SC On Use Of Elephants In Temples : मंदिरों में हाथियों का उपयोग करना हमारी संस्कृति का अंश ! – सर्वोच्च न्यायालय

हिन्दुओं की धार्मिक परंपराओं पर इस प्रकार प्रतिबंध न लगे; इसके लिए हिन्दू राष्ट्र की ही आवश्यकता है !

Uttarakhand CM On Mention Of Vikram Samvat : सरकारी शिलालेख तथा राजपत्र पर हिन्दू पंचांग का उल्लेख करेंगे !  

भारतीय संस्कृति तथा परंपरा से सुसंबद्ध निर्णय लेनेवाले मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी का अभिनंदन ! भाजपशासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ऐसा निर्णय लेना चाहिए !

हिन्दुओ, धर्माचरण कर नवसंवत्सर का त्योहार सात्त्विक पद्धति से मनाकर स्वयं में धर्मतेज जागृत करेंगे !

‘साक्षात ईश्वर ने सनातन हिन्दू धर्म की निर्मिति की है । उसके कारण धर्म का प्रत्येक अंग शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से १०० प्रतिशत उचित, लाभकारी तथा परिपूर्ण है ।

Nostradamus Predictions : भारत के हिन्दू राष्ट्र बनने पर रशिया हिन्दू धर्म अपनाएगा और विश्व में उसका प्रसार भी करेगा !

नास्त्रेदमस ने ऐसे समय का संकेत दिया है कि जब भारतीय संस्कृति, योग और वेदांत का विश्व स्तर पर प्रचार किया जाएगा । आज योग और ध्यान पूरे विश्व में लोकप्रिय हो गया है । इस घटना को कुछ लोग उसकी भविष्यवाणी से जोड़ कर देखते हैं ।

Vedic Texts On GRAVITY : गुरुत्वाकर्षण के बारे में जानकारी न्यूटन से भी पहले वेदों में थी ! – राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे

अब भाजपा के शासनकाल में राज्यपाल को प्रयास करके ऐसे सभी प्राचीन भारतीय ज्ञान को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कराना चाहिए !

वर्ष २०२७ तक दक्षिण अफ्रीका में बनाया जाएगा दक्षिण गोलार्ध का सबसे बडा हिन्दू मंदिर !

पिछले वर्ष संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में भव्य हिन्दू मंदिर के निर्माण के उपरांत, अब स्वामीनारायण संप्रदाय दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में एक और भव्य मंदिर बनाने जा रहा है ।

‘Sanatan Kumbh’ : महाकुंभ की विशालता को देखते हुए उसे ‘सनातन कुंभ’ कहें !

प्रयागराज के महाकुंभ हेतु जिस पद्धति से भाविक पधार रहे हैं, उसपर से मुझे लगता है कि इसे ‘सनातन कुंभ’ कहना चाहिए ।

Amit Shah On Maha Kumbh : महाकुंभ सनातन संस्कृति का अद्वितीय प्रतीक ! – अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री

उन्होंने कहा, “महाकुंभ हमारी सनातन संस्कृति की अविरल धारा और अखंड परंपरा का प्रतीक है। यह उत्सव हमारे जीवन-दर्शन और समरसता पर आधारित परंपरा को दर्शाता है।”

यह सनातनी आस्था का ही महाकुंभ नहीं, अर्थव्यवस्था को भी देता है गति !

इस बार प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ न केवल परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण है, अपितु अपनेआप में हर प्रकार से अद्वितीय भी है । महाकुंभ प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक धर्म, संस्कृति तथा परंपरा के साथ-साथ समाजिकता और व्यवसाय का एक बडा मंच रहा है ।

महाकुम्भ मेला : क्या है इसका विज्ञान ?

भारतीय संस्कृति इस धरती पर सबसे जटिल और रंगबिरंगी संस्कृति है । यदि आप ध्यान से देखें, तो पाएंगे कि प्रत्येक पचास से सौ किलोमीटर पर लोगों के जीने की पद्धति ही बदल जाती है । एक स्थान ऐसा है जहां इस जटिल संस्कृति को आप बहुत निकट से देख सकते हैं, वह है – कुम्भ मेला ।