विविध विचारधाराओं के संदर्भ में हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता !

‘पश्चिमी तथा समाजवादी, साम्यवादी इत्यादि एवं विविध राजनीतिक दलों के विचार पृथ्वी पर मानव को सुखी करने से संबंधित उनकी विचारधारा के अनुसार होते हैं । इसके विपरीत हिन्दू धर्म के विचार पृथ्वी पर और मृत्यु के उपरांत जीवन सुखमय कैसे करें और अंत में ईश्वरप्राप्ति कैसे करें, इस संदर्भ में होते हैं ।’

हिन्दू धर्म के कर्मकांड विज्ञान की तुलना में अनेक गुना परिपूर्ण हैं !

‘हिन्दू धर्म की जिन कृतियों की तथाकथित बुद्धिप्रमाणवादी कर्मकांड के रूप में आलोचना करते हैं, उन कृतियों का अध्ययन करने पर, जब यह ध्यान में आएगा कि वे विज्ञान की तुलना में अनेक गुना परिपूर्ण हैं, तब अध्ययनकर्ता नतमस्तक हो जाएंगे।’

एकमात्र हिन्दू धर्म ही मानवजाति का तारणहार है !

‘मानव का जन्म क्यों हुआ ? जन्म के पूर्व वह कहां था ? मृत्यु के उपरांत वह कहां जाएगा ?इत्यादि विषयों की थोड़ी-बहुत भी जानकारी न रखनेवाले पश्चिमी तथा साम्यवादी क्या कभी मानवजाति की समस्याएं दूर कर पाएंगे ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर ही नहीं अपितु उनमें अशुभ से कैसे बचें, इसकी जानकारी रखनेवाला एकमात्र हिन्दू धर्म ही मानवजाति का तारणहार है !’

हिन्दू राष्ट्र का ध्वज भगवा ही होगा !

‘हिन्दू राष्ट्र का ध्वज सत्त्व-राज प्रधान भगवा होगा । वह कुछ युगों से भारत का ध्वज है । अर्जुन, छत्रपति शिवाजी महाराज इत्यादि का भी वही ध्वज था ।’

हिन्दू धर्म एवं पश्चिमी विचारधारा !

हिन्दू धर्म मन को मारने की, नष्ट करने की, मनोलय करने की शिक्षा देता है; जबकि पश्चिमी विचारधारा व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर मनमानी करने की शिक्षा देती है !’

भारत की दुर्दशा का एक कारण है, राज्यकर्ताओं द्वारा जनता को साधना न सिखाना !

‘स्वतंत्रता से लेकर आज तक के सभी राज्यकर्ताओं ने केवल बौद्धिक शिक्षा के माध्यम से वैद्य,अभियंता, वकील तैयार किए; पर उन्हें साधना सिखाकर ‘संत’ बनने की शिक्षा नहीं दी । इस कारण आज देशद्रोह से लेकर घूसखोरी तक सभी प्रकार की समस्याओं का यह देश सामना कर रहा है ।’

हिन्दुओ, धर्मनिरपेक्ष भारत पर हिन्दू राष्ट्र का ध्वज फहराने के लिए प्रतिबद्ध हो जाओ !

‘सनातन धर्म के जागरण के लिए अब पहले से कहीं अधिक अनुकूल समय है ।’ इसका एक उदाहरण यह है कि इस वर्ष १४४ वर्ष उपरांत आए प्रयागराज के महाकुंभ मेले में ६६ करोड हिन्दुओं ने गंगा स्नान किया । यह सनातनी हिन्दुओं के बीच जागरूकता का उच्चतम समय है ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘सनातन प्रभात के ३० प्रतिशत लेख साधना से संबंधित होते हैं। इससे पाठकों का अध्यात्म से परिचय होता है तथा कुछ लोग साधना करना आरंभ कर जीवन सार्थक करते हैं। इसके विपरीत, अधिकांश अन्य सभी नियतकालिकों में एक प्रतिशत लेख भी साधना संबंधी न होने के कारण, पाठकों को उनका वास्तविक अर्थ में लाभ नहीं होता।’

अध्यात्म का प्रसार करते समय यह स्मरण रखें !

‘ईश्वर का अस्तित्व न माननेवाले क्या कभी ईश्वरप्राप्ति के लिए साधना करने का विचार कर सकते हैं ? साधक अध्यात्म प्रसार करते समय ऐसे लोगों से बात करने में समय व्यर्थ न करें !’