अवयस्क बालक के साथ अश्लील व्यवहार करने के प्रकरण में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का निर्णय !

‘एक महिला ने एक अवयस्क बालक को अपने पास रखा तथा उसके साथ बाहर जाकर उसके साथ अश्लील आचरण किया, साथ ही उसे ‘इस विषय में किसी को कुछ न बताने की धमकी दी, ऐसा आरोप अवयस्क बालक की दादी ने बद्दी पुलिस थाने में दी गई शिकायत में लगाया ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में ‘हलाल सर्टिफिकेशन : वैश्विक अर्थव्यवस्थापर आक्रमण’ एवं ‘हिन्दू राष्ट्र : आक्षेप एवं खण्डन’ इन ‘ई बुक’ का लोकार्पण तथा डॉ. अमित थडानी द्वारा ‘द रेशनलिस्ट मर्डर्स’ पुस्तक का लोकार्पण !

हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संस्थापक सदस्य पू. (अधिवक्ता) सुरेश कुलकर्णीजी के करकमलों से इस पुस्तक का लोकार्पण हुआ । इस अवसर पर व्यासपीठ पर इस पुस्तक के लेखक डॉ. अमित थडानी, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर एवं अधिवक्ता पी. कृष्णमूर्ती उपस्थित थे ।

आपराधिक प्रक्रिया संहिता में अनुल्लेखित स्थानबद्धता (नजरबंद) की संकल्पना !

इस प्रकार भारतमाता के अस्तित्व पर संकट बने धर्मांधों, नक्सलियों एवं देशद्रोहियों का फालतू लाड-प्यार बंद करने के लिए प्रभावी हिन्दू-संगठन खडा कर केंद्र सरकार का साथ देना हमारा धर्मकर्तव्य है ।’

सर्वाेच्च न्यायालय को आधुनिकतावादियों की याचिकाओं का लगता है महत्त्व !

‘तहसीन पूनावाला’ प्रकरण में अपराध पंजीकृत कर इसका अन्वेषण अगले स्तर पर पहुंच गया है, साथ ही आवाज के उदाहरण भी न्याय-चिकित्सकीय प्रयोगशाला को भेजे गए हैं तथा वे शीघ्र ही अन्वेषण विभाग को मिलेंगे ।

‘पद्मविभूषण’, ‘पद्मभूषण’ एवं ‘पद्मश्री’ पुरस्कार तथा उनके वास्तविक अधिकारी !

‘केंद्र सरकार ने वर्ष १९५४ से ‘पद्म’ पुरस्कार प्रदान करना आरंभ किया । २६ जनवरी को राष्ट्रपति के हस्तों ये पुरस्कार दिए जाते हैं । ‘भारतरत्न’ के उपरांत ‘पद्मविभूषण’ पुरस्कार दूसरा प्रतिष्ठित सम्मान है । अभी तक २४२ लोगों को ये पुरस्कार प्रदान किए गए ।

सर्वोच्च न्यायालय ने इमामों को वेतन देने की अनुमति दी !

देहली के श्री. सुभाष अग्रवाल, सूचना अधिकार कार्यकर्ता ने ‘देहली वक्फ बोर्ड’ से पूछा कि अब तक विविध इमामों को कितना वेतन दिया गया है ?’, इसकी जानकारी मांगी थी; परंतु अनेक दिन बीत जाने पर भी उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई ।

हिन्दुओं को विचार करने पर विवश करनेवाला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का निर्णय !

एक औषधीय प्रतिष्ठान ने नवरात्रोत्सव काल में हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करनेवाला विज्ञापन प्रसारित किया था । उसे देखकर एक धर्मप्रेमी ने पुलिस में परिवाद प्रविष्ट किया । इस संदर्भ में हुई न्यायालयीन प्रक्रिया के विश्लेषण से संबंधित लेख यहां दे रहे हैं ।

समान नागरिक संहिता की आवश्यकता क्यों ?

जावेद नामक एक २६ वर्षीय मुसलमान युवक ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में ‘हेबियस कॉर्पस’ याचिका प्रविष्ट की । (‘हेबियस कॉर्पस’ का अर्थ है किसी व्यक्ति को अवैध रूप से बंद कर रखा गया हो, तो उच्च न्यायालय संविधान के अनुच्छेद २२६ के अनुसार हेबियस कॉर्पस याचिका प्रविष्ट कर लेता है ।) इस याचिका में उसने कहा कि १६ वर्षीय लडकी, जो मेरी पत्नी है, उसे सेक्टर १६, पंचकुला के सुधारगृह में रखा गया है ।

सुरक्षा बलों के विरुद्ध झूठी याचिका प्रविष्ट करनेवाले नक्सली समर्थकों का षड्यंत्र और उसमें दिखी अर्थहीनता !

इस प्रकरण में केंद्र सरकार ने स्वतंत्र हस्तक्षेप याचिका अथवा आवेदन देकर न्यायालय से यह अनुरोध किया कि नक्सलियों के समर्थक और वामपंथी विचारधारा के लोग बडी मात्रा में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के कथित अत्याचार के विरुद्ध झूठी याचिकाएं प्रविष्ट करते हैं ।

धर्मांध दंगाइयों की याचिका एवं देहली उच्च न्यायालय की भूमिका !

पहले दंगे में सम्मिलित होना, तत्पश्चात मूलभूत अधिकार का हनन हो रहा है कहना, यह उचित नहीं । ऐसा कहते हुए न्यायालय ने धर्मांध की देहली पुलिस के विरुद्ध की याचिका अस्वीकार की ।