सनातन संस्था द्वारा ग्रंथ-प्रदर्शनी
दिल्ली – यहां पर वनिता समाज की ओर से चैत्रोत्सव के अवसर पर हलदी-कुमकुम के कार्यक्रम में सनातन संस्था द्वारा ग्रंथ व सात्त्विक उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई । इसका लाभ अनेक महिलाओं ने लिया ।
दिल्ली – यहां पर वनिता समाज की ओर से चैत्रोत्सव के अवसर पर हलदी-कुमकुम के कार्यक्रम में सनातन संस्था द्वारा ग्रंथ व सात्त्विक उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई । इसका लाभ अनेक महिलाओं ने लिया ।
हिन्दू धर्म के साढे तीन शुभमुहूर्ताें में से वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया एक है । इसीलिए इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं । इस तिथि पर कोई भी समय शुभमुहूर्त ही होता है । इस वर्ष ३ मई २०२२ को अक्षय तृतीया हैं ।
गुडी पडवा हिन्दुओं का एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है । इस दिन से हिन्दुओं का नववर्ष का आरंभ होता है । इस दिन पृथ्वीतल पर ब्रह्माजी एवं विष्णुजी का तत्त्व बडी मात्रा में कार्यरत होता है ।
‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ और सूक्ष्म चित्रों के माध्यम से किए अध्ययन तथा सम्मिलित साधकों के व्यक्तिगत अनुभव से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय पद्धति से ब्रह्मध्वज पूजन कर नववर्षारंभ मनाना आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक है तथा पश्चिमी पद्धति से नववर्षारंभ मनाना हानिकारक है ।
श्रीराम के जन्म प्रीत्यर्थ श्रीराम नवमी मनाई जाती है । इस दिन जब पुष्य नक्षत्र पर, मध्यान्ह के समय, कर्क लग्न में सूर्यादि पांच ग्रह थे; तब अयोध्या में प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ । अनेक राममंदिरों में चैत्र शुक्ल १ से लेकर नौ दिन तक यह उत्सव चलता है ।
पंचमुखी हनुमान के पांच मुख हैं – गरुड, वराह, हयग्रीव, सिंह एवं कपिमुख । दशभुज मूर्तियोंके हाथोंमें ध्वज, खड्ग, पाश इत्यादि शस्त्र हैं । पंचमुखी देवता का अर्थ है पूर्व, पश्चिम, दक्षिण एवं उत्तर, ये चार दिशाएं एवं ऊर्ध्व दिशा, इन पांचों दिशाओं पर उनका स्वामित्व है ।
होली धर्मशास्त्रानुसार मनाएं ! होलिकोत्सव दुष्प्रवृत्ति व अमंगल विचारों को समाप्त कर, सन्मार्ग दर्शानेवाला उत्सव है । इस उत्सव का महान उद्देश्य है, अग्नि में वृक्षरूपी समिधा अर्पित कर वातावरण को शुद्ध करना । ‘आदर्श होलिकोत्सव’ इस प्रकार मनाएं ! श्री होलिका-पूजनस्थल को गोबर से लीपकर, रंगोली से सुशोभित करें । … Read more
महाशिवरात्रि के दैवी अवसर पर भगवान शिव के संदर्भ में अध्यात्मशास्त्रीय जानकारी सभी जिज्ञासुओं को हो, इसलिए सनातन संस्था द्वारा विविध उपक्रमों का आयोजन किया गया । प्रवचनों के माध्यम से महाशिवरात्रि का व्रत कैसे करें ?, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी का नामजप अधिकाधिक क्यों करें ?, शिवतत्त्व आकर्षित करनेवाली रंगोलियां बनाना, शिवजी … Read more
शिवरात्रि के दिन रात्रि के चार प्रहर चार पूजा करने का विधान है । उन्हें ‘यामपूजा’ कहते हैं । प्रत्येक यामपूजा में भगवान शिव को अभ्यंगस्नान करवाएं, अनुलेपन करें तथा धतूरा, आम एवं बेल के पत्ते चढाएं । चावल के आटे के २६ दीप जलाकर उनकी आरती उतारें । पूजा के दिन १०८ दीपों का दान दें ।
महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी की तिथि पर आता है । महाशिवरात्रि पर शिवतत्त्व सदैव की तुलना में १ सहस्र गुना कार्यरत होता है । महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की उपासना, अभिषेक, पूजा एवं जागरण करने की परंपरा है ।