समस्त वारकरी संप्रदाय की पुणे की प्रेस कांफ्रेंस में मांग
पुणे, ३० सितंबर (वार्ता) – समाज में अंधविश्वास को दूर कर ईश्वर-भक्ति और सदाचरण की ओर ले जाने का महत्वपूर्ण कार्य वारकरी संत-महात्माओं ने किया है; लेकिन उन्हीं संतों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले नास्तिकवादी और अर्बन नक्सल समर्थकों को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ‘जादूटोना विरोधी कानून’ की सरकारी समिति में शामिल किया था। दुर्भाग्य से यह समिति आज भी सक्रिय है। इस समिति के सह-अध्यक्ष ‘अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ के श्याम मानव को झूठी लिखावट के अपराध में सजा हो चुकी है, जबकि सदस्य अविनाश पाटिल, मुक्ता दाभोलकर, माधव बावगे आदि ‘महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ के सदस्य हैं। इस संगठन ने कई भ्रष्टाचार और घोटाले किए हैं, जिसकी रिपोर्ट सहायक धर्मादाय आयुक्त, सातारा ने प्रस्तुत किया है। महाराष्ट्र अंनिस के कुछ कार्यकर्ताओं को नक्सलवादी कहकर गिरफ्तार भी किया गया था। ऐसे घोटालों में शामिल, नक्सलवाद से जुड़े और अपराधों के लिए सजा भुगतने वाले व्यक्तियों से भरी इस जादूटोना कानून की सरकारी समिति को तुरंत भंग किया जाए और वारकरी संप्रदाय के साधु-संतों को इस समिति में स्थान दिया जाए। अगर आचार संहिता लागू होने से पहले इन सभी को नहीं हटाया गया, तो ‘प्रत्येक जिले में वारकरी संप्रदाय के माध्यम से आंदोलन किया जाएगा’, यह चेतावनी समस्त वारकरी संप्रदाय के विभिन्न संगठनों ने ३० सितंबर को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
Expel Shyam Manav and Maharashtra ANS (Maharashtra Andhashraddha Nirmoolan Samiti) members from the Government's anti-superstition law committee, and dissolve the committee entirely
Demand voiced by the 'Samasth Warkari Sampraday' in a Press Conference in Pune
In reality, the… pic.twitter.com/YW3cdaRnLP
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) September 30, 2024
पुणे प्रेस क्लब में आयोजित इस प्रेस कांफ्रेंस में वारकरी संप्रदाय के ह.भ.प. दत्तात्रेय महाराज चोरघे, ह.भ.प. नामदेव महाराज वालके, स्वराज्य संघ के अध्यक्ष ह.भ.प. बाजीराव महाराज बांगर, प्रज्ञापुरी अक्कलकोट के संस्थापक श्री प्रसाद पंडित, ‘राष्ट्रीय वारकरी परिषद’ के कार्याध्यक्ष ह.भ.प. बापू महाराज रावकर, वारकरी संप्रदाय के श्री संजय शेठ थोरात और ‘राष्ट्रीय वारकरी परिषद’ के प्रवक्ता ह.भ.प. महेंद्र महाराज मस्के उपस्थित थे।
वारकरी संप्रदाय अपने आस्था स्थलों का अपमान नहीं सहन करेगा! – ह.भ.प. दत्तात्रेय महाराज चोरघे
एक तरफ मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पंढरपुर के श्री विठ्ठल की शासकीय पूजा कर आशीर्वाद लेते हैं, और दूसरी तरफ शासकीय समिति में नियुक्त किए गए श्याम मानव सामाजिक न्याय विभाग के सरकारी कार्यक्रम में ‘संत ज्ञानेश्वर ने बैल के मुख से वेद बोलवाए, यह पूरी तरह से झूठ है’, जैसे आपत्तिजनक बयान देते हैं। वारकरी संप्रदाय अपने आस्था स्थलों का अपमान कभी भी नहीं सहन करेगा।
