Bangladesh violence : शेख हसीना के विरुद्ध हिंसा करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी !
बांग्लादेश में लोकतंत्र नहीं अपितु इस्लामिक तानाशाही है । अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देश इसके विरुद्ध अपना मुंह क्यों नहीं खोलते ?
बांग्लादेश में लोकतंत्र नहीं अपितु इस्लामिक तानाशाही है । अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देश इसके विरुद्ध अपना मुंह क्यों नहीं खोलते ?
अगस्त महीने में तथाकथित छात्रों द्वारा किए गए हिंसक आंदोलन के पश्चात प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेना पड़ा। अब ढाई महीने बाद, बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के विरुद्ध आंदोलन आरंभ हो गया है और उनके त्यागपत्र की मांग की जा रही है।
छात्र नेताओं ने बताया कि उन्होंने योजना बनाकर विरोध प्रदर्शन किया !
यह वक्तव्य दिखाता है कि बांग्लादेश शेख हसीना से कैसा व्यवहार करेगा! इस स्थिति के लिए शेख हसीना की ही त्रुटि हैं । यदि उन्होंने कड़ा निर्णय लिया होता तो आज यह स्थिति नहीं होती !
बांग्लादेश में चल रही अराजकता उनके लोकतंत्र, आर्थिक विकास तथा भारत के लिए दुर्भाग्यजनक !
बांग्लादेश नैशनलिस्ट दल के मुख्य सचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने सफेद झूठ बोलते हुए कहा, ‘बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, यह बांग्लादेश का अंतर्गत विषय है ।
बांग्ला देश में लौटने पर क्या शेख हसीना सुरक्षित रह पाएगी ? क्या इसकी निश्चिती अंतरिम सरकार दे पाएगी ? और क्या उस पर विश्वास करना संभव होगा ?
१९ जुलाई के दिन ढाका के मोहम्मदपुर भाग में पुलिस ने आरक्षण के विरोध में आंदोलन करनेवालों पर गोलियां चलाई थीं , जिसमें किराना दुकान का मालिक अबू सईद मारा गया था ।
कैरिन जिन पियरे ने आगे कहा कि बांग्लादेश के लोगों का भविष्य तय करना, यह उनका विशेषाधिकार है । उनके नेता को चुनना बांग्लादेश की जनता द्वारा लिया गया महत्वपूर्ण निर्णय है ।
शेख हसीना के निकट के लाेगों ने एक अंग्रेजी दैनिक को भेजे संदेश में यह आरोप लगाया है। बांग्लादेश से सेंट मार्टिन टापू लेकर वहां नौतल तथा सेनातल खडा करने की अमेरिका की योजना थी।