Expel Shyam Manav : श्याम मानव समेत महाराष्ट्र अंनिस के लोगों को जादूटोना विरोधी कानून की सरकारी समिति से तुरंत हटाया जाए और समिति को भी भंग किया जाए!

एफ.सी.आर.ए. कानून के अनुसार कोई भी समाचार पत्र विदेश से पैसे नहीं ले सकता। फिर भी, महाराष्ट्र अंनिस ने विदेश से लाखों रुपये एकत्र किए।

स्वबोध, मित्रबोध एवं शत्रुबोध

धर्मशिक्षा लेनेवाला तथा धर्माचरण करनेवाला हिन्दू व्यक्ति जब स्वबोध कर लेगा, उस समय रामराज्य की (हिन्दू राष्ट्र की) स्थापना करना सहजता से होगा संभव !

धर्मकेंद्रित जीवन रचना (भाग २)

धर्मकेंद्रित जीवन पद्धति ही भारतीय परंपरा तथा सनातन धर्मपरंपरा को जीवित रखकर मनुष्य को अपने मनुष्य जीवन के ध्येय को प्राप्त कराती है ।

धर्मकेंद्रित जीवन रचना (भाग १)

‘धर्मकेंद्रित जीवन’ के विषय में विचारमंथन करते समय धर्मकेंद्रित तथा अर्थकेंद्रित जीवन में क्या भेद है ?, उसका तुलनात्मक अध्ययन करेंगे ।

धर्मप्रेम बढाएं और धर्माभिमानी बनें !

यह न भूलें कि ‘धर्म’ राष्ट्र का प्राण है । राष्ट्र को धर्म का अधिष्ठान हो, राजा तथा प्रजा दोनों धर्मपालक हों, तभी राष्ट्र सभी संकटों से मुक्त और सुखी बनता है !

Udhayanidhi Stalin : (और इनकी सुनिए….) ’मस्‍जिद गिराकर मंदिर बनाना स्‍वीकार नहीं है !’ – उदयनिधि स्‍टालिन

मंदिर तोड़कर मस्‍जिद बनाना, क्‍या उदयनिधि को यह सही लगता है ? उन्‍हें बताना चाहिए ! अगर उन्‍हें सही नहीं लगता है तो क्‍या वे देश के उन साढ़े तीन लाख मंदिरों को खाली करने के लिए कहेंगे जहां मस्‍जिदें बनायी गईं ?

सनातन धर्म में मानवता के सामने की सभी समस्याओं के समाधान की क्षमता ! – रमेश बैस, राज्यपाल

सनातन धर्म के अमेरिका स्थित अध्येता आनंद मैथ्यूज द्वारा लिखित पुस्तक ‘इन क्वेस्ट ऑफ गुरु’ का मुंबई में लोकार्पण !

केवल धर्म की पुनर्स्‍थापना ही विश्‍व तथा मानवता को बचा सकती है ! – माता अमृतानंदमयी देवी

माता अमृतानंदमयी देवी, जिन्‍हें पूरी दुनिया श्रद्धापूर्वक ’अम्‍मा’ कहती हैं, ने २६ नवंबर को ’विश्‍व हिन्‍दू कांग्रेस’ के अंतिम दिन सुबह के सत्र का मार्गदर्शन किया ।

सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी द्वारा नेपाल दौरे में बताए विशेषतापूर्ण मार्गदर्शक सूत्र

हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को समान ध्येय लेकर कार्य करना चाहिए । अपने भेदों को ही देखते रहे, तो हम कभी भी एकत्रित नहीं हो पाएंगे ।   

स्वबोध, मित्रबोध एवं शत्रुबोध

आज भी एक ओर विश्व को ईसामय बनाने का षड्यंत्र सर्वत्र जोर-शोर से चल रहा है, तो दूसरी ओर ‘गजवा-ए-हिन्द’ आदि विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत विश्व को इस्लाममय बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं । इस वैश्विक परिस्थिति में हिन्दू विचारक, अध्येता स्वबोध एवं शत्रुबोध इन संज्ञाओं के प्रचलन के द्वारा हिन्दू समाज में जनजागरण का अभियान चला रहे हैं