मानव बुद्धि की सीमाएं
आधुनिक वैज्ञानिक बताते हैं कि मस्तिष्क (Brain) का एक छोटा भाग ही काम में आता है, शेष बहुत बडा भाग जीवन भर बेकार ही पडा रहता है । भारतीय संस्कृति इस बडे भाग का उपयोग करने के लिए बताती है ।
आधुनिक वैज्ञानिक बताते हैं कि मस्तिष्क (Brain) का एक छोटा भाग ही काम में आता है, शेष बहुत बडा भाग जीवन भर बेकार ही पडा रहता है । भारतीय संस्कृति इस बडे भाग का उपयोग करने के लिए बताती है ।
आधुनिक वैज्ञानिक बताते हैं कि मस्तिष्क (Brain) का एक छोटा भाग ही काम में आता है, शेष बहुत बडा भाग जीवन भर बेकार ही पडा रहता है । भारतीय संस्कृति इस बडे भाग का उपयोग करने बताती है ।
आधुनिक शिक्षा में केवल इसी बात का ध्यान रखा गया है कि मनुष्य की नैसर्गिक आवश्यकताएं क्या हैं, इन्हीं की पूर्ति का आधार बनाकर तदनुरूप शिक्षा का कार्यान्वयन हुआ है । शिक्षा में व्यापक दृष्टिकोण का होना अत्यंत आवश्यक है ।
आधुनिक शिक्षा प्रत्यक्ष ज्ञान और परोक्ष ज्ञान पर ही आधारित होकर अपने ज्ञान को सीमित कर लेती है । अंतःकरण की वृत्तियां भी ज्ञान का प्रतिपादक होती हैं । ज्ञान, चार प्रकार का होता है – प्रत्यक्ष परोक्ष, अपरोक्ष और साक्षात अपरोक्ष ।
दिल्ली विद्यापीठ के प्रा. राकेश कुमार पांडे के गंभीर आरोप
राजस्थान में काँग्रेस का राज्य है और काँग्रेस की अध्यक्ष एक महिला है, प्रियंका वाड्रा मुख्य सचिव हैं । उन्हे यह विधान स्वीकार है क्या ? ‘इन दोनों के कारण काँग्रेस के पुरूषों को सिर दर्द हुआ है क्या ?’, ऐसा किसी के पूछने पर आश्चर्य ना लगे !
इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय का प्रशंसनीय कार्य ! भारत की वैभवशाली संस्कृति में वेदों का अत्यंत महत्त्व है । इसलिए भारत के प्रत्येक विश्वविद्यालय को छात्रों को वेद की शिक्षा देने का निर्णय लेना आवश्यक !
राज्य की ‘शिक्षा नीति २०२०’ के अंतर्गत महाविद्यालय के पाठ्यक्रम में परिवर्तन किया गया है । कला विभाग के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को महाभारत, रामचरितमानस, योग और ध्यान के विषय में पढाया जाएगा ।
कोई मनुष्य यदि किसी को कुछ देता है या सिखाता है, तो देनेवाले या सिखलानेवाले के प्रति नमन व श्रद्धा होना एक स्वाभाविक प्रकृतिप्रदत्त प्रक्रिया है । यह नमन व श्रद्धा कितनी प्रगाढ होगी यह शिष्य और शिक्षक, दोनों के गुणों पर निर्भर करता है ।
ज्योतिषशास्त्र पूरे विश्व में पढाया जाता है । न्यायालय द्वारा ज्योतिषशास्त्र की सत्यता स्वीकारी जाने पर कौन उसका विरोध कर सकता है ? आप अपना कार्य आरंभ रखिए ।