‘गूगल’ ने ऐन दिवाली में ‘प्ले स्टोर’ से सनातन संस्था के ५ ऐप्स हटाएं !

सनातन संस्था किसी भी अपराध में सहभागी नहीं है, ऐसा भारतीय न्यायालयों के निर्णयों से समय-समय पर स्पष्ट किया जाने के पश्चात भी गूगल ऐसा किस आधारपर कह रहा है ?, यह उसे स्पष्ट करना चाहिए !

ईसाई धर्म प्राचीन है, ऐसा झूठा प्रचार कर ईसाइयों द्वारा भारत में धर्मांतरण ! – एस्थर धनराज, परामर्शदाता, भारतीय स्वाभिमान समिति, तेलंगाना

हिन्दू इसका अध्ययन करेंगे, तब ही वे ईसाई धर्मप्रचारकों का प्रतिवाद कर पाएंगे, ऐसा वक्तव्य तेलंगाना के भारतीय स्वाभिमान समिति के परामर्शदाता एस्थर धनराज ने वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के छठवें दिन के सत्र में किया ।

अगले अधिवेशन से पूर्व १ सहस्र गांवों में हनुमान चालीसा आरंभ करेंगे ! – श्री. कमलेश कटारिया, अध्यक्ष, संकल्प हिन्दू राष्ट्र अभियान, संभाजीनगर

हिन्दू धर्म पर सभी आघातों पर ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ ही एकमेव उपाय है । ‘जागरूक एवं संगठित हिन्दू ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना कर सकेंगे, ऐसा वक्तव्य संभाजीनगर के संकल्प हिन्दू राष्ट्र अभियान के अध्यक्ष श्री. कमलेश कटारिया ने किया ।

‘संगम टॉक्स’ के माध्यम से हम हिन्दू धर्म पर हो रहे आघातों को समाज के सामने ला रहे हैं ! – श्रीमती तान्या मनचंदा, संपादक, संगम टॉक्स

हमारी पीढी को विशेषरूप से शहरी पीढी को धर्मशिक्षा नहीं दी गई, यह हमारा दुर्भाग्य है; परंतु यू-ट्यूब वाहिनी (चैनल) ‘संगम टॉक्स’ के माध्यम से हम युवकों के लिए हिन्दुत्व के विषय में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं । हम इस माध्यम से युवकों को हिन्दू धर्मकार्य की ओर आकर्षित कर रहे हैं ।

धर्मांतरण रोककर सनातन धर्म की रक्षा करेंगे, यह प्रतिज्ञा लें ! – पू. चित्तरंजन स्वामी महाराज, शांती काली आश्रम, अमरपुर, त्रिपुरा

मठों-मंदिरों में अनेक साधु-संत हैं; परंतु वहां आनेवाले हिन्दुओं को धर्म की शिक्षा नहीं दी जाती । उसके कारण धर्मांतरण की समस्या और अधिक फैल गई है । हिन्दू धर्म बच गया, तभी जाकर मठ-मंदिर टिके रहेंगे; इसलिए पहले हिन्दू धर्म को बचाने का प्रयास कीजिए ।

मंदिर धर्मशिक्षा के केंद्र बनें ! – सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी, धर्मप्रचारक संत, हिन्दू जनजागृति समिति

‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के दूसरे दिन (१७.६.२०२३ को) के द्वितीय सत्र में ‘मंदिरों का सुप्रबंधन’ विषय पर विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया, उसे संबोधित करते हुए सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी ऐसा बोल रहे थे ।