Dabholkar Murder Case Verdict : ‘हिन्दू आतंकवाद का षड्यंत्र रचनेवालों की पराजय ! – सनातन संस्था

पुणे /मुंबई – डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्या प्रकरण के निर्णय पर सनातन संस्था ने १० मई की दोपहर को मुंबई एवं पुणे में पत्रकार वार्ताएं कर अपनी भूमिका रखी । आज ‘हिन्दू आतंकवाद’ का षड्यंत्र रचनेवालों की पराजय हुई है, साथ ही इस प्रकरण में दोषी प्रमाणित हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ता सचिन अंदुरे एवं शरद कळसकर को भी निर्दाेष मुक्त कराने हेतु हम लडेंगे’, ऐसा सनातन संस्था ने इस अवसर पर घोषित किया ।

विलंब से मिला न्याय ! – सनातन संस्था

सनातन संस्था की ओर से प्रकाशित विज्ञप्ति में सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने कहा है कि इस निर्णय के कारण सनातन के साधक निर्दाेष ही थे, यही आज सिद्ध हुआ है, साथ ही सनातन संस्था को ‘हिन्दू आतंकवादी’ प्रमाणित करने का ‘शहरी नक्सलियों’ का षड्यंत्र विफल हुआ है ! आज ११ वर्ष उपरांत सनातन संस्था को मिला न्याय विलंब से मिला न्याय है ।

पुणे – पुणे की पत्रकार वार्ता में सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. अभय वर्तक ने यह प्रश्न उठाते हुए पूछा कि निर्दोष प्रमाणित डॉ. वीरेंद्रसिंह तावडे, अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर एवं श्री. विक्रम भावे इन सभी की जो बदनामी हुई, उसकी भरपाई कौन करेगा ? यहां के पत्रकार भवन में सनातन संस्था की ओर से पत्रकार वार्ता की गई, उसमें वे ऐसा बोल रहे थे । इस पत्रकार वार्ता में ३० से अधिक पत्रकार उपस्थित थे ।

श्री. वर्तक ने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि आज शरद कळसकर एवं सचिन अंदुरे इन निर्दाेष युवकों को दंड मिला है; परंतु वे भी निर्दाेष प्रमाणित होंगे ।

श्री. अभय वर्तक द्वारा पत्रकार वार्ता में रखे गए स्पष्टतापूर्ण सूत्र !

१. अन्य समय पर आरोपी समय गंवाने हेतु न्यायालय की कार्यवाही को लंबा खींचने हेतु प्रयासरत होते हैं; परंतु इस प्रकरण में दाभोलकर परिवार ने ही न्यायालय जाकर जांच रोकने की मांग की, जिससे अभियोग लंबा खींचा गया, अन्यथा वर्ष २०१८ में ही डॉ. तावडे छूट जाते । भारत में चला यह एकमात्र ऐसा अभियोग होगा, जिसमें हत्या हुए व्यक्ति के परिजनों ने अभियोग को ५ वर्ष रोकने की मांग की हो । इससे भगवा आतंकवाद का षड्यंत्र आगे बढाने हेतु ‘वास्तविक हत्यारे छूट भी जाएं, तब भी चलेगा; परंतु हिन्दुत्वनिष्ठों को कारागृह में बंद किया जाना चाहिए’, यह दुष्ट उद्देश्य मन में रखकर दाभोलकर परिवार ने हिन्दुत्वनिष्ठों को कारागृह में बंद रखने का विकृत आनंद उठाया ।

२. सनातन संस्था के १ सहस्र ६०० से अधिक साधकों के परिवारों की जांच की गई । सनातन संस्था ने ११ वर्षाें तक यह अन्याय सहन किया । हमीद दाभोलकर ने सनातन संस्था की ओर से ‘दाभोलकर को दूसरा गांधी बना देंगे’ की धमकियां मिलने की बात कही; परंतु न्यायालय ने उनके संबंध में एक भी प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया । इससे सनातन की अकारण बदनामी की गई; परंतु अब इस निर्णय के कारण सनातन पर लगा कलंक मिट गया है ।

३. डॉ. दाभोलकर की हत्या की जब जांच चल रही थी, उस समय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्यकर्ता मिलिंद देशमुख साक्षियों से मिले तथा उन्होंने उनके साथ भोजन किया । वास्तव में वादी एवं प्रतिवादियों को साक्षियों से मिलने की अनुमति न होते हुए भी यहां खुलेआम कानून का उल्लंघन किया गया । इसमें कौन संलिप्त थे , इसकी जांच कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए, यह हमारी मांग है ।

अंनिस के आर्थिक घोटालों, जातपंचायत तथा अंनिस का फर्जी डॉक्टरों के विरुद्ध चलाए गए अभियान की जांच क्यों नहीं हुई ? – सुनील घनवट, राज्य संगठक, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ, हिन्दू जनजागृति समिति

दाभोलकर हत्या प्रकरण में प्रत्येक बार आरोपी बदलते गए । जांच विभागों द्वारा रचा गया झूठा कथानक अब निष्प्रभ सिद्ध हुआ है । वारकरी संप्रदाय, श्रीशिवप्रतिष्ठान, हिन्दुस्थान, हिन्दू एकता आंदोलन, हिन्दू राष्ट्र सेना जैसे विभिन्न हिन्दुत्वनिष्ठों ने अंधविश्वास निर्मूलन कानून का विरोध किया था, उसके कारण उनकी जांच की गई । तो नक्सली गतिविधियों में संलिप्त अंनिस के कार्यकर्ता शहरी नक्सली थे, ऐसा क्यों न कहा जाए ? अंनिस के आर्थिक घोटाले, जातपंचायत तथा अंनिस का फर्जी डॉक्टरों के विरुद्ध चलाया गया अभियान, इनकी जांच क्यों नहीं की गई?, यह प्रश्न भी सुनील घनवट ने इस अवसर पर उठाया ।

श्री. घनवट ने आगे कहा कि मैंने स्वयं सातारा धर्मदाय आयुक्तालय में अंनिस के घोटालों को प्रमाणोंसहित प्रस्तुत किया था । जांच में इन सभी संभावनों का क्यों नहीं विचार किया गया ? इस निर्णय के कारण हिन्दू आतंकवाद की ‘थियरी’ (संकल्पना) असफल सिद्ध हुई है । तथाकथित आधुनिकतावादी व्यवस्था को प्रमाणित करने हेतु यह सब उठापटक की गई ।

न्यायालय ने इस प्रकरण में लगाया गया आतंकी गतिविधियों से संबंधित ‘युएपीए’ (गैरकानूनी गतिविधियां प्रतिबंधक कानून) भी रद्द प्रमाणित किया है । इस प्रकरण को इस कानून के अंतर्गत लाकर सनातन संस्था को ‘भगवा आतंकवादी’ प्रमाणित कर उस पर प्रतिबंध लगाने का षड्यंत्र इस निर्णय से ध्वस्त हुआ है !