कई तरह से घोटाले करने वाला संगठन खुद को विवेकवादी कहता है! – ह.भ.प. बापू महाराज रावकर
एफ.सी.आर.ए. कानून के अनुसार कोई भी समाचार पत्र विदेश से पैसे नहीं ले सकता। फिर भी, महाराष्ट्र अंनिस ने विदेश से लाखों रुपये एकत्र किए। पुस्तकों, समाचार पत्रों, दीपावली अंक आदि के माध्यम से लाखों रुपये की विज्ञापन राशि एकत्र की, जिसे अपने लेखा-जोखा में दिखाया तक नहीं। ऐसे कई घोटाले करने वाला यह संगठन खुद को विवेकवादी और प्रगतिशील कहता है। वास्तव में अंनिस का ट्रस्टी बोर्ड तुरंत भंग कर उस पर प्रशासक नियुक्त किया जाना चाहिए। लेकिन इन्हें सरकारी समिति में जगह दी जाती है, इस पर मुख्यमंत्री को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।
‘महाराष्ट्र अंनिस’ संगठन के कुछ सदस्य आस्थाओं के विनाशक विचार जनता पर थोप रहे हैं! – ह.भ.प. महेंद्र महाराज मस्के
इस समिति के कुछ सदस्य सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर सरकारी खर्च पर आस्थाओं का भंजन करने वाले विचार जनता पर थोप रहे हैं। इसलिए यह समिति तुरंत भंग होनी चाहिए।
संतों की आलोचना करने वाले लोग सरकार पर भी आलोचना करने में संकोच नहीं करते! – प्रसाद पंडित, संस्थापक, प्रज्ञापुरी अक्कलकोट
श्याम मानव के यूट्यूब पर २ वीडियो हैं, जिनमें उन्होंने शेगांव के श्री संत गजानन महाराज और स्वामी समर्थ पर आलोचना की है। ‘गजानन महाराज को बोलने में कठिनाई होती थी, लोगों ने उन्हें संत बना दिया, और स्वामी समर्थ झूठे थे’ जैसे बयान मानव ने दिए हैं। ऐसे लोग आज सरकार की भी आलोचना करने से नहीं हिचकिचाते। इसलिए इन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए।
कानूनी समिति में मानव को लेना अवैध है! – ह.भ.प. बाजीराव महाराज बांगर
श्याम मानव ने कहा कि ‘कुलकर्णी का १२ साल का बच्चा (संत ज्ञानेश्वर महाराज) दीवार कैसे चला सकता है, बैल के मुख से वेद कैसे बुलवा सकता है, ये सब बकवास है’, ‘कुणबी का तुकाराम (संत तुकाराम महाराज) सशरीर बैकुंठ नहीं गया, बल्कि उसकी हत्या कर दी गई!’ इस तरह के जातिवादी बयान देकर उन्होंने समस्त वारकरी की भावनाओं को आहत किया। मुंबई सार्वजनिक ट्रस्ट अधिनियम १९५० की धारा ५६ के अनुसार, किसी भी सार्वजनिक समिति या ट्रस्ट पर अपराधी व्यक्ति सदस्य नहीं रह सकता। इसलिए कानून की समिति में मानव को शामिल करना अवैध है।
‘समस्त वारकरी संप्रदाय प्रेस कांफ्रेंस’ के कुछ दृश्य
1. ह.भ.प. महेंद्र महाराज मस्के ने मांग की कि ‘महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ को अगले ४८ घंटों में भंग किया जाए।
2. ह.भ.प. बापू महाराज रावकर ने चेतावनी दी, ‘अगर समिति भंग नहीं की गई, तो हम गांव-गांव, तालुका और जिलों में जागरुकता फैलाकर बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे।’
3. प्रज्ञापुरी अक्कलकोट के संस्थापक श्री प्रसाद पंडित ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि समिति के कुछ सदस्यों के नक्सलियों से संपर्क हैं।
4. पत्रकारों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का मान्यवरों ने स्पष्ट और सटीक जवाब दिया।
संपादकीय भूमिकावास्तव में, ऐसी मांग करने की स्थिति वारकरियों को नहीं आनी चाहिए थी। सरकार को खुद ही यह कदम उठाना चाहिए ! |