रामनाथी (गोवा) के सनातन के आश्रम में संपन्न हुआ महामृत्युंजय यज्ञ !

सप्तर्षि की आज्ञा से यहां के सनातन के आश्रम में दशहरे के दिन अर्थात १२ अक्टूबर को सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का स्वास्थ्य अच्छा रहे तथा उन्हें दीर्घायु प्राप्त हो; इसके लिए महामृत्युंजय यज्ञ किया गया ।

उस महान व्यक्ति को मेरा प्रणाम जिसने भोगभूमि गोवा में इतना अद्भुत आश्रम बनाया !

गोवा में सनातन का आश्रम साक्षात् वैकुण्ठ है।

‘ओम प्रमाणपत्र’ वितरण आंदोलन को सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के शुभाशीर्वाद !

प्रसाद की शुद्धता बनाए रखने के लिए दिया जाएगा प्रमाणपत्र

पर्वरी (गोवा) : आजाद भवन में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन

पर्वरी के आजाद भवन में हिन्दी भाषा में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है । यह कार्यक्रम नवरात्रि में गुरुवार, ३ अक्टूबर से बुधवार, ९ अक्टूबर २०२४ तक होने वाला है । इस अवधि में प्रतिदिन सायंकाल ५ से रात्रि ८ बजे तक श्रीमद्भागवत ग्रंथ का निरूपण किया जाएगा ।

Om Certificate : गणेशोत्सव के निमित्त से ‘ओम प्रमाणपत्र’ वितरण आंदोलन को सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के शुभाशिर्वाद !

शुद्ध और सात्त्विक गणेशोत्सव मनाने के लिए तथा उसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए ‘ओम प्रतिष्ठान’ द्वारा चलाया जा रहा यह आंदोलन अत्यंत प्रशंसनीय है । ऐसा गौरवास्पद वक्तव्य सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले जी ने इस समय दिया ।

जहां धर्म है, वहीं विजय है ! – पू. डॉ. शिवनारायण सेन, सहसचिव, शास्‍त्र धर्म प्रचार सभा, कोलकाता

 ५०० वर्ष मुसलमानों ने भारत को लूटा, मंदिर तोड डाले, परंतु वे हिन्दुओं का विश्‍वास नहीं तोड सके । आक्रामकों ने भारत को बडी मात्रा में लूट लिया, तब भी उस समय भारत की आर्थिक स्थिति विश्व में सुदृढ थी ।

हिन्दू धर्मविरोधियों के द्वारा किए जानेवाले दुष्प्रचार के विरुद्ध आक्रामक नीति आवश्यक ! – डॉ. भास्कर राजू वी., न्यासी, धर्ममार्गम् सेवा ट्रस्ट, तेलंगाना

ईसाई तथा इस्लामी पाखंडी हैं, जबकि वामपंथी देशद्रोही हैं । इन लोगों की विचारधारा को अस्वीकार किया जाना चाहिए । हमने उनकी झूठी कथाओं को खारीज करनेवाला ‘नैरेटिव’ तैयार करना चाहिए ।

कानून बनाने हेतु अनेक देशों ने मनुस्मृति का संदर्भ लिया ! – भारताचार्य पू. प्रा. सु.ग. शेवडेजी, राष्ट्रीय प्रवचनकार तथा कीर्तनकार, मुंबई, महाराष्ट्र

धर्म समझ लेने हेतु भगवान ने वेदों की निर्मिति की । सोना पुराना भी हुआ, तब भी उसका मूल्य न्यून नहीं होता । उसी प्रकार वेद भले ही प्राचीन हों; परंतु उनमें विद्यमान ज्ञान कालबाह्य नहीं होता । वेदों का ज्ञान शाश्वत है, यह बतानेवाले मनु पृथ्वी के पहले व्यक्ति थे मनु राजा थे । जब पाश्चात्त्यों को कपडे पहनने का भी ज्ञान नहीं था, उस समय मनु ने ‘मनुस्मृति’ लिखी ।

हिन्दू धर्माचरण के पीछे आध्यात्मिकता के साथ वैज्ञानिक विचार ! – श्री वीरभद्र शिवाचार्य महास्वामीजी, बालेहोन्नरू, खासा शाखा मठ, श्रीक्षेत्र सिद्धरामबेट्टा, तुमकुरू, कर्नाटक

अन्य धर्मी लोग उनके धर्म के विषय में प्रश्न नहीं पूछते;  परंतु हिन्दू धर्माचरण करने से पूर्व प्रश्न पूछते हैं; इसलिए हमें हिन्दुओं को धर्माचरण के पीछे समाहित वैज्ञानिक कारण बताने आवश्यक हैं ।

प्रत्येक राज्य में हिन्दू विचारकों का संगठन होना आवश्यक ! – श्री. मोहन गौडा, कर्नाटक राज्य प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

एक संदेश पर केवल २ दिनों में ही मुसलमान उसके लिए एकत्र हो गए । हिन्दुओं को भी इसप्रकार की संपर्कव्यवस्था निर्माण करना आवश्यक है ।