वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के दूसरे दिन ‘मंदिर मुक्ति अभियान’ के सत्र में मान्यवरों ने दिए भाषण

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव – द्वितीय दिन : ‘मंदिर मुक्ती अभियान’ सत्र

मंदिर मुक्ती अभियान
बाएं से श्री. अनुप जयस्वाल, डॉ. एन्. रमेश हासन, अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, श्री. कृष्णा देवराय और सूत्रसंचालन मैं श्री. कार्तिक साळुंखे

मंदिरों के संदर्भ में कानून में सुधार करना आवश्यक ! – अनूप जयस्वाल, सचिव, देवस्थान सेवा समिति, विदर्भ, महाराष्ट्र

अनूप जयस्वाल, सचिव, देवस्थान सेवा समिति, विदर्भ, महाराष्ट्र

१२ वर्षों पूर्व विदर्भ स्तर पर ‘देवस्थान समिति’ की स्थापना की थी । उस माध्यम से हम विदर्भ के मंदिरों की समस्या सुलझाने का प्रयत्न कर रहे हैं । मंदिरों की व्यवस्था सुचारू रूप से चले, इसलिए दानवीर लोगाें ने मंदिरों को भूमि अर्पण की थी । मंदिरों की ऐसी सैकडों सहस्रों एकड भूमि है । कुछ अन्यों के नियंत्रण में है, तो कुछ भूमि पर अतिक्रमण हुआ है । वह भूमि अल्प व्यय (खर्च) एवं अल्प समय में मंदिरों को पुन: मिले, इसके लिए हम प्रयत्नरत हैं । कुछ स्थानों पर एकदूसरे से सांठ-गांठ होने से ‘यह भूमि पुन: मिल जाए’, इसके लिए विश्वस्त अभियोग प्रविष्ट नहीं करते । ऐसे विश्वस्तों को पदच्युत कर, उनके स्थान पर दूसरे विश्वस्तों को आसीन पर वह भूमि मंदिरों को दिलवाने के लिए प्रयत्न करते हैं । कुछ मंदिर उपेक्षित हैं । उनकी भूमि पर अधर्मियों ने अतिक्रमण किया है । इसलिए मंदिर उनके नियंत्रण में न चले जाएं, इसके लिए प्रयत्न होना आवश्यक है । विदर्भ समिति के अंतर्गत ऐसे मंदिरों की रक्षा के लिए पैसे जुटा कर उनका जीर्णोद्धार हो अथवा उनके सर्व ओर संरक्षक दीवार निर्माण कर उनका भी अधर्मियों के अतिक्रमण से सुरक्षित रहें, इसके लिए भी प्रयत्न होने आवश्यक हैं । वर्तमान में मंदिरों के संदर्भ में जो कानून हैं, उनमें सुधार होना आवश्यक है । हिन्दुओं के मंदिर केवल प्रार्थना के स्थान नहीं, अपितु वे चैतन्य के स्रोत हैं । उसका लाभ सभी हिन्दू श्रद्धालुओं को मिलना आवश्यक है । वह अधिकाधिक मिले, इसके लिए मंदिरों के प्रशासनों का प्रयत्न करना आवश्यक है ।

भारतीय जीवनपद्धति विदेशी शक्तियों के समक्ष शरणागत नहीं होगी, यह विजयनगर साम्राज्य ने संसार को दिखा दिया ! – श्री. कृष्ण देवराय, अराविडू राजवंश, आनेगुंडी नरपती संस्थानम कर्नाटक

