सनातन की ग्रंथमाला : ‘आगामी आपातकाल की संजीवनी’
रक्तस्राव, घाव, अस्थिभंग आदि का प्राथमिक उपचार कैसे करें ये जानने हेतु अवश्य खरीदे ग्रंथ “प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण (३ भाग)”
पू. बालकदासजी महाराज के करकमलों से छत्तीसगढ के राजीम कुंभपर्व में सनातन संस्था की ग्रंथ-प्रदर्शनी का उद्घाटन !
माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक होनेवाले इस कुंभ मेले के स्थल पर सनातन संस्था की ओर से ग्रंथ, सात्त्विक उत्पाद और धर्मशिक्षा के फलक का प्रदर्शन किया गया ।
उत्तर भारत में महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर सनातन संस्था द्वारा प्रवचन तथा ग्रंथ-प्रदर्शनी का आयोजन
प्रदर्शनी पर आए अनेक जिज्ञासुओं ने सनातन संस्था द्वारा आयोजित सत्संग में जुडने हेतु अपनी रुचि दिखाई ।
आपातकाल से पूर्व ग्रंथों के माध्यम से धर्मप्रसार कर, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ग्रंथ-निर्मिति के कार्य की सेवा में सम्मिलित हों !
भीषण आपातकाल का आरंभ होने से पूर्व ही सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ग्रंथ-निर्मिति के कार्य में सम्मिलित होकर शीघ्र ईश्वरीय कृपा के पात्र बनें !
सनातन की ग्रंथ-प्रदर्शनी स्थल पर सद्गुरुद्वयी के दर्शन कर आनंदित हुए साधक !
कुम्भ क्षेत्र में अध्यात्म का प्रसार हो, हिन्दुओं को धर्मशिक्षा मिले तथा हिन्दुओं में हिन्दू राष्ट्र के विषय में जागृति हो, इन उद्देश्यों से ‘सनातन संस्था वाराणसी’ एवं ‘सनातन संस्था गोवा’, इन संस्थाओं की ओर से भव्य ग्रंथ एवं फलक प्रदर्शनी लगाई गई है । सद्गुरुद्वयी ने २२ जनवरी को इस प्रदर्शनी का अवलोकन किया ।
सनातन की ग्रंथमाला : देवी-देवताओं की उपासना
भगवान शिवसम्बन्धी अध्यात्मशास्त्रीय विवेचन , भगवान शिव : अध्यात्मशास्त्र (आरती एवं शिवचालीसा सहित)
सनातन संस्था द्वारा इंदौर (मध्य प्रदेश) में ग्रंथ-प्रदर्शनी का आयोजन
इंदौर के दशहरा मैदान में तरुण जत्रा (फूड फेस्टिवल) का आयोजन हुआ था । इस मेले में सनातन संस्था द्वारा आध्यात्मिक एवं राष्ट्ररक्षा के विषयों पर ग्रंथों की प्रदर्शनी लगाई गई । इस ग्रंथ-प्रदर्शनी को जिज्ञासुओं का अच्छा प्रतिसाद मिला ।
Prayagraj Kumbh Parva 2025 : कुंभमेले में १४ दिनों में सनातन ग्रंथप्रदर्शनी पर २५ सहस्र से भी अधिक जिज्ञासुओं आए !
ग्रंथप्रदर्शन देखकर जिज्ञासु इतने प्रभावित हो रहे हैं कि कुछ तो अपनी मातृभाषा के ग्रंथों के पूरे संच की मांग कर रहे हैं, तो कुछ ग्रंथ प्रदर्शन को भेट देनेवाले जिज्ञासु पुन: पुन: नए जिज्ञासुओं को लेकर ग्रंथ प्रदर्शन स्थल पर आ रहे थे ।