Aurangzeb Tomb Row : औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका !
दावा है कि ये कब्रें राष्ट्रीय स्मारकों के अंतर्गत नहीं आती !
दावा है कि ये कब्रें राष्ट्रीय स्मारकों के अंतर्गत नहीं आती !
विलंबित न्याय अन्याय ही है ! सत्र न्यायालय को न्याय देने तक २ पीढ़ियां निकल गईं । अब अगर प्रकरण सुप्रीम न्यायालय में चला गया तो आम लोगों को आश्चर्य हो रहा है कि कितनी पीढ़ियों को न्याय मिलेगा।
न्यायालय ने पूछा, “आपने मंच पर किस तरह की सजावट की है?” क्या यह महाविद्यालय का उत्सव है? क्या आपने ऐसा करने के लिए भक्तों से पैसे लिए हैं ? क्या यह एक मंदिर उत्सव है। न्यायालय ने मंडल को फटकार लगाते हुए कहा कि मंदिर में सिनेमा के नहीं, बल्कि भक्ति गीत बजाए जाने चाहिए।
खडिया मिट्टी, चिकनी मिट्टी अथवा प्लास्टर ऑफ पैरिस की अपेक्षा फाइबर से बनाई जानेवाली मूर्तियां अधिक प्रदूषणकारी हैं । तो इस प्रदूषण के लिए कौन उत्तरदायी है ?
कोई भी जाति मंदिर के स्वामित्व का दावा नहीं कर सकती और मंदिर प्रशासन का गठन जातीय आधार पर करना, भारतीय संविधान के अनुसार संरक्षित धार्मिक प्रथा नहीं है । यह बात मद्रास उच्च न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई के समय कहीं ।
बच्चे भ्रमणभाषी (मोबाइल) के माध्यम से अपने अभिभावकों से जुड़े रहते हैं । इससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित रहती है ।
इससे पहले भी उच्च न्यायालय ने जैन के अनुरोध के पश्चात लिखित आदेश में मस्जिद के स्थान पर ‘कथित मस्जिद’ शब्द का प्रयोग किया था ।
भारतीय अधिवक्ताओं ने निर्णय को ‘ऐतिहासिक’ बताया है; क्योंकि इससे पहले कभी भी किसी अमेरिकी प्रतिष्ठान पर ट्रेडमार्क प्रकरण में इतना भारी जुर्माना नहीं लगाया गया था ।
न्यायप्रिय जनता का मानना है कि न्यायालय को पुरातत्व विभाग की अनुमति के बिना परिवर्तन करने वाली मस्जिद समिति को भंग कर देना चाहिए तथा संबंधित लोगों को दंड देकर कारावास में भेजने का आदेश देना चाहिए !
हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता पू. हरि शंकर जैन के आपत्ति के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश में उल्लेख ।