आचारों का पालन करना ही अध्यात्म की नींव है ।
प्राचीन काल में तुलसी जी को जल चढाकर वंदन किया जाता था; परन्तु आज अनेक लोगों के घर तुलसीवृन्दावन भी नहीं होता । प्राचीन काल में सायंकाल दीपक जलाकर ईश्वर के समक्ष स्तोत्र पठन किया जाता था; परन्तु आज सायंकाल बच्चे दूरदर्शन पर कार्यक्रम देखने में मग्न रहते हैं ।