हम ‘धर्म विजय’ में विश्वास करते हैं ! – प.पू. सरसंघचालक
हमने ‘धन विजय’ एवं ‘असुर विजय’ का अनुभव किया है । धन विजय का अर्थ है; स्थूल वस्तु से मिलने वाला आनंद किंतु उसमें हेतु योग्य नहीं ! यह आत्मकेंद्रित होने समान है ।
हमने ‘धन विजय’ एवं ‘असुर विजय’ का अनुभव किया है । धन विजय का अर्थ है; स्थूल वस्तु से मिलने वाला आनंद किंतु उसमें हेतु योग्य नहीं ! यह आत्मकेंद्रित होने समान है ।
कितनी हिन्दू अभिनेत्रियाँ सोचती हैं कि यह एक शोध का विषय हो सकता है !
छठ पूजा के कारण नहीं, अपितु कारखानों के रासायनिक पदार्थ एवंअन्य प्रदूषणकारी कचरा नदी में छोडे जाने से यमुना नदी की स्थिति अत्यंत बुरी हो गई है । इन वास्तविक कारणों पर उपाय निकालने के स्थान पर पूजा पर प्रतिबंध लगानेवाली देहली के आम आदमी पक्ष की सरकार जनताद्रोही और हिन्दूद्रोही है !
यह एक प्रशंसनीय कदम है कि केंद्र सरकार युवा पीढी की स्थिति को देखते हुए इस तरह का पाठ्यक्रम लेकर आई है । इसके साथ ही यदि युवा पीढी को साधना सिखाई जाए, तो वह स्वयं अपने जीवन की अधिकाधिक समस्याओं का समाधान करने में समर्थ होगी !
आज विदेश में भौतिक सुख भले ही मिलता है, किंतु मन की शांति नहीं, यह स्पष्ट दिखाई दे देती है । नैतिकता का भी ह्रास हुआ है । ये दोनों बातें हिन्दू धर्म में हैं । भौतिक सुविधाएं निर्मित करने में भारत को अनेक वर्ष लग सकते हैैं; किंतु साधना के माध्यम से भारत विश्वगुरु हो सकता है ।
यदि लडके-लडकियों को बचपन से ही साधना सिखाई जाए तो उनकी बुद्धि सात्विक हो जाएगी और वे अनुचित कार्य नहीं करेंगे ! शासन को इसके लिए प्रयास करना चाहिए !
हिन्दुओं को अपने धर्मग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए । धर्मग्रंथों का अध्ययन करने से हिन्दुओं का धर्मांतरण नहीं होगा
हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. गुरुराज प्रभु ने बताया कि ‘‘जिस विधि से अंतःचक्षु खुलने में सहायता होती है, वह उपनयन संस्कार है ।
श्रीक्षेत्र शनि शिंगनापुर के ‘श्री शनैश्चर’ जागृत देवस्थान पर पिछले ३-४ वर्ष से कुछ श्रद्धालु पाश्चात्त्य पद्धति से केक काट कर श्री शनिदेवता की जयंती मनाते थे ।
सायंकाल के समय झाडू न लगाएं; क्योंकि इस काल में वायुमंडल में रज-तमात्मक स्पंदनों का संचार बडी मात्रा में होता है ।