ब्राह्मणद्वेषियों का पाप !
‘दादा, परदादा ने कोई अपराध किया हो, तो हम पोते, परपोते को उसका दंड नहीं देते ; परंतु कुछ ब्राह्मणद्वेषी कुछ पीढियों पूर्व कुछ ब्राह्मणों द्वारा किए कथित अपराधों का दंड सभी ब्राह्मणों को दे रहे हैं । यह पाप है!
‘दादा, परदादा ने कोई अपराध किया हो, तो हम पोते, परपोते को उसका दंड नहीं देते ; परंतु कुछ ब्राह्मणद्वेषी कुछ पीढियों पूर्व कुछ ब्राह्मणों द्वारा किए कथित अपराधों का दंड सभी ब्राह्मणों को दे रहे हैं । यह पाप है!
‘जो बुद्धिप्रमाणवादी ऐसा कहते हैं कि ईश्वर नहीं है, क्या उन्हें कभी उस निरंतर आनंद की अनुभूति होगी, जो भक्तों को होती है ?
‘विज्ञान अनेक वर्ष किसी बात का बुद्धि से स्थूल स्तरीय कारण खोजता है; क्योंकि कारण समझे बिना, उसका उपाय समझ में नहीं आता । इसके विपरीत अध्यात्म किसी बात का बुद्धि के परे का सूक्ष्म स्तरीय शास्त्र और उसका उपाय तत्काल बताता है ।
‘चुनाव के समय राजनेता, ‘यह देंगे, वह देंगे’, ऐसा कहते हैं और उनमें से बहुत कम भौतिक सुख देते हैं । इसके विपरीत, संत एवं सनातन संस्था सर्वस्व का त्याग करना सिखाकर चिरंतन आनंद देनेवाली ईश्वरप्राप्ति कराते हैं ।’
‘अन्य धर्मियों का ध्येय होता है ‘दूसरे धर्म के लोगों पर वर्चस्व स्थापित करना ।’ जबकि हिंदुओं का ध्येय होता है, ईश्वरप्राप्ति !’
‘हिन्दू धर्म में हिन्दू धर्म के शाश्वत मूल्य तथा सिद्धांत समझकर, उसके अनुसार आचरण कर, धर्म की अनुभूति लेना अर्थात साक्षात ईश्वर की अनुभूति लेना महत्वपूर्ण है ।’ इसी कारण हिन्दू धर्म से अनभिज्ञ सहस्रों अन्य पंथ के विदेशी लोग आज भी हिन्दू धर्म की ओर आकर्षित होकर, हिन्दू धर्म के अनुसार आचरण कर रहे हैं ।’
‘अन्य देशों में भीतरी शत्रु नहीं होते । भारत के बाहरी और भीतरी दोनों प्रकार के शत्रु हैं । इस प्रकार से शत्रुओं से जूझनेवाला संसार का एकमात्र देश है भारत । भारतीयों के लिए यह लज्जाजनक है।
‘मतदाताओं से मतों की भीख मांगनी पडती है, यह उम्मीदवारों के लिए लज्जाजनक है ! चुनाव जीतने पर उन्होंने मतदाताओं के लिए कुछ किया होता, तो यह सब नहीं करना पडता।’
‘वास्तविक बुद्धिप्रमाणवादी प्रयोग कर निष्कर्ष तक पहुंचते हैं । इसके विपरीत स्वयं को बुद्धिप्रमाणवादी कहलानेवाले साधना का,अध्यात्म का प्रयोग किए बिना ही कहते हैं, ‘वह झूठा है ।’
पूर्व काल की पीढ़ियों में वैचारिक अंतर (जनरेशन गैप) नहीं था । प्रत्येक पीढ़ी पहले की पीढ़ी से समरस हो जाती थी । दादाजी, परदादाजी से लेकर परपोते, उनके बच्चे भी साथ रहते थे ।