SC On Use Of Elephants In Temples : मंदिरों में हाथियों का उपयोग करना हमारी संस्कृति का अंश ! – सर्वोच्च न्यायालय
हिन्दुओं की धार्मिक परंपराओं पर इस प्रकार प्रतिबंध न लगे; इसके लिए हिन्दू राष्ट्र की ही आवश्यकता है !
हिन्दुओं की धार्मिक परंपराओं पर इस प्रकार प्रतिबंध न लगे; इसके लिए हिन्दू राष्ट्र की ही आवश्यकता है !
भारतीय संस्कृति तथा परंपरा से सुसंबद्ध निर्णय लेनेवाले मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी का अभिनंदन ! भाजपशासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ऐसा निर्णय लेना चाहिए !
‘साक्षात ईश्वर ने सनातन हिन्दू धर्म की निर्मिति की है । उसके कारण धर्म का प्रत्येक अंग शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से १०० प्रतिशत उचित, लाभकारी तथा परिपूर्ण है ।
नास्त्रेदमस ने ऐसे समय का संकेत दिया है कि जब भारतीय संस्कृति, योग और वेदांत का विश्व स्तर पर प्रचार किया जाएगा । आज योग और ध्यान पूरे विश्व में लोकप्रिय हो गया है । इस घटना को कुछ लोग उसकी भविष्यवाणी से जोड़ कर देखते हैं ।
अब भाजपा के शासनकाल में राज्यपाल को प्रयास करके ऐसे सभी प्राचीन भारतीय ज्ञान को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कराना चाहिए !
पिछले वर्ष संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में भव्य हिन्दू मंदिर के निर्माण के उपरांत, अब स्वामीनारायण संप्रदाय दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में एक और भव्य मंदिर बनाने जा रहा है ।
प्रयागराज के महाकुंभ हेतु जिस पद्धति से भाविक पधार रहे हैं, उसपर से मुझे लगता है कि इसे ‘सनातन कुंभ’ कहना चाहिए ।
उन्होंने कहा, “महाकुंभ हमारी सनातन संस्कृति की अविरल धारा और अखंड परंपरा का प्रतीक है। यह उत्सव हमारे जीवन-दर्शन और समरसता पर आधारित परंपरा को दर्शाता है।”
इस बार प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ न केवल परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण है, अपितु अपनेआप में हर प्रकार से अद्वितीय भी है । महाकुंभ प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक धर्म, संस्कृति तथा परंपरा के साथ-साथ समाजिकता और व्यवसाय का एक बडा मंच रहा है ।
भारतीय संस्कृति इस धरती पर सबसे जटिल और रंगबिरंगी संस्कृति है । यदि आप ध्यान से देखें, तो पाएंगे कि प्रत्येक पचास से सौ किलोमीटर पर लोगों के जीने की पद्धति ही बदल जाती है । एक स्थान ऐसा है जहां इस जटिल संस्कृति को आप बहुत निकट से देख सकते हैं, वह है – कुम्भ मेला ।