श्री सिद्धिविनायक मंदिर के पैसों का उपयोग करनेवाले राजनीतिज्ञों और संस्थाचालकों से पैसे वापस करने के विषय में चेतावनी दीजिए ! – डॉ. अमित थडाणी, निदेशक, निरामय चिकित्सालय, मुंबई

महाराष्ट्र की अनेक संस्थाओं को श्री सिद्धिविनायक मंदिर की ओर से लाखों रुपए मिलते हैं । इसमें सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का समावेश है । इन राजनेताओं ने मंदिरों का पैसा क्यों लिया और वे उसे कब वापस देनेवाले हैं ?, इस विषय में उन्हें पूछना आवश्यक है ।

VIDEO :‘… तो भारतीय संस्कृति के उत्तराधिकारी कौन हैं ?’, इस पर हिन्दू विचार करें ! – एम्. नागेश्वर राव, पूर्व प्रभारी महानिदेशक, सीबीआई

यह देश धर्मनिरपेक्ष होने के कारण विद्यालयों में इस प्राचीन ग्रंथों की शिक्षा नहीं दी जाती । विद्यालयों में न भगवद्गीता सिखाई जाती है और न वेदों का अध्ययन किया जाता है । हिन्दुओं की इस महान संस्कृति का प्रसार नहीं हुआ, तो हिन्दू धर्म का प्रचार कैसे होगा ? और हिन्दू धर्म का प्रसार नहीं होगा, तो भारतीय संस्कृति के उत्तराधिकारी कौन होंगे ?,

चेन्नई में ‘अयोध्या मंडपम’ धार्मिक स्थल का सरकारीकरण !

ध्यान दें, कि ऐसी सरकार कभी भी गिरजाघरों और मस्जिदों का सरकारीकरण करने का साहस नहीं करती !

कर्नाटक के मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त किया जाएगा !

कर्नाटक की भाजपा सरकार का अभिनंदनीय निर्णय ! अब देश के अन्य राज्यों को भी ऐसा निर्णय लेना चाहिए, इसके लिए हिन्दुओं को और उनके संगठनों को प्रयास करने चाहिए !

उत्तराखंड सरकार की ओर से चारधाम मंदिर व्यवस्थापन कानून रद्द !

अब केंद्र की भाजपा सरकार को देश भर के सरकारीकरण हुए मंदिर को सरकार से मुक्त करके उन्हे भक्तों के अधिकार में देना चाहिए, ऐसी हिन्दुओं की अपेक्षा है !

हिन्दुओं के मंदिरो को प्रशासन और सरकार के अधीन रहना चाहिए क्या ? – मद्रास उच्च न्यायालय का मदुराई खंडपीठ को प्रश्न

धर्मनिरपेक्ष कहलाने वाली सरकारों को मंदिरों के समान चर्च और मस्जिदों पर भी नियंत्रण रखना चाहिए !

हिन्दुओं को जागृत करने के लिए उन्हें गुरुपरंपरा के साथ जोडना आवश्यक ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे

जिसकी प्रज्ञा जागृत रहती है, वह है जागृत हिन्दू ! हिन्दुओं को जागृत करने के लिए पहले उन्हें गुरुपरंपरा के साथ जोडना चाहिए । हिन्दुओं को साधना कर स्वयं में विद्यमान दैवीय एवं आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करने की आवश्यकता है ।

(कहते हैं) ‘मंदिर यह सरकार की संपत्ति है !’

राज्य के चर्च और मस्जिदें सरकार की संपत्ति नहीं है क्या ? केवल हिन्दुओं के मंदिरों को सरकार की संपत्ति कहने वाले मुगलों के वंशज काँग्रेसियों को ध्यान में रखें और चुनाव के समय सबक सिखाएं !

उत्तराखंड सरकार द्वारा अंतत: चारधाम सहित ५१ मंदिरों का सरकारीकरण निरस्त !

अब पूरे देश में सरकारीकरण किए गए मंदिरों के विरोध में सभी पुजारी, धार्मिक संगठन और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को एकत्रित होकर आंदोलन करना चाहिए तथा देश के प्रत्येक मंदिर को सरकारीकरण से मुक्त करना चाहिए !

‘स्टैलिन’ सरकार की थोथी बातें एवं हिन्दुओं के कर्तव्य !

मद्रास उच्च न्यायालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ‘मंदिर का स्वर्ण पिघलाने संबंधी निर्णय लेने का अधिकार केवल विश्वस्तों को है ।’ इस पर राज्य सरकार ने न्यायालय को लिखित आश्वासन दिया है कि ‘विश्वस्त की नियुक्ति की जाएगी ।’