क्या कभी पाकिस्तान के हिन्दुओं के प्रति अमेरिका को सहानुभूति लगी है ? – अमेरिका के हिन्दू संगठन द्वारा प्रत्युत्तर !
वॉशिंग्टन (अमेरिका) – अमेरिका के सत्ताधारी डेमोक्रैटिक पार्टी के सांसद एवं ‘हाऊस फॉरेन अफेयर्स कमेटी’ के अध्यक्ष बेन कार्डिन ने वक्तव्य देते हुए कहा, ‘विवादित नागरिकता सुधार कानून (सीएए) लागू करने के भारत सरकार के निर्णय के कारण मुझे बहुत कष्ट हुआ है । मुझे विशेषकर भारत में रहनेवाले मुसलमान समुदाय पर होनेवाले इस कानून के संभाव्य प्रभाव के विषय में चिंता हो रही है । (इस कानून में मुसलमानों के लिए घबराने जैसा कुछ भी नहीं है, यह बात अब भारत के मुसलमान ही बोलने लगे हैं, इसलिए अमेरिका को इस प्रकार के हास्यास्पद वक्तव्य नहीं देने चाहिए ! – संपादक) रमजान के पवित्र माह में उसकी कार्यवाही करने से प्रकरण अधिक उलझता है ।’ (‘पवित्र’ रमजान के समय में भी भारत के पडोसी इस्लामी देशों में हिन्दुओं पर धर्मांधों द्वारा अत्याचार होते ही हैं, क्या यह कार्डिन को दिखाई नहीं देता ? – संपादक) उन्होंने आगे कहा, ‘अमेरिका एवं भारत के गहन संबंधों के कारण धर्म का विचार किए बिना सभी लोगों के मानवीय अधिकारों की रक्षा करने के सामायिक मूल्यों पर आधारित हमारी सहायता बहुत महत्त्वपूर्ण है ।’
We are astonished at the lack of empathy by the @StateDept and @USAmbIndia in opposing India's #CAAImplemented. Instead of upholding the American values of compassion and human rights of the persecuted, they have chosen a side of political expediency pic.twitter.com/pFZGcgHlDF
— HinduPACT (@HinduPACT) March 17, 2024
१. कार्डिन के वक्तव्य पर अमेरिका के हिन्दू संगठन ‘हिन्दुपैक्ट’ के संस्थापक एवं सह-संयोजक अजय शाह ने कहा, ‘सीएए का भारत के किसी भी नागरिक पर परिणाम नहीं होता । भारत के पडोसी देशों में हिन्दू अल्पसंख्यकों से भेदभाव किया जाता है एवं उन्हें पीडित किया जाता है । अमेरिकी होने के नाते हम लोग निराश हैं कि पीड़ित लोगों के मानवीय अधिकारों के लिए समर्थन देने की अपेक्षा हमारी सरकार ने इन मानवतावादी प्रयासों का विरोध करने का चयन किया है ।
२. ‘हिन्दुपैक्ट’ की सह-संयोजक दिप्ती महाजन ने कहा, ‘पाकिस्तान के हिन्दू, सिक्ख एवं ईसाई अल्पसंख्यक समुदाय की छोटी लडकियों की दुर्दशा के प्रति सहानुभूति न होना, धक्कादायक है । ‘युनाइटेड नेशन्स ह्युमन राइट्स कमिशन’ के मतानुसार पाकिस्तान में प्रति वर्ष औसतः १० वर्ष आयु से अल्प १ सहस्र लडकियों का अपहरण किया जाता है, उनका धर्मांतरण किया जाता है एवं बलपूर्वक विवाह किया जाता है । इस हृदयविदारक अपराध में सहभागी होने के कारण पाकिस्तान सरकार का निषेध करने की अपेक्षा, विदेश मंत्रालय इन निष्पाप पीडितों की सहायता करनेवाली भारत सरकार के प्रयासों की आलोचना कर रहा है ।’
३. ‘ग्लोबल हिन्दू हेरिटेज फाऊंडेशन’ के वी.एस. नाइपॉल ने कहा, ‘सीएए कानून धर्मनिरपेक्षता, शांति एवं मानवता जहां संकट में है, ऐसे हमारे पडोसी इस्लामी देशों में अमानवता, पीडा, बलपूर्वक धर्मांतरण, हत्या, बलात्कार एवं सभी प्रकार के अत्याचारों का सामना कर रहे अल्पसंख्यकों की दुर्दशा की ओर ध्यान देता है ।’
संपादकीय भूमिकाअमेरिका एवं उसके सांसद को भारत के कानूनों के विषय में टांग नहीं अडानी चाहिए । इससे पूर्व ही भारत ने अमेरिका को यह कहा है, तब भी यदि अमेरिका की समझ में न आता हो, तो अब भारत को अमेरिका जिस भाषा में समझ सके, उस भाषा में कहना चाहिए ! |