सुनो द्रौपदी, भक्त बनोगी, तब ही गोविंद बचाने आएंगे ।

देश में महिलाओं पर होनेवाले अत्याचार बढने के कारण उठो द्रौपदी शस्त्र उठालो, गोविंद अब ना आएंगे …. इस प्रकार की कविता सोशल मीडिया पर बहुत चल रही थी, तब यह कविता गुरुकृपा से सूझी  ।

सौ. सानिका सिंह

सुनो द्रौपदी, भक्त बनोगी, तब ही गोविंद बचाने आएंगे ।
शरणागत की पुकार सुनकर, त्रिलोकपति कैसे बैठे रहेंगे ।। १ ।।

अब तो सोचो कि क्यों लंका में रहकर भी मां सीता निर्मल रहीं ।
उनके धर्माचरण की शक्ति ने उनकी लंका में भी रक्षा की ।। २ ।।

धर्माचरण के पालन से आत्मबल बढता है ।
फिर कौन कुदृष्टि डाल सकेगा तुम पर, धर्मशास्त्र यह कहता है ।। ३ ।।

कलियुग के रज-तम ने इस बात को बिसरा दिया ।
आदिशक्ति की अंश हो तुम, परंतु तुम्हें दुर्बल बना दिया ।। ४ ।।

आओ करें जागृत देवी के अंश को आदिशक्ति की उपासना से ।
महिषासुर जैसे राक्षस भी थरथर कांपेंगे तुम्हारी एक गर्जना से ।। ५ ।।

करो उपासना मां भवानी की, क्यों दुर्बल बनकर डरती हो ।
दुर्गा तू है, काली तू है, क्यों इस सत्य को बिसरती हो ।। ६ ।।

करेंगे गोविंद सहायता तुम्हारी, जो तुमने धर्म का मार्ग चुना ।
‘नमे भक्तः प्रणश्यति’ है यह श्रीहरि का वचन ध्यान रखना ।। ७ ।।

शरण ही जाएं, साधना हम बढाएं ।
श्रीकृष्णजी की अखंड शक्ति का सुरक्षा कवच पाएं ।। ८ ।।

– सौ. सानिका संजय सिंह, वाराणसी आश्रम (१९.८.२०२४) ०