सनातन की ग्रंथमाला : श्राद्ध (भाग १) महत्त्व एवं अध्यात्मशास्त्रीय विवेचन

श्राद्धकर्म विधि करने से होनेवाले लाभ जानने हेतु पढें सनातन का ग्रंथ !

सनातन का लघुग्रंथ : आध्यात्मिक कष्टों को दूर करने हेतु उपयुक्त दृष्टिकोण

‘आध्यात्मिक कष्ट होना’ भले ही हमारे हाथ में न हो, तब भी ‘आध्यात्मिक उपचारों से कष्टों को नियंत्रण में रखना तथा धीरे-धीरे उन्हें मिटाना’ हमारे हाथ में होता है । ‘आध्यात्मिक उपचारों से हम कष्टों पर निश्चित ही विजय प्राप्त कर सकते हैं’, स्वयं में यह विश्वास उत्पन्न करना पडता है । प्रस्तुत लेखमाला में दिए गए अधिकतर दृष्टिकोण सभी के लिए उपयुक्त हैं ।

गणेशोत्सव के अवसर पर गांव जाते समय, साथ ही अन्य समय यात्रा करते समय यथासंभव सनातन संस्था के ग्रंथ, लघुग्रंथ आदि साथ में रखकर उनका प्रसार करें !

कुछ साधकों एवं धर्मप्रेमियों ने यात्रा करते समय साथ में सनातन के कुछ ग्रंथ एवं लघुग्रंथ रखे थे । उन्होंने आगामी त्योहारों को ध्यान में रखते हुए सहयात्रियों को ग्रंथ दिखाए एवं उनमें विद्यमान जानकारी देकर प्रसार किया । सहयात्रियों ने उत्स्फूर्त प्रतिसाद दिया ।’

रक्षाबंधन के दिन बहन को चिरंतन ज्ञानामृत से युक्त सनातन के ग्रंथ भेंट कर, साथ ही राष्ट्र-धर्म के प्रति अभिमान बढानेवाले सनातन प्रभात की पाठक बनाकर अनोखा उपहार दीजिए !

रक्षाबंधन के दिन अपनी बहन को कपडे, आभूषण आदि अशाश्वत उपहार देने के स्थान पर, उपहार के रूप में चिरंतन ज्ञान का प्रसार करनेवाले सनातन की ग्रंथसंपदा में अंतर्भूत ग्रंथ दिए जा सकते हैं । उसकी भांति ही बहन को ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक का पाठक भी बनाया जा सकता है । आज के काल के अनुसार बहन को यह उपहार देना अधिक यथार्थ सिद्ध होगा ।

सनातन का नूतन ग्रंथ

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ज्ञान के मेरु पर्वत एवं गुणों के महासागर हैं ! उनका सहज आचरण भी साधना को विविधांगी दृष्टिकोण प्रदान करता है और उससे यह समझ में आता है कि ‘उचित एवं परिपूर्ण कृति कैसे करें ?’, वे सूक्ष्म आयाम से भी साधकों को सिखाते हैं ।

सनातन की ग्रंथमाला : परमेश्वर एवं ईश्वर

परमेश्वर एवं ईश्वर की महिमा बताते हुए इस ग्रन्थ में उनकी विविध गुण-विशेषताएं, कार्य, मानव से उनका सम्बन्ध आदि के विषय में विवेचन किया गया है । उनके सन्दर्भ में साधकों को हुई अनुभूतियां पढकर उनके प्रति श्रद्धा दृढ होने में सहायता मिलेगी ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु हिन्दुओं का संगठन करें !

प्रस्तुत ग्रंथ में हिन्दू राष्ट्र की मूलभूत संकल्पना, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की दिशा, हिन्दू-संगठन हेतु उपक्रम, धर्मरक्षा हेतु आवश्यक मार्गदर्शन एवं साधना के संदर्भ में दृष्टिकोण दिए हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के साधना हेतु क्रियाशील करनेवाले अभ्यासवर्गाें की ग्रंथमाला ! (खंड ३)

प्रस्तुत खंड में परात्पर गुरु डॉक्टरजी की अभ्यासवर्गाें में सिखाने की अलौकिक पद्धति, अभ्यासवर्गाें में आनेवाले जिज्ञासुओं का सत्सेवा हेतु प्रेरित होना इत्यादि के विषय में साधकों द्वारा कृतज्ञभाव से लिखकर दिए अनेक सूत्र समाविष्ट हैं ।

सनातन की ग्रंथमाला : परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का विविधांगी कार्य एवं विचार

शीघ्र ईश्वरप्राप्ति हेतु ‘गुरुकृपायोग’ साधनामार्ग की निर्मिति; साधना, राष्ट्र-धर्म  आदि के विषय में ग्रन्थसम्पदा; आध्यात्मिक शोध; हिन्दू-संगठन; महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय इत्यादि विविधांगी कार्याें की संक्षिप्त जानकारी देनेवाला ग्रन्थ !

महर्षि एवं ‘गुरुतत्त्व’ द्वारा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित सनातन के ग्रंथों को ‘वेद’ संबोधित किया जाना

महर्षिजी का परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी संकलित सनातन के ग्रंथों को ‘ॐकार वेद’ संबोधित करना