चूंकि ९० प्रतिशत मुसलमान बांग्लादेश में हैं, इसलिए संविधान से ‘धर्मनिरपेक्षता’ शब्द हटा दें !
इससे पता चलता है कि यह बांग्लादेश को इस्लामिक राष्ट्र घोषित करने का प्रमाण है !
इससे पता चलता है कि यह बांग्लादेश को इस्लामिक राष्ट्र घोषित करने का प्रमाण है !
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानून निरस्त करने हेतु दी थी मान्यता !
भारत में ‘धर्मनिरपेक्षता’ का क्या अर्थ है? इसकी स्पष्ट परिभाषा न होने के कारण ‘धर्मनिरपेक्षता’ का अर्थ हिंदुओं को दबाना और मुसलमानों का तुष्टिकरण करना, ऐसा सुविधाजनक अर्थ राजनीतिक दलों द्वारा निकाला गया है और इसे देश में स्थापित किया गया है।
हिन्दुओं की आत्मघातक धर्मनिरपेक्षता ! मस्जिद के पास हिन्दुओं की शोभायात्राओं पर निश्चित ही आक्रमण होते हैं, तो दूसरी ओर हिन्दू गांधीवादी आत्मघातक धर्मनिरपेक्षता दिखाकर पवित्र पुराने पीपल वृक्ष पर आघात करते हैं, यह हिन्दुओं के लिए लज्जाप्रद !
आपातकाल के समय वर्ष १९७६ में भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ एवं ‘समाजवाद’, ये दो शब्द घुसाए गए । संविधान के मूल ढांचे में किया गया यह परिवर्तन संपूर्णतः असंवैधानिक था ।
भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष है, तथापि संविधान के प्रथम पन्ने पर प्रभु श्रीरामजी का चित्र है । उनका भी आदर बनाए रखें, ऐसा ही बहुसंख्यक भारतीयों को लगता है !
सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत
कांग्रेस ने ‘धर्मनिरपेक्ष’ एवं ‘समाजवाद’ ये दो शब्द संविधान में घुसेडने पर हिन्दुओं पर अन्याय हुआ और इसी प्रावधान के कारण अल्पसंख्यक फले-फूले । राष्ट्रप्रेमियों और धर्मप्रेमियों को लगता है कि संविधान से ये शब्द निकाल फेंकने के लिए सरकार को प्रयत्न करना चाहिए ।
भारत स्वयंभू हिन्दू राष्ट्र है ही; परंतु संविधान द्वारा यह घोषित होना आवश्यक है !
वर्ष १९४७ में धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ । मुसलमान बहुसंख्यक थे; इसलिए उन्हें पाकिस्तान दिया । तो फिर जो बचे वे क्या थे ?