मंदिर धर्मशिक्षा के केंद्र बनें ! – सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी, धर्मप्रचारक संत, हिन्दू जनजागृति समिति

‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’में ‘मंदिर सुप्रबंधन’ विषय पर विचारगोष्ठी

विचारगोष्ठी में बोलते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंहबल,  एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति

रामनाथ देवस्थान – आज हिन्दुओं को धर्मशिक्षा न मिलने से उनका बडे स्तर पर धर्मांतरण हो रहा है, साथ ही हिन्दू लडकियां ‘लव जिहाद’ की बलि चढ रही हैं । इसलिए हिन्दुओं को धर्मशिक्षा मिलना अति आवश्यक बन गया है तथा यह कार्य मंदिरों से अधिक अच्छे ढंग से हो सकता है । उसके कारण मंदिर हिन्दुओं की धर्मशिक्षा के केंद्र बनने चाहिएं, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी ने किया ।

‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के दूसरे दिन (१७.६.२०२३ को) के द्वितीय सत्र में ‘मंदिरों का सुप्रबंधन’ विषय पर विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया, उसे संबोधित करते हुए सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी ऐसा बोल रहे थे । इस अवसर पर जयपुर (राजस्थान) के ‘ज्ञानम् फाऊंडेशन’ के संस्थापक तथा अध्यक्ष महंत दीपक गोस्वामी, नगर के श्री जगदंबा तुळजाभवानीदेवी मंदिर के प्रमुख अधिवक्ता अभिषेक भगत, रायपुर (छत्तीसगढ) के ‘मिशन सनातन’ के संस्थापक मदनमोहन उपाध्याय सम्मिलित हुए । इस सत्र का सूत्रसंचालन हिन्दू जनजागृति समिति के मध्यप्रदेश एवं राजस्थान समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने किया ।

सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी ने आगे कहा, ‘‘देवालयों में (मंदिरों में) देवताओं का वास होने से वहां सात्त्विकता अधिक होतती है । ऐसे स्थान पर प्रत्येक कृत्य का देवता को अपेक्षित आदर्श व्यवस्थापन होना अपेक्षित होता है । मंदिर के माध्यम से भगवद्सेवा, धर्महित एवं भक्तहित साध्य होना चाहिए । मंदिरों में भक्तों के लिए अन्नछत्र एवं धर्मशालाएं होनी चाहिएं । पुजारी एवं न्यासी मंदिरों के स्वामी नहीं, अपितु भगवान एवं भक्त इन दोनों को जोडनेवाले जोड होते हैं । उसके कारण उनमें सेवकभाव होना चाहिए । मंदिरों का प्रबंधन देखने के लिए बुद्धि सात्त्विक होनी चाहिए तथा उसके लिए मंदिरों के व्यवस्थापक भक्ति करनेवाले होने चाहिएं ।’’

मंदिरों में विवाद नहीं, अपितु संवाद होना चाहिए ! – अधिवक्ता अभिषेक भगत, प्रमुख, श्री जगदंबा तुळजाभवानीदेवी मंदिर, नगर

अधिवक्ता अभिषेक भगत

मंदिरों की व्यवस्था, परिसर एवं वातावरण प्रसन्न हो, जिससे वहां से सकारात्मक तरंगों का प्रक्षेपण होकर श्रद्धालुओं को उसका लाभ मिले । इसे ध्यान में लेकर मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने का हमारा प्रयास है । मंदिरों में विवाद नहीं, अपितु संवाद होना चाहिए ।

न्यासियों, पुजारियों एवं भक्तों को प्रशिक्षण मिलना चाहिए ! – मदनमोहन उपाध्याय, संस्थापक, मिशन सनातन, रायपुर, छत्तीसगढ

श्री. मदनमोहन उपाध्याय

मंदिरों के पुजारियों को उचित गौरवधन मिलना चाहिए, उसके साथ ही उन्हें उचित प्रशिक्षण मिलना भी आवश्यक है । तभी जाकर उनसे देवताओं की उचित पद्धति से सेवा हो सकती है । पुजार अच्छे हों, तो मंदिर में श्रद्धालु बडी संख्या में आएंगे । इसलिए न्यासियों, पुजारियों एवं भक्तों को प्रशिक्षण मिलना आवश्यक है ।

मंदिरों में शस्त्र एवं शास्त्र के प्रशिक्षण की सुविधा हो ! – महंत दीपक गोस्वामी, संस्थापक तथा अध्यक्ष, ज्ञानम् फाऊंडेशन, जयपुर, राजस्थान

महंत दीपक गोस्वामी

न्यासी एवं पुजारी स्वार्थ का जितना त्याग करेंगे, उतने ही मंदिरों का अच्छा संचालन होगा । हम श्रद्धालुओं को अच्छे गुणवत्तावाले प्रसाद का वितरण करना आरंभ किया, जिससे श्रद्धालुओं की संख्या बढी । इसके साथ ही पैसे लेकर ‘वीआईपी’ दर्शनपास देने की संस्कृति बंद होनी चाहिए । मंदिरों में शस्त्र एवं शास्त्र की शिक्षा की सुविधा होनी चाहिए, जिससे देश की रक्षा हो पाएगी । धर्म के बलवान होने से ही हिन्दू राष्ट्र आएगा; इसलिए सभी मंदिरों से धर्मशिक्षा दी जानी चाहिए ।