छठ पूजा (७ नवंबर)

छठ पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाई जाती है । यह चार दिवसीय त्योहार होता है, जो चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाता है । इसे कार्तिक छठ पूजा कहा जाता है ।

देवदीपावली

कुलस्वामी, कुलस्वामिनी एवं इष्टदेवता के अतिरिक्त अन्य देवताओं की पूजा भी वर्ष में किसी एक दिन करना तथा उनको भोग प्रसाद अर्पण करना आवश्यक होता है । यह इस दिन किया जाता है ।

तुलसी विवाह

तुलसी विवाह यह विधि कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक किसी भी दिन करते हैं ।

विजयादशमी

दशहरे के दिन की जानेवाली धार्मिक कृतियां, साथ ही उस विषय में उठाई गई आपत्तियों तथा उनके खंडन को भी आज हम इस लेख से जानेंगे ।

कोजागरी पूर्णिमा

कोजागरी पूर्णिमा की रात को लक्ष्मी तथा इंद्र की पूजा की जाती है । कोजागरी पूर्णिमा की कथा इस प्रकार है कि बीच रात्रि में लक्ष्मी पृथ्वी पर आकर जो जागृत है, उसे धन, अनाज तथा समृद्धि प्रदान करती है ।

नवरात्रि का शास्त्र एवं इतिहास

श्रीरामचंद्रजी के हाथों रावण का वध हो, इस उद्देश्य से नारदमुनि ने श्रीराम को नवरात्रि का व्रत करने के लिए बताया । तत्पश्चात यह व्रत पूर्ण कर श्रीराम ने लंका पर चढाई कर, रावण का वध कर दिया ।

प्रथम नमन आपको गणेशजी !

श्री गणपति में शक्ति, बुद्धि एवं संपत्ति, ये तीन सात्त्विक गुण हैं । वे भक्तों पर अनुकंपा करनेवाले हैं । श्री गणपति विद्या, बुद्धि एवं सिद्धि के देवता हैं । वे दुखहरण करनेवाले हैं; इसीलिए प्रत्येक मंगलकार्य के आरंभ में श्री गणेश की पूजा की जाती है । विद्यारंभ में तथा ग्रंथारंभ में भी श्री गणेश का स्तवन करते हैं ।

तर्पण एवं पितृतर्पण का उद्देश्य और महत्त्व !

किसी भी श्राद्धविधि में ‘तर्पण’ दिया जाता है । ‘तर्पण’ का अर्थ, उसका महत्त्व एवं प्रकार, उसका उद्देश्य, साथ ही उसे करने की पद्धति के विषय में जानकारी इस लेख में दिया है ।

श्राद्ध में भोजन कैसे परोसें ?

पितृपात्र के लिए (पितरों के पत्तल के लिए) उलटी दिशा में (घडी की सुइयों की विपरीत दिशा में) भस्म की रेखा (पिशंगी) बनाएं । श्राद्धीय ब्राह्मणों की थाली में लवण (नमक) न परोसें ।

श्राद्ध कौन करें एवं कौन न करें ?

मृत व्यक्ति के श्राद्ध कुटुंब में कौन कर सकता है एवं उसका अध्यात्मशास्त्रीय कारण इस लेख में देखेंगे । इससे यह स्पष्ट होगा कि हिन्दू धर्म एकमात्र ऐसा धर्म है जो प्रत्येक व्यक्ति का उसकी मृत्यु के उपरांत भी ध्यान रखता है ।