श्री. कृष्ण देवराय, अराविडू राजवंश, आनेगुंडी नरपती संस्थानम कर्नाटक

विजयनगर साम्राज्य ने आक्रमणकारियों के विरुद्ध संघर्ष किया । इस साम्राज्य ने हिन्दुओं की धार्मिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं की रक्षा करने सहित हिन्दुओं के लिए नए धार्मिक एवं सांस्कृतिक केंद्रों की निर्मिति की । यह साम्राज्य हिन्दुओं के लिए आशा की किरण था । भारतीय जीवनपद्धति विदेशी शक्तियों के समक्ष शरणागत नहीं होगी, यह इस साम्राज्य ने संसार को दिखा दिया । भारतीय परंपरा की रक्षा करने के लिए विजयनगर राजघराने ने हिन्दुओं के प्राचीन मंदिर, मठ आदि का पुननिर्माण किया । विजयनगर साम्राज्य ने हिन्दु्ओं के मंदिरों के पुनरुज्जीवन का महान कार्य किया तथा जनता के आर्थिक विकास में महत्त्वपूणर्ण योगदान दिया । विजयनगर शहर उत्कृष्ट तंत्रज्ञान, नगरनियोजन, सिंचन, रास्ते, मंदिर एवं वास्तुशास्त्र का एक नमूना था । तत्कालीन संसार के लिए वह एक आश्‍चर्य था । इस राजघराने ने राज्य किए हुए दक्षिण भारत में आज भी हिन्दुओं के हजारों प्राचीन मंदिर और मठ हैं तथा इस क्षेत्र में हिन्दुओं की प्राचीन पूजाविधियों का जतन किया गया है ।

भारत राजकीयदृष्टि से स्वतंत्र तो हो गया, परंतु धार्मिकदृष्टि से नहीं ! – डॉ. एन्. रमेश हासन, सहकार संजीवनी हॉस्पिटल, हासन, कर्नाटक

डॉ. एन्. रमेश हासन, सहकार संजीवनी हॉस्पिटल, हासन, कर्नाटक

भारत को स्वतंत्रता केवल राजकीयदृष्टि से मिली है; धार्मिकदृष्टि से हम अब भी स्वतंत्र नहीं हुए हैं । आज भी देश में हिन्दुओं का बुद्धिभेद कर उनको भ्रमित किया जा रहा है । इस्लामी नियमों का गुणगान किया जा रहा है । कर्नाटक राज्य के हासन जिले में बेळूर के श्री चन्नकेशव मंदिर के रथोत्सव के पहले कुरान पढी जाती थी । हिन्दू मंदिरों के इस ‘सॉफ्ट टेररिजम’के विरोध में हमने आंदोलन किया और हिन्दू मंदिरों में इस अनिष्ट प्रथा को बंद किया । होशाळा साम्राज्य ने दक्षिण भारत में ३ सहस्र मंदिरों का निर्माण किया । हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए हिन्दुओं को संगठित होना चाहिए । हिन्दुओं को सामाजिक माध्यमों द्वारा हिन्दू धर्म का प्रसार करना चाहिए ।

काशी विश्वेश्वर की मुक्ति होगी, तब देश अखंड हिन्दू राष्ट्र होगा ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सर्वोच्च न्यायालय एवं प्रवक्ता, हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सर्वोच्च न्यायालय एवं प्रवक्ता, हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस

हिन्दुओं के लिए पूजनीय १२ ज्योतिर्लिंगों में से काशी विश्वेश्वर एक स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है । इस अभियोग में अपनी विजय निश्चित है । काशी विश्वेश्वर जब उनके मूलस्थान पर विराजमान होंगे, तब हिन्दुओं के लिए आध्यात्मिक उन्नति का एक बडा स्थान निर्माण होगा । १२ मई २०२३ को प्रयागराज (इलाहाबाद) उच्च न्यायालय ने मंदिर के परिसर में पाए गए शिवलिंग की शास्त्रीय परीक्षण करने की अनुमति दी । इसे अंजुमन इंतेजामिया द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में आवाहन दिया गया है । सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस विषय में जिला न्यायालय में सुनवाई करने के निर्देश दिए गए हैं । ६ जुलाई को वाराणसी जिले के न्यायालय में इसपर सुनवाई होगी । पुरातत्व विभाग द्वारा सर्वेक्षण होगा तब सत्य सामने आएगा कि औरंगजेब ने इस मस्जिद का निर्माण कैसे किया ? ‘यह सत्य उजागर न हो’, इसीलिए अंजुमन इंतेजामिया इसका विरोध कर रही है । हम ‘कार्बन डेटिंग’ परीक्षण की मांग कर रहे हैं, ऐसी मिथ्या बात फैला दी गई । वास्तव में कोई भी रासायनिक परीक्षण नहीं होगा, अपितु शास्त्रीय ढंग से परीक्षण होगा । इसमें शिवलिंग को कोई क्षति नहीं पहुंचेगी । इस परीक्षण से यह स्पष्ट होगा कि यह शिवलिंग स्वयंभू है और कितने वर्ष पुरातन है । काशी विश्वेश्वर की जब मुक्ति होगी, तब देश अखंड हिन्दू राष्ट्र होगा । हम काशी विश्वेश्वर की मुक्ति का बडा ध्येय लेकर मार्गक्रमण कर रहे हैं । इसके लिए सभी हिन्दुओं को संगठित होकर इस संपूर्ण परिसर के सर्वेक्षण की मांग पर दृढता से डटे रहना है ।

