हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से नोएडा में होली उपक्रम संपन्न !

यह उपक्रम जिज्ञासुओं को धर्मशास्त्र के अनुसार होली मनाने के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए किया गया था ।

Shankaracharya Avimukteswarananda Saraswati : अल्पसंख्यकों को धार्मिक विद्यालय  स्थापित करने का अधिकार दिया गया, जबकि हिन्दुओं को इस सुविधा से वंचित रखा गया !

धार्मिक शिक्षा हमारे बच्चों का मौलिक अधिकार है। यदि आवश्यक हो तो संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए। धार्मिक शिक्षा हमारे जीवन का एक अनिवार्य भाग थी; किन्तु स्वतंत्रता के उपरांत  संविधान के अनुच्छेद ३० से देश में बदलाव लाया गया।

Prayagraj Kumbh Parva 2025 : मोनालिसा के साथ छायाचित्र खिंचवाने के लिए युवकों की भीड !

कुंभमेला अमृतस्नान कर पापमुक्त होना, साधु-संतों के भावपूर्ण दर्शन लेना, इसके साथ ही आध्यात्मिक लाभ के लिए है । वर्तमान में धर्मशिक्षा न होने से उनसे ऐसी अयोग्य कृति होती दिखाई दे रही है !

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु हिन्दुओं को सक्रिय करनेवाली ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के दैवी कार्य में हो रही वृद्धि !

पिछले लेख में हमने ‘कोरोना महामारी के काल में आरंभ किए गए अभिनव ‘ऑनलाइन’ उपक्रम तथा हरिद्वार के कुंभ पर्व में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का कार्य’ के विषय में पढा । इस लेख में हम उस लेख की अगली कडी दे रहे हैं ।

दत्तात्रेय अवतार

विवाह, वैवाहिक संबंध, गर्भधारण, वंशवृद्धि आदि में बाधा होना, मंदबुद्धि या विकलांग संतान होना, शारीरिक रोग, व्यसनादि समस्याएं हो सकती हैं । इन समस्याओं के समाधान हेतु कष्ट की तीव्रता के अनुसार ‘श्री गुरुदेव दत्त’ (दत्तात्रेय देवता का) जप प्रतिदिन करें । 

त्याग और चैतन्य की प्रतीक हाथ में कमंडलु लिए दत्त की त्रिमुखी मूर्ति  !

‘भगवान की निर्गुण तरंगों को स्वयं में समा लेनेवाला तथा अनिष्ट शक्तियों को दूर करने के लिए एक ही पल में पूरे त्रिलोक को एक ही मंडल में खींचने की क्षमता से युक्त जल जिस कुंड में है, वह कुंड है भगवान दत्तात्रेय के हाथ में पकडा कमंडलु ।

छठ पूजा (७ नवंबर)

छठ पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाई जाती है । यह चार दिवसीय त्योहार होता है, जो चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाता है । इसे कार्तिक छठ पूजा कहा जाता है ।

देवदीपावली

कुलस्वामी, कुलस्वामिनी एवं इष्टदेवता के अतिरिक्त अन्य देवताओं की पूजा भी वर्ष में किसी एक दिन करना तथा उनको भोग प्रसाद अर्पण करना आवश्यक होता है । यह इस दिन किया जाता है ।

तुलसी विवाह

तुलसी विवाह यह विधि कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक किसी भी दिन करते हैं ।