Boycott Bangladesh Campaign : बंगाल के हिंदुओं द्वारा बांग्लादेशी वस्तुओं पर बहिष्कार की मुहिम शुरू !

बांग्लादेश के हिंदुओं पर हमलों का बंगाल के हिंदुओं द्वारा लिया जा रहा है प्रतिशोध

बंगाल के हिंदुओं द्वारा बांग्लादेशी वस्तुओं पर बहिष्कार की मुहिम (छायाचित्र सौजन्य : Opindia)

कोलकाता (बंगाल) – बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा हो रहे अत्याचारों और हमलों के विरुद्ध बंगाल के हिंदू अब एकजुट हो रहे हैं। बंगाल के हिंदू स्थानीय स्तर पर बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को सबक सिखा रहे हैं, साथ ही बांग्लादेश से आने वाले सामानों पर भी आधिकारिक माध्यमों से बहिष्कार कर रहे हैं। बंगाल के हिंदुओं ने #BoycottBangladesh नाम से मुहिम शुरू की है।

१. ‘बांग्लादेश आउट’ मुहिम की शुरुआत इस वर्ष ५ अगस्त को हुई थी। जब बांग्लादेश में हिंदू समाज, उनके मंदिरों और व्यवसायों पर हमले शुरू हुए, तब बंगाल के हिंदुओं ने पड़ोसी देश में बने सामानों और सेवाओं पर आर्थिक बहिष्कार करना शुरू किया।

२. इस मुहिम के आयोजक मयुख पाल ने बताया कि प्रारंभ में यह आंदोलन अनौपचारिक था। लोग स्वेच्छा से इसमें शामिल होने लगे। उन्होंने धन एकत्र किया और महज एक महीने में यह आंदोलन १२ जिलों में फैल गया।

३. मयुख पाल और उनके सहयोगियों ने बांग्लादेशी वस्तुओं पर बहिष्कार की अपील करते हुए पोस्टर छपवाए और राज्य के सबसे व्यस्त इलाकों में उन्हें चिपकाया। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और बाजारों जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में ये पोस्टर लगाए गए हैं। उन्होंने २५०० से अधिक पोस्टर वितरित किए और 1 लाख से ज्यादा हिंदुओं को इस बारे में जानकारी दी। इस मुहिम के स्वयंसेवकों ने लोगों से संपर्क किया, उन्हें बांग्लादेश की स्थिति के बारे में बताया और उन्हें उस देश के उत्पादों पर बहिष्कार करने की शपथ दिलाई। ‘हम बांग्लादेशी कपड़े और अन्य सामान इस्तेमाल नहीं करेंगे,’ इस तरह की शपथ कई लोगों ने ली।

४. दुर्गा पूजा के समय बांग्लादेश सरकार द्वारा भारत में पद्मा नदी से हिलसा मछली भेजने की परंपरा को बंद करने की खबर थी; लेकिन बाद में यह निर्णय वापस लिया गया। इसके बावजूद बंगाली हिंदुओं ने स्पष्ट किया कि उनके लिए मछली नहीं, बल्कि हिंदुओं का जीवन सबसे महत्वपूर्ण है। बंगाली हिंदुओं ने ‘हम बांग्लादेशी हिलसा मछली नहीं खाएंगे’ की शपथ भी ली।

५. कुछ जूनियर डॉक्टर और छात्र भी इस मुहिम में शामिल हो गए हैं। एक डॉक्टर ने कहा, “बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति बेहद चिंताजनक है। महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। हिंदुओं के मंदिरों को नष्ट किया जा रहा है। इसलिए हम बांग्लादेश का बहिष्कार कर रहे हैं।”

बहिष्कार के पोस्टर लगाते हुए बंगाल के हिंदू (छायाचित्र सौजन्य : Opindia)

बंगाल के हिंदुओं की ४ मांगें

इस मुहिम से जुड़े हिंदू कार्यकर्ता आर. बंगोपाध्याय ने बंगाली हिंदुओं की चार मुख्य मांगें रखी हैं। इनमें बांग्लादेशी नागरिकों को वीजा देना तत्काल बंद किया जाए, भारत में रहकर भारतविरोधी गतिविधियों में लिप्त बांग्लादेशी नागरिकों को देश से निकाला जाए, हिंदुओं के *विरुद्ध* नफरत फैलाने वाले कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों को ब्लैकलिस्ट किया जाए, और बांग्लादेश में बने उत्पादों पर बहिष्कार हो, ये प्रमुख मांगें हैं।

बंगोपाध्याय ने कहा कि पहली तीन मांगें भारत सरकार के लिए हैं, जबकि चौथी मांग हिंदू समाज के लिए है।

पोस्टरों पर क्या लिखा है?

इन पोस्टरों में ‘हिंदुओं के खून से सने बांग्लादेशी कपड़ों का बहिष्कार करें’ की अपील की गई है। इनमें ज़ारा, एच एंड एम, जी.ए.पी. जैसे ब्रांड्स द्वारा बनाए गए बांग्लादेशी उत्पादों का भी उल्लेख है। बांग्लादेश से भारत में आयात किए जाने वाले कपड़ों की सूची में साड़ियां, चूड़ीदार, टी-शर्ट, शर्ट, जींस, स्वेटर और लुंगी शामिल हैं।

बहिष्कार के पोस्टर  (छायाचित्र सौजन्य : Opindia)

इस मुहिम के जरिए बांग्लादेश में हिंदू समाज पर हो रहे अत्याचारों को दबाने और छिपाने के लिए सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे झूठे प्रचार से सावधान रहने की अपील भी की जा रही है। कई वीडियो में बंगाल के हिंदू बांग्लादेशी कपड़ों का बहिष्कार करते नजर आ रहे हैं। जनता का उत्स्फूर्त समर्थन मिल रहा है।

संपादकीय भूमिका

बंगाल के हिंदुओं से देशभर के हिंदुओं को सीख लेनी चाहिए !