अमेरिकी विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों को रंग के आधार पर प्रवेश नहीं दिया जाएगा !

  • अमेरिकी उच्चतम न्यायालय का निर्णय ।

  • राष्ट्रपति जो बायडेन और शिक्षा मंत्रालय ने किया निर्णय का विरोध !

वॉशिंगटन (अमेरिका) – अमेरिका के उच्चतम न्यायालय ने यहां के विश्वविद्यालयों में प्रवेश संबंधी एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है । न्यायालय ने कहा कि, आगे से विश्वविद्यालयों में वर्ण पर (व्यक्ति के रंग पर) आधारित प्रवेश नहीं दिया जाएगा ! इस निर्णय को ‘ऐतिहासिक’ कहा जा रहा है और इसके पूर्व वर्ष १९६० के दशक में विश्वविद्यालयों में प्रवेश लिए विद्यार्थियों में विविधता आने के लिए वर्ण पर आधारित प्रवेश देना आरंभ किया गया था । पिछले ६० वर्ष यही कारण बताते हुए इस नियम का संरक्षण किया जा रहा था । लेकिन अब हावर्ड और नार्थ कैरोलिना इन विश्वविद्यालयों से संबंधित दो याचिकाओं पर निर्णय देते समय न्यायालय ने यह नियम रद्द किया है ।

अमेरिकी राष्ट्रपति का विरोध ,

अनेक लोगों ने इस निर्णय का स्वागत किया होगा, तो भी अनेक लोग इसका विरोध कर रहे हैं । अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन ने कहा कि हम इस निर्णय को अंतिम निर्णय नहीं होने देंगे । अमेरिका में अभी भी भेदभाव है । निर्णय देने वाले ९ न्यायमूर्तियों की खंडपीठ में से ६ न्यायमूर्ति रूढिवादी, तो ३ न्यायमूर्ति उदारवादी विचारधारा के हैं ।

न्यायालय के सामने किया गया युक्तिवाद !

न्यायाधीशों ने ‘स्टूडेंट फाॅर फेयर एडमिशन’ नामक संगठन का सर्मथन किया । संगठन ने युक्तिवाद किया था कि वर्ण पर आधारित प्रवेश प्रक्रिया यह ‘प्रवेश नीति १९६४’ के नागरिक अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करती है । मुख्य न्यायाधीश जाॅन रॉबर्ट्स ने कहा कि, अनेक विश्वविद्यालयों में बहुत लंबे समय से ‘व्यक्ति की पहचान ही उसके सामने की चुनौतियां, कुशलता और अध्ययन पर आधारित न होकर उसके रंग पर आधारित है’, यह गलत निष्कर्ष निकाला गया है ।

संपादकीय भूमिका 

अमेरिका में वर्ण द्वेेष के प्रकरण सामने आ रहे हैं । यहां के विश्वविद्यालयों में भी वर्णद्वेषी मामले होते रहते हैं । अमेरिका को भारत सहित अन्य देशों के आंतरिक मामलों में नाक घुसेडने की अपेक्षा अपने देश की समस्या हल करने का प्रयास करना चाहिए ! इसी में इस देश का भला होगा !