कांग्रेस ने किया विरोध, श्रद्धालुओं में भी अप्रसन्नता !
(‘मोहनथाल’ अर्थात बेसन से बनी बर्फी)
कर्णावती (गुजरात) – ५१ शक्तिपीठों में एक गुजरात में बनासकांठा जिले के अंबाजीमाता मंदिर में ‘मोहनथाल’ प्रसाद का वितरण बंद करने से विवाद आरंभ हो गया है । नागरिक इस विषय में अपसन्नता व्यक्त कर रहे हैं । कांग्रेस ने मोहनथाल पुन: आरंभ करने की मांग की है एवं भाजपा का इसे आंतरिक समर्थन है । अब इस मंदिर में प्रसाद के रूपमें चिक्की दी जा रही है । जनपदाधिकारी के आदेश से मोहनथाल बंद कर चिक्की प्रसाद के रूप में वितरित की जा रही है । (मंदिर में अनेक वर्षों से कुछ प्रथा-परंपराएं चलती रहती हैं । मंदिर में दिया जानेवाला प्रसाद उसी का भाग है । इस विषय में धर्माधिकारियों से विचार किए बिना परस्पर परिवर्तन करनेवाले जनपदाधिकारी ने क्या कभी मस्जिद की परंपराओं में परिवर्तन करने का साहस दिखाया होता ? – संपादक)
Gujarat: Shaktipeeth Ambaji temple prasad changed from ‘mohanthal’ to ‘chikki’, devotees protest, give ultimatum of 48 hourshttps://t.co/CuSdpgnhZv
— OpIndia.com (@OpIndia_com) March 5, 2023
१. भाजपा के गुजरात राज्य के माध्यम समन्वयक डॉ. यग्नेश दवे ने ट्वीट कर कहा कि एक ब्राह्मण होने से मेरा व्यक्तिगत विचार है कि मोहनथाल प्रसाद के रूप में चालू ही रखना चाहिए ।
२. मोहनथाल प्रसाद विधवा एवं निराश्रित महिलाएं बनाती थीं । ‘मोहनथाल बंद करने से उनकी जीविका का भी साधन चला गया है । ऐसा कहा जा रहा है ।
३. कांग्रेस तथा ब्रह्म समाज के नेता हेमांग रावल ने आरोप लगाया कि गत २ वर्षों में मोहनथाल का मूल्य बढता जा रहा था । पूर्व में १० रुपए में मिलनेवाली मोहनथाल १२, १५, १८ तथा अंत में २५ रुपए में मिलने लगी तथा कुछ समय पश्चात वह बंद ही कर दी गई ।
संपादकीय भूमिकामंदिरों का सरकारीकरण होने पर इससे भिन्न क्या होगा ? गत ६० वर्ष से अधिक काल तक ‘मोहनथाल’ प्रसाद के रूप में देते समय अकस्मात उसे बंद करना मुगलाई ही है ! हिन्दुओं के मंदिर भक्तों के नियंत्रण में देने के लिए हिन्दू राष्ट्र के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं ! |