श्री दत्त परिवार एवं मूर्तिविज्ञान
दत्त अर्थात निर्गुण की अनुभूति दिया हुआ । दत्त वे हैं जिन्हें ‘वह स्वयं ब्रह्म ही है, मुक्त है, आत्मा है’, यह अनुभूति है । जन्म से ही दत्त को निर्गुण की अनुभूति थी, जबकि साधकों को ऐसी अनुभूति होने के लिए अनेक जन्म साधना करनी पडती है ।