साधको, आध्यात्मिक कष्टों की तीव्रता बढने से आध्यात्मिक उपाय नियमित करने के साथ ही व्यष्टि साधना भी बढाएं !

‘वर्तमान में सर्वत्र आध्यात्मिक कष्टों की तीव्रता बहुत बढ गई है । साधकों के व्यक्तिगत और पारिवारिक अडचनों में भी वृद्धि हुई है । कुछ साधकों के मन में नकारात्मक विचार आ रहे हैं । व्यष्टि साधना के प्रति उदासीनता बढ रही है ।

अक्षय तृतीया के पर्व पर ‘सत्पात्र को दान’ देकर ‘अक्षय दान’ का फल प्राप्त करें !

‘अक्षय तृतीया’ हिन्दू धर्म के साढे तीन शुभमुहूर्ताें में से एक मुहूर्त है । इस दिन की कोई भी घटिका शुभमुहूर्त ही होती है । इस दिन किया जानेवाला दान और हवन का क्षय नहीं होता; जिसका अर्थ उनका फल मिलता ही है ।

ए.टी.एम. कार्ड से पैसे निकालते समय सावधान रहें !

ए.टी.एम. कार्ड से पैसे निकालते समय धोखाधड़ी की संभावना रहती है। इस संबंध में एक धार्मिक भक्त का अनुभव यहां प्रस्तुत है।

‘गरमी से कष्ट न हो’; इसके लिए निम्न सावधानियां बरतें !

‘गर्मी का मौसम आरंभ हो रहा है । इस काल में ‘शरीर का तापमान बढ जाना, पसीना छूटना, शक्ति न्यून होना, थकान होना’ इत्यादि कष्ट होते हैं ।

आपातकाल से पूर्व ग्रंथों के माध्यम से धर्मप्रसार कर, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ग्रंथ-निर्मिति के कार्य की सेवा में सम्मिलित हों !

भीषण आपातकाल का आरंभ होने से पूर्व ही सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ग्रंथ-निर्मिति के कार्य में सम्मिलित होकर शीघ्र ईश्वरीय कृपा के पात्र बनें !

विभिन्न दृश्य-श्रव्य लघुफिल्मों के लिए  (‘वीडियो एवं ‘ऑडियो’ में) उद्घोषणा करने हेतु स्त्री एवं पुरुष (साधक) उद्घोषकों की आवश्यकता !

‘सनातन के रामनाथी, गोवा के आश्रम में विभिन्न दृश्य-श्रव्य लघुफिल्में बनाई जाती हैं । इन लघुफिल्मों की उद्घोषणा करने हेतु स्त्री एवं पुरुष उद्घोषकों की आवश्यकता है ।

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से किए जा रहे अभूतपूर्व आध्यात्मिक शोध कार्य में सम्मिलित हों !

वर्ष २०१४ से सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से आधुनिक वैज्ञानिक परिभाषा में अध्यात्म का महत्त्व विशद करने हेतु वैज्ञानिक स्तर पर शोधकार्य किया जा रहा है ।

हो रहे किसी कष्ट के लिए प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति से एक बार उपचार ढूंढने के उपरांत प्रतिदिन उपचार न ढूंढकर १५ दिन उपरांत ही पुनः उपचार खोजें और तब तक वही उपचार करते रहें !

वर्तमान में साधक स्वयं को हो रहा कष्ट दूर करने हेतु प्रतिदिन प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति के अनुसार उपचार खोजते हैं तथा उसके अनुसार नामजप करते हैं ।

प्रयागराज में होनेवाले कुंभपर्व के लिए वहां अपनी वास्तु उपयोग हेतु देकर, धर्मकार्य में सहभागी हों !

कुंभपर्व की कालावधि में प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में धर्मप्रसार की सेवा के लिए पूरे भारत से अनेक धर्मप्रेमी तथा साधक में रहने के लिए आएंगे । उनके निवास की दृष्टि से, तथा विविध सेवाओं के लिए प्रयाग में वास्तु की (घर, सदनिका [फ्लैट], सभागृह [हॉल] की) आवश्यकता है ।

कुंभपर्व में सेवा के लिए अच्छी स्थिति में दोपहिया तथा चारपहिया वाहनों की आवश्यकता है !

साधक, पाठक, हितचिंतक तथा धर्मप्रेमी जिनके वाहन के सभी कागदपत्र (आर.सी. बुक, पी.यू.सी., बीमा (इन्शोरन्स) आदि पूर्ण हैं और उनके पास ऊपर लिखित वाहन हैं, तो वे कुछ काल के लिए वह उपयोग करने के लिए दे सकते हैं । जो इच्छुक हैं, वे नीचे दिए क्रमांक पर संपर्क करें ।