जन्मतः साधना की समझ, प्रगल्भ बुद्धिमत्ता एवं ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कतरास (झारखंड) का चि. श्रीहरि खेमका (आयु ६ वर्ष) !

चूकों के प्रति संवेदनशील, चूकों के प्रति सतर्क रहकर कृति करनेवाला और चूक होने पर प्रायश्चित लेनेवाला चि. श्रीहरि

अल्प आयु में अत्यधिक प्रगल्भ विचारोंवाली फोंडा (गोवा) की ६६ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कु. श्रिया राजंदेकर (आयु १० वर्ष) !

‘प्रत्येक को उनके कर्माें का फल और प्रारब्ध भोगकर कब प्रगति करनी है ?’, यह बात भगवान द्वारा निश्चित की गई है । हम उसमें कुछ नहीं कर सकते । हमें उनकी ओर साक्षीभाव से देखना होगा ।

जोधपुर की दैवी बालसाधिका कु. वेदिका मोदी को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के समक्ष भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत करते देख कु. मधुरा भोसले को हुई अनुभूति !

नृत्य करते समय कु. वेदिका ने घागरा पहना था । उसे देखकर प्रतीत हुआ कि घागरा पहनने के कारण उसके स्थान पर ‘एक नन्हीसी गोपी ही श्रीकृष्ण के समक्ष भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत कर नृत्य के माध्यम से श्रीकृष्ण की उपासना कर रही है । उसका यह नृत्य हो रहा था, तब उसके हृदय में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भाव जागृत हो गया ।

सीधे ईश्वर से चैतन्य और मार्गदर्शन ग्रहण करने की क्षमता होने से, आगामी ईश्वरीय राज्य का संचालन करनेवाले सनातन संस्था के दैवी बालक !

कु. प्रार्थना पाठक ने इतनी छोटी आयु में ही अब तक अनेक ग्रंथ पढ लिए हैं । आयु में कहीं अधिक बडे कितने साधक ऐसा वाचन करते होंगे ? इस वाचन के कारण, अध्ययन के कारण इतनी छोटी आयु में ही प्रार्थना ने ६७ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया है । आगे वह शीघ्र ही संत बनेगी ।

सीधे ईश्वर से चैतन्य और मार्गदर्शन ग्रहण करने की क्षमता होने से, आगामी ईश्वरीय राज्य का संचालन करनेवाले सनातन संस्था के दैवी बालक !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के संकल्प अनुसार कुछ वर्षाें में ही ईश्वरीय राज्य की स्थापना होनेवाली है । अनेकों के मन में यह प्रश्न उठता है कि ‘यह राष्ट्र कौन चलाएगा ?’ इसके लिए ईश्वर ने उच्च लोकों से दैवीय बालकों को पृथ्वी पर भेजा है ।

सीधे ईश्वर से चैतन्य और मार्गदर्शन ग्रहण करने की क्षमता होने से आगामी ईश्वरीय राज्य का संचालन करनेवाले सनातन संस्था के दैवी बालक !

दैवी बालक ग्रंथवाचन, दैनिक ‘सनातन प्रभात’ का वाचन अथवा ‘परात्पर गुरुदेवजी के तेजस्वी विचार’ केवल पढते नहीं; अपितु तुरंत कृत्य करते हैं । वे केवल ग्रंथ अथवा दैनिक वाचन करते नहीं; अपितु उनका आचरण करते हैं । सही अर्थ में इसी को सीखना’ कहते हैं ।

सीधे ईश्वर से चैतन्य और मार्गदर्शन ग्रहण करने की क्षमता होने से, आगामी ईश्वरीय राज्य का संचालन करनेवाले सनातन संस्था के दैवी बालक !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के संकल्पानुसार आगामी कुछ वर्षाें में ईश्वरीय राज्य की स्थापना होनेवाली है । अनेकों के मन में प्रश्न होता है कि ‘इस राष्ट्र का संचालन कौन करेगा ?’ इसलिए ईश्वर ने उच्च लोक से कुछ हजार दैवी बालकों को पृथ्वी पर जन्म दिया है । उनके प्रगल्भ विचार और अलौकिक विशेषताएं इस स्तंभ में प्रकाशित कर रहे हैं ।

सीधे ईश्वर से चैतन्य और मार्गदर्शन ग्रहण करने की क्षमता होने से, आगामी ईश्वरीय राज्य का संचालन करनेवाले सनातन संस्था के दैवी बालक !

सनातन संस्था में कुछ दैवी बालक हैं । उनका बोलना आध्यात्मिक स्तर का होता है । आध्यात्मिक विषय पर बोलते हुए उनके बोलने में ‘सगुण-निर्गुण’, ‘आनंद, चैतन्य, शांति’ जैसे शब्द होते हैं । ऐसे शब्द बोलने के पूर्व उन्हें रुककर विचार नहीं करना पडता ।

सीधे ईश्वर से चैतन्य और मार्गदर्शन ग्रहण करने की क्षमता होने से आगामी ईश्वरीय राज्य का संचालन करनेवाले सनातन संस्था के दैवी बालक !

सनातन संस्था में कुछ दैवी बालक हैं । उनका बोलना आध्यात्मिक स्तर का होता है । आध्यात्मिक विषय पर बोलते हुए उनके बोलने में ‘सगुण-निर्गुण’, ‘आनंद, चैतन्य, शांति’ जैसे शब्द होते हैं । ऐसे शब्द बोलने के पूर्व उन्हें रुककर विचार नहीं करना पडता ।

६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त महर्लोक से पृथ्वी पर जन्मा जबलपुर, मध्य प्रदेश का चि. दिवित सार्थक मुक्कड (आयु १ वर्ष)

भगवान श्रीकृष्‍ण की ओर आकर्षित होनेवाले एवं देवतापूजन में रमनेवाले चि. दिवित सार्थक मक्कड का फाल्गुन शुक्ल पक्ष द्वादशी अर्थात २६ मार्च को उसके जन्मद़िन पर ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर घोषित किया गया ।