राजनीति में सक्रिय लोग मंदिरों के न्यासी नहीं हो सकते !

मलबार देवस्वम बोर्ड के अंतर्गत आनेवाले मंदिरों के संबंध में केरल उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय l

थिरुवनंथपुरम् (केरल) – केरल राज्य में ‘मलाबार देवस्वम बोर्ड’ के अंतर्गत आनेवाले मंदिरों के संबंध में केरल उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण निर्णय दिया है । २१ फरवरी के दिन दिए गए निर्णय में न्यायालय ने कहा कि, सक्रिय राजनीति में सहभागी लोगों को मंदिरों के ‘गैर-वंशानुगत न्यासी’ के रुप में नियुक्त नहीं किया जा सकता । ‘मलाबार देवस्वम बोर्ड’ के अंतर्गत आनेवाले पलक्कड जिले के श्री पुक्कोट्टुकलिकवु मंदिर के न्यासी के रुप में कम्युनिस्ट पार्टी के दो कार्यकर्ता और ‘डी.वाई.एफ.आई.’ इस संगठन के एक कार्यकर्ता की नियुक्ति के विरोध में प्रविष्ट याचिका पर न्यायालय ने यह निर्णय दिया ।

१. न्यायालय ने ‘डी.वाई.एफ.आई.’ यह राजनीतिक संघङ्गन नही’, इस पंकजाक्षन ने न्यासी के रूप में नियुक्त कार्यकर्ता के तर्क को गलत ङ्खहराते हुए कहा कि, इस संघङ्गन का कार्य राजनीतिक क्षेत्र से जुडा है ।

२. दूसरी ओर अशोक कुमार कम्युनिस्ट पार्टी के स्थानीय समिती के सचिव थे, तो रतीश पार्टी की एक शाखा के सचिव थे । दोनो न्यासी के रुप में नियुक्त होते समय किसी भी पद पर कार्यरत नही थे, तो भी पार्टी के क्रियाशील कार्यकर्ता थे । इस कारण उन्हे न्यासी पद पर नियुक्त करना अयोग्य है, ऐसा न्यायालय ने बताया ।

संपादकीय भूमिका

वैसे तो देवता के भक्तों को ही मंदिर का न्यासी होने का अधिकार दिया जाना चाहिए । अब हिन्दुओं को सरकार और न्यायालय के समक्ष यह मांग मजबूती से करना आवश्यक !