‘श्रीसत्शक्ति (सौ.) बिंदा नीलेश सिंगबाळ यांच्या वाढदिवसानिमित्त सुचलेले हिन्दी काव्य येथे दिले आहे.
जिनकी हर सांस में ॐ कार है, उन महातपस्विनी मां पार्वती को नमस्कार है ।
जिनके नयन प्रीती के कोषागार हैं, उन कल्याणमूर्ति महालक्ष्मी को नमस्कार है ।। १ ।।
जिनकी वाणी वेदवाणीसम ब्रह्मांडनायक से की करुण पुकार है, उन महासरस्वती को नमस्कार है ।
देह में ईश्वरी तत्त्व जैसे झरोखे से दिखता सूर्य का प्रकाश है ।। २ ।।
सर्वपितरों सहित सभी को मोक्ष प्रदान करने अवतरित हुईं मां ईश्वर का वरदान हैं ।
ऐसी महात्रिपुरसुंदरी को कोटि-कोटि नमस्कार है ।। ३ ।।
शब्द नहीं सुमन हैं ये, चरणों में आश्रय की अभिलाषा है ।
खडे द्वार तुम्हारे हे मां, आपके कृपादर्शन की ही आशा है ।। ४ ।।
– कु. निधि देशमुख, फोंडा, गोवा. (५.१०.२०२१)
येथे प्रसिद्ध करण्यात आलेल्या अनुभूती या ‘भाव तेथे देव’ या उक्तीनुसार साधकांच्या वैयक्तिक अनुभूती आहेत. त्या सरसकट सर्वांनाच येतील असे नाही. – संपादक |