर आनंदोत्सव मनाया गया । श्रीराम मंदिर हेतु किए गए इस संघर्ष में अनेक लोगों ने अपना योगदान दिया है
सरकारी भूमि पर मस्जिद का निर्माण होने तक सरकार सदैव सोई रहती है; एवं पश्चात कोई पीछे पडे, तब निरुत्साह से कार्यवाही करने के प्रयास करती है । ऐसे प्रशासन के संबंधित अधिकारियों पर भी अब कार्रवाई करना आवश्यक है !
राजनीतिक दलों को अमर्याद धन प्राप्त हो, इसलिए कानून में परिवर्तन करना अनुचित ! – सर्वोच्च न्यायालय