श्री काशी विश्वनाथ की मंगल आरती के शुल्क में वृद्धि !
मंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणाम ! इससे ‘सरकारी विश्वस्तों की केवल मंदिर के पैसों पर ही नहीं, अपितु श्रद्धालुओं के पैसों पर भी दृष्टि गढी होती है’, ऐसा किसी को लगे तो इसमें गलत क्या है ?
मंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणाम ! इससे ‘सरकारी विश्वस्तों की केवल मंदिर के पैसों पर ही नहीं, अपितु श्रद्धालुओं के पैसों पर भी दृष्टि गढी होती है’, ऐसा किसी को लगे तो इसमें गलत क्या है ?
वैसे तो देवता के भक्तों को ही मंदिर का न्यासी होने का अधिकार दिया जाना चाहिए । अब हिन्दुओं को सरकार और न्यायालय के समक्ष यह मांग मजबूती से करना आवश्यक !
ईसाई धर्म की स्थापना २ सहस्त्र वर्षों पूर्व हुई थी, जबकि इस्लाम की स्थापना १ सहस्त्र ४०० वर्ष पूर्व हुई थी । क्योंकि सनातन धर्म पृथ्वी की उत्पत्ति से अर्थात लाखों वर्षों से अस्तित्व में है, इसी के आधार पर पू. शंकराचार्य ने ऐसा कहा होगा !
हिन्दू जनजागृति समिति एवं श्री गणपति मंदिर देवस्थान न्यास (पद्मालय, जळगांव) द्वारा मंदिरों एवं धर्मपरंपराओं की रक्षा हेतु जळगांव में २ दिवसीय ऐतिहासिक ‘महाराष्ट्र मंदिर-न्यास परिषद’ का आयोजन किया गया ।
पूरे भारत में मठ तथा मंदिर सरकारीकरण से मुक्त होने हेतु हिन्दुओं को संगठित होकर वैध मार्ग से प्रयास करना आवश्यक !
सर्वोच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा का वक्तव्य !
हिमाचल प्रदेश में ३३ मुख्य मंदिरों में १० क्विंटल सोना तथा १६० क्विंटल से अधिक चांदी है । राज्य की भाजपा सरकार द्वारा उनमें से ५० प्रतिशत की मुद्रा बना कर विक्रय करने का निर्णय लिया गया है ।
मंदिर सरकारीकरण के कारण मंदिर व्यवस्थापन के कुप्रबंधन की असंख्य घटनाएं हुई हैं। मंदिर के अर्पण व दानस्वरूप मिलने वाले धन का सदुपयोग हिन्दू धार्मिक कार्यों के लिए किया जाना चाहिए, अत: मंदिर शीघ्रातिशीघ्र भक्तों के नियंत्रण में दिया जाए ऎसी हिन्दुऒ की अपेक्षा है ।
पैसे लेकर श्रद्धालुओं को दर्शन देना अशास्त्रीय पद्धति है ! दर्शन हेतु शुल्क आंकने के लिए मंदिर कोई मनोरंजन का स्थान नहीं है ! सरकारीकरण हुए मंदिरों
को प्रशासन ‘पैसे कमाने का साधन’ के रूप में देखता है । इसीलिए यह दुःस्थिति हुई है !
‘‘जिस प्रकार अंगद ने रावण की राजसभा में स्वयं भूमि पर पैर जमाया, उसी प्रकार हिन्दुत्वनिष्ठों को धर्मकार्य करने के लिए पैर जमाकर खडे रहना चाहिए, तभी जाकर हम हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं’’, ऐसा प्रतिपादन अधिवक्ता भारत शर्मा ने किया ।