सरकार किसी की भी परंपरा में हस्तक्षेप करने का प्रयास न करे !

देश के हिन्दुओं की अपेक्षा है कि देश के मंदिरों का सरकारीकरण रोक कर सभी मंदिर सरकारीकरण मुक्त करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार को कानून बनाना चाहिए !

लव जिहाद विरोधी कानून के अंतर्गत मध्य प्रदेश में पहला दंड  !

देशभर में फैले एवं हिन्दुओं को समाप्त करनेवाले लव जिहाद पर परिणामकारक रोक लगाने के लिए २० वर्ष के दंड की अपेक्षा फांसी पर लटकाने का दंड ही आवश्यक है, ऐसा ही हिन्दुओं को लगता है  !

पलानी मुरुगन मंदिर में ‘अहिन्दुओं को प्रवेश नहीं’, ऐसा फलक पुन: लगाएं !

मद्रास उच्च न्यायालय के मदुराई खंडपीठ के न्यायमूर्ति एस्. श्रीमथी ने पलानी मंदिर भक्ति संगठन के संयोजक डी. सेंथिलकुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया ।

कर्नाटक में चिकमंगलुरु के देवीरम्मा मंदिर में वस्त्रसंहिता लागू !

इसका आदर्श कर्नाटक के अन्य मंदिरों को भी लेना चाहिए !

झारखंड में धर्म परिवर्तन किए हुए २० हिन्दुओं का हिन्दू धर्म में पुनः प्रवेश !

हिन्दुओं का धर्मांतरण रोकने के लिए उन्हें धर्म शिक्षा देना, यही प्रभावी उपाय है, यह जान लीजिए !

ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने के लिए न्यायालय की अनुमति !

यहां के ज्ञानवापी के प्रकरण में जिला न्यायालय ने पुरातत्व विभाग को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दी है । आगामी ४ अगस्त तक वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर उसका ब्योरा प्रस्तुत करने का आदेश भी न्यायालय ने दिया है ।

राजस्थान के प्राचीन मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू !

मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए वस्त्रसंहिता लागू करनेवाले मंदिरों के व्यवस्थापन का अभिनंदन !

जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध कालीमाता मंदिर में वस्त्र संहिता लागू : स्कर्ट अथवा जींस पहनने पर प्रतिबंध !

मंदिर की पवित्रता बनाए रखने से वहां चैतन्य टिकता है और उसका भक्तों को आध्यात्मिक स्तर पर लाभ होता है । यह समझकर मंदिर में वस्त्र संहिता लागू करने वाला कालीमाता मंदिर व्यवस्थापन अभिनंदन का पात्र है !

दुर्ग (छत्तीसगड) के ढीमर पारा स्थित हनुमान मंदिर में प्रत्येक मंगलवार को होगा हनुमान चालीसा का पाठ !

भारतीय युवा वाहिनी के नेतृत्व में ढीमर पारा स्थित हनुमान मंदिर में नियमित हनुमान चालीसा का पाठ एवं हनुमान जी की आरती करना आरंभ किया है ।

उदयपुर के ऐतिहासिक और सबसे बडे मंदिर में वस्त्र संहिता लागू !

देश के प्रत्येक मंदिर द्वारा अलग अलग ऐसा करने के स्थान पर राष्ट्रीय स्तर पर सभी मंदिरों के विश्वस्तों एवं मंदिर व्यवस्थापन समितियों द्वारा ऐसा निर्णय लिया जाना चाहिए ! इसके लिए मंदिरों का एक राष्ट्रव्यापी संघ स्थापित करने की आवश्यकता है !