सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

हिन्दुओं ने पश्चिमी संस्कृति अपनाई, इस कारण दो पीढियों में अर्थात माता-पिता और बेटे बहू में भी आपस में समरसता नहीं है । अब पति-पत्नी की भी आपस में नहीं बनती । विवाह के उपरांत कुछ समय में ही विवाह-विच्छेद हो जाता है ।

‘सनातन प्रभात’ द्वारा जागृत की गई धर्मशक्ति ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेगी !

वर्तमान में ‘सनातन प्रभात’ का ब्राह्म-क्षात्रतेज के दृष्टिकोण से विकसित पाठकवर्ग ही सनातन धर्म की शक्ति बन गया है । ‘सनातन प्रभात’ द्वारा जागृत की गई यह धर्मशक्ति धर्मसंस्थापना के कार्य को बल प्रदान करेगी तथा बहुत शीघ्र ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेगी !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

प्रयागराज के महाकुम्भ पर्व की विशेषतापूर्ण एवं महत्त्वपूर्ण गतिविधियां !

सवा तीन वर्ष के श्रवणपुरी महाराज बने महाकुम्भ के प्रमुख आकर्षण !

महाकुंभ का राजा : आवाहन अखाडा

अखाडे महाकुम्भ पर्व के मुख्य आकर्षण हैं । आज हम आवाहन अखाडे के विषय में जानकारी लेते हैं । साधुओं के ये अखाडे तो हिन्दू धर्म की अर्थात सनातन धर्म की रक्षा करनेवाले लडाकू साधुओं की एक सेना ही होती है ।

महाकुम्भ नगरी में आए अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने त्रिवेणी संगम में किया स्नान !

कुम्भ नगरी में आए १० देशों के २१ सदस्यों ने त्रिवेणी संगम में स्नान किया । इस अवसर पर इन २१ सदस्यों ने कुम्भ नगरी के विभिन्न अखाडों का अवलोकन किया । वहां उन्होंने साधु-संतों से आध्यात्मिक विषयों पर बातचीत की ।

मैं ‘सनातन प्रभात’ : श्रीविष्णुस्वरूप गुरुदेवजी की लेखनी की चैतन्यमय धार प्राप्त एक अविरत कार्यरत धर्मयोद्धा !

‘मेरे कार्य को २५ वर्ष पूर्ण हो गए हैं । ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना की कार्यपूर्ति हेतु त्रिभुवन में घटित असंख्य स्थूल एवं सूक्ष्म घटनाओं का मैं साक्षी बन पाया । यह सब श्रीविष्णुस्वरूप गुरुदेवजी सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के कृपाशीर्वाद से संभव हुआ ।

दैनिक की सेवा से साधकों में गुणवृद्धि करनेवाले सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी !

‘सनातन प्रभात’ नियतकालिकों के पूर्व समूह संपादक डॉ. दुर्गेश सामंत को सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी से सीखने के लिए मिले सूत्र

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा साधकों, राष्ट्रभक्तों तथा धर्मरक्षकों को बताई गई कलियुग की गीता है ‘सनातन प्रभात’ !

‘श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को बताई गई भगवद्गीता की भांति ‘सनातन प्रभात’ भी सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा साधकों, राष्ट्रभक्तों तथा धर्मरक्षकों को बताई गई कलियुग की गीता है’, इसका मैं ‘सनातन प्रभात’ के प्रकाशन दिवस से अनुभव कर रहा हूं ।