‘Swastik’ And ‘Hackenkreuz’ Different : हिन्दुओं के ‘स्वस्तिक’ और नाजियों के ‘हकेनक्रेज’ में अंतर!

स्वस्तिक हजारों वर्षों से अस्तित्व में है, जबकि इसका समकक्ष ‘हेकेनक्रूज़’ कुछ समय पहले का ही है । स्वस्तिक का हिन्दू धर्म में एक अद्वितीय महत्व है, भारतीयों को विदेशी नागरिकों को भी यह समझाना चाहिए !

Sindhu-Saraswati Culture In Text Book : नई पाठ्यपुस्‍तक में ‘हडप्‍पा’ के स्थान पर ‘सिंधु-सरस्‍वती संस्‍कृति’ का नामोल्लेख !

केंद्र सरकर द्वारा आर्य आक्रमण सिद्धांत किस प्रकार सफेद झूठ है, यह उदाहरण सहित बताकर सनातन हिन्दू धर्म इसी भूमि से ही सर्वत्र फैल गया, यह बात स्‍पष्‍ट करनी चाहिए !

Maha Aarti In Saras Bagh : सारसबाग, पुणे में सैकड़ों हिन्दुओं की उपस्‍थिति में संपन्न हुई शिववंदना और महाआरती !

सारसबाग में नमाज पढ़ने के विरुद्ध एकजुट हुए हिन्दू !

UP Minister Appeals To Muslims : मुसलमान दुकानदार कांवड़ यात्राकाल में दुकानों के नाम हिन्दू देवताओं के न रखें !

केवल कांवड़ यात्राकाल में नहीं, अन्य समय भी मुसलमान अपनी दुकानों के नाम हिन्दू देवताओं के न रखें, ऐसा कानून पूरे देश में लागू होना चाहिए ! 

साम्यवादियों का समकालीन हिन्दूविरोधी प्रचार !

‘हिन्दू एवं मुसलमानों का सहअस्तित्व देश के लिए विनाशकारी सिद्ध होगा’, ऐसा दूरदृष्टि से बोलनेवाले डॉ. आंबेडकर एकमात्र थे । वे कांग्रेस के नेताओं के कडे आलोचक थे ।

वैश्‍विक हिन्दू राष्‍ट्र अधिवेशन का पांचवां दिन (२८ जून) : उद़्‍बोधन सत्र – मदिंरों का सुव्‍यवस्‍थापन

सनातन धर्म के अर्थशास्‍त्र में मंदिरों का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है । सनातन धर्म में मंदिरों के अर्थकारण से शिक्षाप्रणाली चलाई जा रही है । मंदिरों की अर्थव्यवस्था पर गांवों की निर्मिति हो रही है ।

हिन्दू धर्माचरण के पीछे आध्यात्मिकता के साथ वैज्ञानिक विचार ! – श्री वीरभद्र शिवाचार्य महास्वामीजी, बालेहोन्नरू, खासा शाखा मठ, श्रीक्षेत्र सिद्धरामबेट्टा, तुमकुरू, कर्नाटक

अन्य धर्मी लोग उनके धर्म के विषय में प्रश्न नहीं पूछते;  परंतु हिन्दू धर्माचरण करने से पूर्व प्रश्न पूछते हैं; इसलिए हमें हिन्दुओं को धर्माचरण के पीछे समाहित वैज्ञानिक कारण बताने आवश्यक हैं ।

हिन्दू धर्मविरोधियों के द्वारा किए जानेवाले दुष्प्रचार के विरुद्ध आक्रामक नीति आवश्यक ! – डॉ. भास्कर राजू वी., न्यासी, धर्ममार्गम् सेवा ट्रस्ट, तेलंगाना

ईसाई तथा इस्लामी पाखंडी हैं, जबकि वामपंथी देशद्रोही हैं । इन लोगों की विचारधारा को अस्वीकार किया जाना चाहिए । हमने उनकी झूठी कथाओं को खारीज करनेवाला ‘नैरेटिव’ तैयार करना चाहिए ।

धर्मप्रसार हेतु अधिकाधिक संत बनने आवश्यक ! – बाल सुब्रह्मण्यम्, निदेशक, मंगलतीर्थ इस्टेट एवं ब्रुकफील्ड इस्टेट, चेन्नई, तमिलनाडू

वेद, पुराणों, उपनिषदों, गीता, रामायण, महाभारत आदि धर्मग्रंथों में एक शब्द का भी परिवर्तन हुए बिना वे हम तक पहुंचे हैं । यह केवल गुरु-शिष्य परंपरा के कारण संभव हुआ है; इसलिए हमें गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान करना चाहिए ।

कश्मीर में सेना की ओर से धर्मांधों द्वारा तोडे गए कुछ मंदिरों का पुनर्निर्माण किया जा रहा है ! – मेजर सरस त्रिपाठी

एक बार अटलबिहारी वाजपेयी के पास एक पाकिस्तानी अधिकारी आकर कश्मीर का मानचित्र देकर उन्हें कहने लगा, ‘आप यह टोपी निकाल कर दें’ उस समय उन्होंने कहा, ‘‘यह टोपी नहीं, अपितु हमारा मस्तक है तथा मस्तक कोई निकालकर नहीं देता ।