Kerala Governor On BhagavadGita : केवल श्रीमद्भगवद्गीता ही मानवता का कल्याण करेगी !
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का वक्तव्य ! धर्मनिरपेक्षता के नामपर विद्यालय में श्रीमद्गवद्गीता सीखाने का विरोध करनेवालों को इस विषय में क्या कहना हैं ?
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का वक्तव्य ! धर्मनिरपेक्षता के नामपर विद्यालय में श्रीमद्गवद्गीता सीखाने का विरोध करनेवालों को इस विषय में क्या कहना हैं ?
प्राचीन भारतीय शास्त्रों के अनुसार कालचक्र के अनुसार विश्व ऊपर-नीचे होता रहता है । रज-तमोगुण की प्रबलता बढने के कारण उसका नकारात्मक प्रभाव पृथ्वी, आप, तेज, वायु एवं आकाश इन पंचमहाभूतों पर पडता है । उसके फलस्वरूप पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाएं बढती हैं ।
गत ३-४ वर्षों से अनेक लोग और संगठन ‘ओटीटी’ पर अंकुश लगाने के लिए आवाज उठा रहे हैं। तथापि सरकार की ओर से इस संबंध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। लोगों का मानना है कि सरकार को संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ समाज मन के सशक्तिकरण को भी प्राथमिकता देनी चाहिए!
डुगिन ने अखण्ड भारत पर भी टिप्पणी की है !
अनेक भारतीय उनके द्वारा बुने जानेवाले भारत विरोधी जाल में फंस जाते हैं तथा ‘हमारे देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं’, उनकी इस बात पर सहमत हो जाते हैं । वास्तव में देखा जाए, तो ‘विश्व के अनेक स्थानों की अपेक्षा भारत में महिलाएं अधिक सुरक्षित हैं’, प्रसारमाध्यमों को ऐसा बताना चाहिए ।
हिमाचल प्रदेश में श्री ज्वालादेवी का मंदिर देश के महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से तथा ५१ शक्तिपीठों में से एक है ।
सभी ज्योतिषी एकत्रित हुए, तो हमें एक-दूसरे से सीखने को मिलेगा तथा उससे संगठित भाव उत्पन्न होगा । ‘भगवान ने मनुष्य को ज्योतिषशास्त्र क्यों प्रदान किया होगा ?’, यह प्रश्न पूछकर हमें मूल विषय तक पहुंचना चाहिए’’
ऋषियों द्वारा बताई बातों के वैज्ञानिक तथ्य समझकर जीवन में उतरना आवश्यक है’’, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति श्री. आनंद जाखोटिया ने किया । वे यहां के हरिशेवा संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालय के छात्रों को संबोधित कर रहे थे ।
चांदी की पवित्र छडी जिसे ‘छडी मुबारक’ कहा जाता है। इन्हें भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। यह एक धार्मिक परंपरा है । यह चांदी की छडी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। माना जाता है कि इस छडी में भगवान शिव की अलौकिक शक्ति है।
विशालगढ में हिन्दुओं के आक्रोश के पश्चात, कुछ राजनीतिक लोगों को अल्पसंख्यकों के प्रति दया आ गयी तथा वे तुरंत उनकी सहायता के लिए गढपर चले गए। इसके विपरीत कोल्हापुर शहर में जब ‘जय श्री राम’ का उद्घोष हुआ तो वहां के हिन्दू छात्रों की सहायता के लिए कोई नहीं गया।