वे आगे बोले,

१. मथुरा में श्रीकृष्णजन्मभूमि को मुक्त करने के लिए हम गत १० वर्षों से जिला न्यायालय, उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय में प्रयत्नरत हैं । प्रयागराज न्यायालय ने भी यह याचिका प्रविष्ट करते हुए श्रीकृष्णजन्मभूमि संबंधी सभी अभियोगों की जानकारी न्यायालय से मांगी है । इससे विविध न्यायालय में अभियोग लडने में समय गंवाने का उनका षड्यंत्र विफल हुआ ।

२. इसीप्रकार श्रीहनुमानजी की जन्मभूमि, कर्नाटक में स्थित किष्किंधा में हनुमानजी की स्वयंभू मर्ति युक्त मंदिर का कर्नाटक सरकार ने अधिग्रहण किया है । इस मंदिर को सरकारीकरण से मुक्त करने के लिए गत ५ वर्ष से हमारी कानूनी लडाई चल रही है ।

३. इन सभी मंदिरों की मुक्ति के लिए जब तक मैं और मेरे पिताजी पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैन जीवित हैं, तब तक लडते रहेंगे ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के आध्यात्मिक बल के कारण ही संपूर्ण देश में हिन्दू राष्ट्र की मांग ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन

मैं वर्ष २०१४ में पहली बार सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के संपर्क में आया । तदुपरांत मंदिरमुक्ति की इस लडाई को सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के कारण आध्यात्मिक अधिष्ठान प्राप्त हुआ । उनके आशीर्वाद के कारण ही यह लढाई हम लढ रहे हैं । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के आध्यात्मिक बल के कारण ही हिन्दू राष्ट्र की मांग संपूर्ण देश में हो रही है । इसलिए सभी हिन्दुओं को संगठित होकर अखंड हिन्दू राष्ट्र की मांग करनी आवश्यक है ।

‘सेक्यूलैरिजम’ के नाम पर आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना में हिन्दूविरोधी गतिविधयां ! – महेश डेगला, संस्थापक अध्यक्ष, हिन्दू उपाध्याय समिति, आंध्रप्रदेश

