मोरले (तालुका दोडामार्ग) में हाथी के आक्रमण में किसान की अवसर पर ही मौत ।
सरकार और प्रशासन को आखिर कितनी जान-माल की हानि के बाद होश आएगा?
सरकार और प्रशासन को आखिर कितनी जान-माल की हानि के बाद होश आएगा?
पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल ने १० लाख रुपये जमा न करने के कारण एक गर्भवती महिला तनीषा भिसे को भर्ती नहीं किया, जिससे उसकी मौत हो गई। यह एक मात्र उदाहरण नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र में ऐसे कई धर्मार्थ अस्पतालों ने मरीजों को इलाज से इन्कार कर दिया है या अत्यधिक शुल्क वसूला है।
झारखंड में वहां के हिंदुओं द्वारा ‘झारखंड मुक्ति मोर्चा’ पार्टी को सत्ता में लाने का दुष्प्रभाव अब उन्हीं हिंदुओं को भुगतना पड़ रहा है, यह बात हिंदुओं को जब समझ में आएगी, वही शुभ दिन होगा।
न्यायालय ने पूछा, “आपने मंच पर किस तरह की सजावट की है?” क्या यह महाविद्यालय का उत्सव है? क्या आपने ऐसा करने के लिए भक्तों से पैसे लिए हैं ? क्या यह एक मंदिर उत्सव है। न्यायालय ने मंडल को फटकार लगाते हुए कहा कि मंदिर में सिनेमा के नहीं, बल्कि भक्ति गीत बजाए जाने चाहिए।
‘व्यवस्था नरबलि लेती है’, यह सत्य ही है । इस लेख में हम इसी की चर्चा करेंगे । उसका आरंभ वर्ष १९४७-४८ में हुआ । किसी देश का स्वतंत्र होना, वास्तव में कितनी आनंद की बात होती है; परंतु हमारे देश को स्वतंत्रता मिलने के समय ही धर्म के आधार पर उसके २ टुकडे किए गए । उस समय भडके दंगों में लाखों हिन्दुओं को अपने प्राण गंवाने पडे थे ।
वास्तव में, यह कार्य वर्ष २०२० में भी किया गया था। जब यह काम पूरा हुआ तो कहा गया कि ‘अगले ८ से १० साल तक उन्हें कुछ नहीं होगा।’ यदि ऐसा है, तो आपको इसे दोबारा क्यों लेप लगाना पड रहा है, जबकि इसे तो ४ साल पहले ही लेप लगाया गया था ?
क्या प्रशासन उस समय सो रहा था जब अनाधिकृत होटल और निर्माण कार्य हो रहे थे? देश में धार्मिक कट्टरपंथियों द्वारा जारी इस ‘भूमि जिहाद’ को रोकने के लिए कानून बनाने की आवश्यकता है।
सरकार को इसके लिए उत्तरदाई लोगों को कारागृह में ही डालना चाहिए, तभी कोई ऐसा अपराध करने का साहस नहीं करेगा !
ये मुसलमान संगठन मानो देश में उनका ही राज चल रहा है, इस आवेश में बोल रहे हैं । ऐसे कानून विरोधी संगठन पर प्रतिबंध लगाकर उसके सभी पदाधिकारियों को कारागृह में बंद कर देना चाहिए !
अभिजात (उच्च) भाषा होने के बावजूद मराठी की यह दुर्दशा दुर्भाग्यपूर्ण है !