संपादकीय : सामर्थ्य… सनातन का !

‘केवल साधना ही करनी है’, ऐसा नहीं; अपितु ‘आध्यात्मिक प्रगति कर आनंदप्राप्ति करनी होती है’, यह समाज को बतानेवाली सनातन संस्था आध्यात्मिक संस्थाओं में से एक ‘आदर्श’ संस्था सिद्ध हुई है ।

संपादकीय : कतर पर प्राप्त विजय !

कतर ने भारत के ८ पूर्व नौसेना अधिकारियों को छोड दिया है । यह भारत सरकार की कूटनीति की विजय है; इसलिए सरकार की अवश्य प्रशंसा करनी ही होगी ।

संपादकीय : टूटा अमेरिका का सपना !

विदेश में जाकर नस्लवादी (वर्णद्वेषी) आक्रमण सहने की अपेक्षा भारत में रहकर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने में ही भारतीयों का भला है !

धर्मांधों का विध्वंसक आक्रोश !

पुलिस जनता को अपेक्षित उपलब्धि प्राप्त करेगी अथवा बार बार कट्टरपंथियों का ही लक्ष्य (निशान) बनती रहेगी ? पुलिस को इसका उत्तर देना चाहिए !

ब्रिटेन के मंदिर संकट में !

ब्रिटेन में भारतीय वंश के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार होते हुए अभी-अभी हिन्दुओं के लिए एक खेदजनक समाचार सामने आया है । वहां भारतीय पुजारियों का वीसा अस्वीकार किया जा रहा है । पुजारियों के अभाव में वहां ५०० में से ५० मंदिर बंद कर दिए गए हैं ।

संपादकीय : संविधान के कथित भक्त !

कांग्रेसी श्रीराम की तो छोडिए; संविधान की भक्ति भी नहीं करते; यह अब हिन्दू जान गए हैं । इसीलिए उन्होंने केंद्र में कांग्रेस को सत्ता से दूर रखा ।

शिक्षा की चिंताजनक स्थिति !

भारतीय शिक्षा प्रणाली को पाश्चात्त्य शिक्षा प्रणाली के बंधन से मुक्त कर पुन: एक बार गुरुकुल शिक्षा प्रणाली की ओर मुडना होगा, जो एक स्थायी समाधान है ।

संपादकीय : भारत-फ्रांस संबंध : नया युग !

अब तक विश्व के अनेक देशों में से इजरायल, रूस और तदनंतर फ्रांस के साथ परिवहन, व्यापार, रक्षा तथा उद्योग में भारत के घनिष्ठ संबंध रहे हैं ।

प्रभावशाली देश में हिंसा !

पापुआ न्यू गिनी तो एक प्रकार से उपेक्षित अथवा अनेक लोगों को ज्ञात ही नहीं है, ऐसा उपमहाद्वीपीय देश है; परंतु उसे प्रशांत महासागर में ‘अत्यंत प्रभावशाली देश’ के रूप में भी गिना जाता है । यहां की जनसंख्या १ करोड से अधिक है । इस देश की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी में १० जनवरी को पुलिस ने हडताल की थी ।

संपादकीय : मंदिर की अग्रपूजा में भ्रष्टाचार !

‘मंदिरों का सरकारीकरण, व्यवस्थापन के लिए न होकर ‘भ्रष्टाचार के लिए और एक आय के साधन’ से अलग कुछ नहीं, उन मंदिरों की यही दुःस्थिति है ।