स्त्री अथवा पुरुष, ऐसा कोई भी अहं न रखते हुए, एक-दूसरे को सम्मान देना आवश्यक !
वर्तमान में पुरुष स्त्री की ओर ‘आदिशक्ति का रूप’, इस भाव से नहीं देखते । उसके कारण वे उसके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार नहीं करते
वर्तमान में पुरुष स्त्री की ओर ‘आदिशक्ति का रूप’, इस भाव से नहीं देखते । उसके कारण वे उसके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार नहीं करते
जहां पूर्ण अंधकार होता है, वहीं प्रकाश का महत्त्व समझ में आता है । महत्त्व ज्ञात होने के उपरांत ही प्रकाश का कार्य प्रारंभ होता है, ऐसा ही ईश्वरीय कार्य के विषय में कह
सकते हैं ।
भगवान शिवसम्बन्धी अध्यात्मशास्त्रीय विवेचन , भगवान शिव : अध्यात्मशास्त्र (आरती एवं शिवचालीसा सहित)
इंदौर के दशहरा मैदान में तरुण जत्रा (फूड फेस्टिवल) का आयोजन हुआ था । इस मेले में सनातन संस्था द्वारा आध्यात्मिक एवं राष्ट्ररक्षा के विषयों पर ग्रंथों की प्रदर्शनी लगाई गई । इस ग्रंथ-प्रदर्शनी को जिज्ञासुओं का अच्छा प्रतिसाद मिला ।
‘हार्टफुलनेस’ नामक आध्यात्मिक संस्था के मार्गदर्शक दाजी (कमलेशजी पटेल) ने उद्बोधन करते हुए कहा, ‘विश्व देख रहा है कि संकुचित श्रद्धा एवं पंथ लोगों में फूट डाल रहे हैं ।
भारत स्वतंत्र होने के उपरांत शासकीय कार्यालयों में भ्रष्टाचार रुका नहीं । शासकीय कार्यालय, विद्यालयों आदि में योग एवं अध्यात्म की शिक्षा देने पर भ्रष्टाचार रोक सकेंगे । अध्यात्म भारत की शक्ति है । सरकार को इस ओर ध्यान देना आवश्यक है ।
‘‘अमेरिका साक्षरता के साथ आर्थिक, औद्योगिक, तंत्रज्ञान आदि विकास में आगे है; परंतु विकास की सर्वांगीण दृष्टि नहीं थी । इस कारण आज वहां ६० से ७० प्रतिशत लोग मानसिक रोगों से ग्रस्त हैं । अपराध, व्यसनाधीनता, बलात्कार आदि घटनाएं वहां अत्यधिक हैं ।
´टाइम्स´ ग्रुप के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक समीर जैन ने यहां बताया कि वहां पर शिक्षा केवल नौकरी-व्यवसाय के लिए दी जाती है । वे टाइम्स ग्रुप द्वारा आयोजित ७वें ‘टाइम्स लिटरेचर फेस्टिवल’ में छात्रों को संबोधित कर रहे थे ।
साधकों को साधना में भले ही प्रगति करना संभव न होता हो और स्वभावदोषों और अहं पर विजय प्राप्त करना संभव न होता हो; तब भी उन्हें बताया जाता है, ‘आप भावजागृति के लिए प्रयास कीजिए । भाव जागृत हुआ, तो साधना में उत्पन्न अनेक बाधाएं दूर होंगी और आपकी प्रगति होगी ।