महेश डेगला, संस्थापक अध्यक्ष, हिन्दू उपाध्याय समिति, आंध्रप्रदेश

राजा कृष्णदेवराय यदि युद्ध नहीं करते, तो संपूर्ण दक्षिण भारत बाबर के हाथ लग जाता; परंतु आज के समय में आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना की संपूर्ण व्यवस्था वामपंथियों के हाथ में जा चुकी है । इन दोनों राज्य की संपूर्ण शिक्षाव्यवस्था में नक्सली मानसिकतावाले लोक हैं । पुस्तकों की छपाई के काम में भी वामपंथी विचारोंवाले लोग हैं । आंध्रप्रदेश में ६ ठी कक्षा की पाठ्यपुस्तक में दिए गए भारत के मानचित्र में जम्मू-कश्मीर दिखाया नहीं गया है । यहां की शिक्षाव्यवस्था खोखली बन गई है । ‘हिन्दूविरोधी शक्तियों ने अभीतक अफगानिस्तान से लेकर भारततक ८ करोड हिन्दुओं की हत्या की’; परंतु इसकी जानकारी कहीं नहीं मिलती । आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना में रमजान के काल में विद्यालयों एवं सरकारी कार्यालयों को नियमित प्रार्थना के लिए १ घंटा छुट्टी दी जाती है; परंतु हिन्दू त्योहारों के काल में हिन्दू अधिकारियों को कार्यालयीन समय में छुट्टी नहीं दी जाती । इसलिए ‘विद्यालयों एवं सरकारी कार्यालयों में कार्यरत हिन्दुओं को भी प्रार्थना के लिए छुट्टी मिले’; इसके लिए पिछले ३ वर्षाें से ‘हिन्दू उपाध्याय समिति’ की ओर से सरकार के साथ निरंतर पत्राचार किया जा रहा है; परंतु अभीतक हमें कोई उत्तर नहीं मिला है । तेलंगाना एवं आंध्रप्रदेश इन राज्यों में ‘उर्दू’ भाषा दूसरे स्थान पर पहुंच गई है । यहां हिन्दुओं की हत्या होती है, तब उसका किसी को कुछ नहीं लगता । ‘सेक्यूलरिजम्’ के नाम पर आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना में हिन्दूविरोधी गतिविधियां चल रही है । इन दोनों राज्यों में चल रहीं हिन्दूविरोधी गतिविधियों को देखते हुए हिन्दुओं को समय रहते ही जागृत होना आवश्यक है । आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना इन राज्यों में ‘हिन्दू उपाध्याय समिति’ के १० सहस्र कार्यकर्ता धर्मकार्य में कार्यरत हैं ।

कोल्हापुर में स्थित श्री महालक्ष्मीदेवी की मूर्ति की अवहेलना होना मंदिर सरकारीकरण का दुष्परिणाम ! – अधिवक्ता नीलेश सांगोलकर, अधिवक्ता संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति

अधिवक्ता नीलेश सांगोलकर, अधिवक्ता संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति

वर्ष १९२० में श्री महालक्ष्मीदेवी की मूर्ति का बायां हाथ भग्न हुआ । तबसे लेकर उस हाथ को धातु की पट्टिकाओं का जोड देकर मूर्ति पर लटका दिया गया है । हिन्दू धर्मशास्त्र में पारंपरिक पद्धति से वज्रलेपन की अनुमति है; किंतु जिस पुरातत्त्व विभाग को धर्मशास्त्र का कोई ज्ञान नहीं है, उसके निर्देश पर प्रति ६ माह पश्चात मूर्ति का रासायनिक संवर्धन किया जा रहा है । वज्रलेपन करना तो किसी शरीर पर शल्यकर्म करने जैसा हातेा है । इसका अर्थ प्रति ६ माह पश्चात देवी की मूर्ति पर शल्यकर्म के समान अत्याचार किए जा रहे हैं । मूर्ति का पूजन, अभिषेक आदि कृत्यों के द्वारा मूर्ति में विद्यमान देवत्व जागृत होता है; परंतु मूर्ति का बढता हुआ क्षरण रोकने के लिए विगत २६ वर्षाें से मूल मूर्ति पर स्नान, अभिषेक एवं नित्योपचार बंद किए गए, जो अभीतक बंद हैं । पिछले अनेक वर्षों में देवी की मूर्ति का कुछ स्थानों पर क्षरण हुआ है तथा कुछ स्थानों पर वह भंग हुई है । पुजारियों के अनुचित कृत्यों के कारण मूति भंग हुई है, ऐसा आरोप न लगे; इसके लिए पुजारियों का श्रीपूजक मंडल ‘मूर्ति भंग हुई ही नहीं है’, ऐसा झूठ बोल रहे हैं । इससे आज के समय में ‘केवल कोल्हापुर ही नहीं, अपितु सर्वत्र के मंदिरों के पुजारियों को धर्मशिक्षा देने की कितनी आवश्यकता है’, यह दिखाई देता है । विभिन्न धर्माधिकारियों, राजनेताओं, पुजारियों एवं मंदिर प्रशासन इन सभी की भिन्न-भिन्न भूमिकाओं के कारण कोल्हापुर की श्री महालक्ष्मीदेवी की मूर्ति की प्रतिदिन अवहेलना हो रही है । यह सब मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण का दुष्परिणाम है, इसे ध्यान में लेकर इन मंदिरों को शीघ्रातिशीघ्र सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना ही इसका एकमात्र उपाय है ।