परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद ईश्वर की प्राप्ति कैसे करें, यह अध्यात्मशास्त्र बताता है । इसके विपरीत ‘ईश्वर हैं ही नहीं’, ऐसा कुछ विज्ञानवादी अर्थात बुद्धिप्रमाणवादी चीख-चीखकर कहते हैं !

असम के अनेक जिलों में हिन्दू ही अल्पसंख्यक बन गए हैं ! – मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा

जिन जिलों में ‘हिन्दू बहुसंख्यक’ नहीं हैं, न्यूनतम उन जिलों में तो हिन्दुओं को ‘अल्पसंख्यक’ घोषित किया जाए । असम में ऐसे अनेक जिले हैं, जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं । उनमें भी कुछ जिलों में हिन्दुओं की संख्या ५ सहस्र से भी अल्प है और वहां मुसलमान बहुसंख्यक हैं ।

‘हलाल मांस’ एक ‘आर्थिक जिहाद’ !

हिन्दू जनजागृति समिति सहित अन्य हिन्दुत्वनिष्ठों ने भी ‘हलाल’ पद्धति के विषय में जनजागरण किया है । तभी यदि सरकार इस प्रकार की व्यापक जांच करती, तो ऐसी बातों पर लगाम लग सकती थी ! सरकार अब तो इसकी जांच कर जनता के सामने सच्चाई लाए, यही हिन्दुओं की अपेक्षा है !

भ्रष्टाचारियों को निवृत्तिवेतन किसलिए ?

शासकीय कामकाज में काम निकृष्ट हो गया, तो ठेकेदार का नाम काली सूची में डाल दिया जाता है । फिर जनता के काम न किए हों, तो क्या उन जनप्रतिनिधियों के कामों का मूल्यांकन नहीं करना चाहिए ? उनके कामों के मूल्यांकन पर ही उनका वेतन और निवृत्तिवेतन निश्चित करना चाहिए ।

कर्नाटक उच्च न्यायालय का हिजाब के विरोध में अध्ययनपूर्ण निर्णय !

कर्नाटक उच्च न्यायालय की पूर्णपीठ ने विद्यालयों और महाविद्यालयों में हिजाब बंदी का विरोध करनेवाली धर्मांधों की याचिकाएं खारिज कीं । यह महत्त्वपूर्ण बात है तथा उच्च न्यायालय का यह निर्णय दूरगामी परिणाम करनेवाला है ।

मुस्लिम लडकियों को सच में ‘हिजाब’ चाहिए क्या ?

शृंगार, नारी का प्राकृतिक कर्म है । वास्तव में, उसे नकारकर काले स्कार्फ में नारी को लपेटनेवालों की प्रवृत्ति के विरोध में नारी स्वतंत्रता अभियान होना चाहिए; परंतु यह आधुनिक नारी स्वतंत्रतावालों को कौन बताएगा ?

विविध राष्ट्रप्रमुखों का भारत भ्रमण, उनका अर्थ और उससे देश को मिलनेवाला लाभ !

जापान विविध बातों में भारत की सहायता करने का इच्छुक है । जापान आनेवाले ५ वर्षाें में भारत में ४२ मिलियन डॉलर्स का निवेश कर रहा है । आज के समय में जापान के पास अतिरिक्त पूंजी है । भारत उनका मित्र देश होने से वह हमारी सहायता कर रहा है ।

अयोध्या, काशी एवं मथुरा में मंदिरों की मुक्ति के लिए हो रही न्यायालयीन लडाई !

सर्वाेच्च न्यायालय का निर्णय काशी, मथुरा, ‘वक्फ कानून’ एवं ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ का केंद्रबिंदु है । सर्वाेच्च न्यायालय ने ११६ एवं ११७ इन सूत्रों में कहा है, ‘ऐतिहासिक दृष्टि से मंदिर होगा और उसे तोडा गया हो, तो वह मंदिर बनाने का संकल्प अभेद्य है ।’

युद्धकाल में उपयोगी और आपातकाल से बचानेवाली ये कृतियां अभी से करें !

संकट का सामना करने के लिए हमारा शरीर सक्षम होना चाहिए । वैसा होने के लिए प्रतिदिन नियमित कम से कम ३० मिनट व्यायाम करें । सूर्यनमस्कार करें, यह संपूर्ण शरीर को सक्षम बनाने के लिए सुंदर व्यायाम है । नियमित कम से कम १२ सूर्यनमस्कार करें ।

रासायनिक अथवा जैविक कृषि नहीं, अपितु प्राकृतिक कृषि अपनाइए !

मंडी में बिकनेवाली सब्जियों पर विषैले रसायनों की फुहार किए जाने से अब प्रत्येक व्यक्ति को अपने लिए आवश्यक सब्जियों की स्वयं ही उपज करना आवश्यक बन गया है । नित्य भोजन में लगनेवाली सब्जियां घर पर ही उगाई जा सकती हैं ।