भक्तों को भगवान विष्णु को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए ! – Guruvayur Temple Board
बोर्ड रसायन मुक्त तुलसी उपलब्ध कराने का प्रयास क्यों नहीं कर रहा है ? केवल रसायनों के नाम पर ऐसा विरोध करना अयोग्य होगा। हिन्दुओं को इसका वैध रूप से विरोध करना चाहिए !
बोर्ड रसायन मुक्त तुलसी उपलब्ध कराने का प्रयास क्यों नहीं कर रहा है ? केवल रसायनों के नाम पर ऐसा विरोध करना अयोग्य होगा। हिन्दुओं को इसका वैध रूप से विरोध करना चाहिए !
विनम्रता के नाम पर अन्याय सहना सहनशीलता नहीं है।
जबकि केंद्र और देश के कई राज्यों में भाजपा की सरकार है , सबसे पहले इन राज्यों में हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर भक्तों को सौंप दिया जाना चाहिए । हिन्दुओं को लगता है कि हिन्दुओं को इसकी मांग नहीं करनी चाहिए !
मंदिर के पुरोहितों का धर्म केवल लोगों को तिलक लगाने तक ही मर्यादित नहीं है । हिन्दुओं को धर्म की शिक्षा देना भी उनसे अपेक्षित है । उससे हिन्दुओं का धर्माभिमान बढकर उनका मनोबल बढेगा औेर सभी संगठित होंगे ।
गर्भगृह का ग्रेनाइट पत्थर निकालकर मूल स्वरूप देने के लिए श्री विट्ठल के पदस्पर्श दर्शन बंद किए गए थे; लेकिन पिछले ४५ दिनों में केवल ग्रेनाइट ही निकाला है । गर्भगृह के काम को प्रधानता नहीं दी गई है ।
ये सभी प्रथा-परंपराओं का पालन करते समय पारंपरिक वाद्य बजाए जाते हैं । विधि के लिए भक्त धूमधाम से देवी के मंदिर में आते हैं । प्रतिबंधित करने से यह परंपरा बंद हो जाने का भय है ।
भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा श्री महालक्ष्मीदेवी की मूर्ति का संवर्धन किया जाएगा । इसके कारण यदि मूर्ति को क्षति पहुंचती है, तो उसका सटीक दायित्व निश्चित किया जाए, ऐसी मांग महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से कोल्हापुर के जिलाधिकारी के पास निवेदन द्वारा की गई है ।
‘मुस्लिमों का लाभ एवं हिन्दुओं के लिए कानून’ इस प्रकार धार्मिक पक्षपाती कानून तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बनाए थे । केंद्र की मोदी सरकार को ये कानून रद्द करने चाहिए, ऐसी मांग इस समय की गई ।
‘मंदिरों का सरकारीकरण, व्यवस्थापन के लिए न होकर ‘भ्रष्टाचार के लिए और एक आय के साधन’ से अलग कुछ नहीं, उन मंदिरों की यही दुःस्थिति है ।
प्रसाद के लिए किए गए लड्डुओं की गुणवत्ता नहीं रहीं, इस बात का कार्यकारी अधिकारी राजेंद्र शेळके ने पत्रकारवार्ता में स्वीकार किया ।