जिज्ञासुओं ने सनातन संस्था की ग्रंथ-प्रदर्शनी को दिया उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर

‘हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा संस्था’ की ओर से यहां के लालबाग मैदान पर २८ नवंबर से २ दिसंबर २०२४ की अवधि में सेवा सम्मेलन का आयोजन किया गया था । इस सम्मेलन में सनातन संस्था की ओर से ग्रंथ-प्रदर्शनी लगाई गई ।

हरियाणा में ‘अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव’ में सनातन संस्था का सहभाग

हरियाणा सरकार की ओर से यहां के सेक्टर १२ के एच.एस.वी.पी. कंवेंशन सभागार में ‘अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव’ का आयोजन किया गया था । इस महोत्सव में सनातन संस्था की ओर से ग्रंथ-प्रदर्शनी लगाई गई थी । अनेक जिज्ञासुओं ने इस प्रदर्शनी का लाभ उठाया ।

सनातन की ग्रंथमाला

बाढ, विश्वयुद्ध आदि आपदाओं में डॉक्टर, औषधि आदि की अनुपलब्धता की स्थिति में तथा सामान्यत: भी उपयुक्त !

विवाह के अवसर पर अन्यों को सनातन के ग्रंथ और सात्त्विक उत्पाद उपहार में दें !

विवाह समारोह में एक-दूसरे को उपहार देने की प्रथा है । सनातन ने अध्यात्मशास्त्र, साधना, नीतिशास्त्र, बालसंस्कार, राष्ट्ररक्षा, धार्मिक जागरूकता आदि विषयों पर ग्रंथों का संग्रह प्रकाशित किया है । ये ग्रंथ और लघुग्रंथ भक्तों द्वारा देने पर अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचेंगी ।

सनातन के ‘आगामी संकटकाल की संजीवनी’ शृंखला के ग्रन्थ : बिन्दुदाब उपचार

मनुष्य की देह के विशिष्ट बिंदु दबाने से (एक्यूप्रेशर) शरीर के चेतना-प्रवाह में आनेवाली बाधाएं दूर कर शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक पीडा कैसे दूर कर सकते हैं, इसका विवेचन करनेवाला एवं व्यावहारिक सूचना देनेवाला ग्रन्थ !

विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में आयोजित की जानेवाली प्रतियोगिताओं में विजेता छात्रों को पुरस्कार के रूप में सनातन के ग्रंथ एवं लघुग्रंथ दें  !

विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों एवं महाविद्यालयों के प्राचार्यों से विनम्र अनुरोध !

सनातन की ग्रंथमाला : अलंकारशास्त्र

बिन्दी की अपेक्षा कुमकुम लगाना क्यों योग्य है, नथ सदैव मोती की ही क्यों होती है, कान में एक से अधिक कर्णाभूषण क्यों न पहनें इत्यादि की सूक्ष्म स्तरीय अध्यात्मशास्त्रीय कारणमीमांसा स्पष्ट करनेवाला ग्रन्थ !

उत्तर प्रदेश तथा बिहार में नवरात्रि के पावन अवसर पर सनातन संस्था द्वारा धर्मप्रसार

शारदीय नवरात्रि निमित्त उत्तर प्रदेश के कानपुर, अयोध्या, भदोही में तथा बिहार के समस्तीपुर और गया में ६ प्रवचन हुए; जिसमें जिज्ञासुओं को देवी पूजा से संबंधित शास्त्रों की जानकारी दी गई । इसका लाभ अनेकों देवी भक्तों ने उठाया ।

आध्यात्मिक कष्टों को दूर करने हेतु उपयुक्त दृष्टिकोण

कभी-कभी कष्ट की तीव्रता बहुत बढ जाने से नामजप करते समय बार-बार ध्यान विचलित होता है तथा उसे भावपूर्ण करने का चाहे कितना भी प्रयास करें, तब भी वह भावपूर्ण नहीं हो पाता ।

आध्यात्मिक कष्टों को दूर करने हेतु उपयुक्त दृष्टिकोण

सनातन का ग्रंथ ‘आध्यात्मिक कष्टों को दूर करने हेतु उपयुक्त दृष्टिकोण’ का कुछ भाग १६ से ३० सितंबर के अंक में पढा । आज आगे के दृष्टिकोण देखेंगे ।