स्थानांतरित भारतीय !

एक देश से अन्य देश में जाकर नागरिकों का स्थायी होना कोई नई बात नहीं है । वर्षाें, सदियों तथा पिछले युगों में ऐसी घटनाएं होती रही हैं एवं आगे भी होती रहेंगी, इसे रोक नहीं सकते । इसके अनेक कारण हैं । परिवर्तन, यह प्रत्येक प्राणी के जीवन का एक भाग है । इसमें भिन्न-भिन्न परिवर्तन हैं; क्योंकि ‘परिवर्तन सृष्टि का ही एक नियम है’, ऐसा कहा जाता है । प्रत्येक व्यक्ति जीवन में समय, आवश्यकता तथा अन्य कारणों से परिवर्तन चाहता है । कुछ लोगों को परिस्थितिवश परिवर्तन करना पडता है, तो कुछ लोग आनंद के लिए परिवर्तन करते हैं । इन परिवर्तनों में एक है विस्थापन अथवा स्थानांतरण !  भारत में बंजारा समाज सदैव एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होते रहता है । द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण ने जरासंध के आक्रमण के कारण मथुरा के नागरिकों को स्थानांतरित कर द्वारका में बसाया था । जीविका, व्यवसाय, शिक्षा आदि कारणाें से कुछ लोग एक नगर से दूसरे नगर में, एक राज्य से दूसरे राज्य में अथवा एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरित होते रहते हैं । वर्तमान में प्रतिवर्ष देश के डेढ लाख नागरिक चाकरी, व्यवसाय आदि कारणों से भारत की नागरिकता छोडकर स्थायी रूप से विदेश में बसने लगे हैं, ऐसी गणना है । इसमें मध्यमवर्गीय, उच्च-मध्यमवर्गीय से लेकर साधन-संपन्न लोगाें का समावेश है । गत वर्ष भारत से ७ सहस्र करोडपति नागरिकों ने देश छोडकर अन्य देशों की नागरिकता स्वीकार की है, तो इस वर्ष साढे छह सहस्र करोडपति नागरिकों के देश छोडने की संभावना है, ऐसा कहा जाता है । गत वर्ष संसद में सरकार की ओर से प्रस्तुत किए गए कागद-पत्रों में कहा था, कि भारत छोडकर अन्य देशों की नागरिकता लेनेवाले लोग अपने ‘व्यक्तिगत कारणों से’ ऐसे निर्णय ले रहे हैं । कुछ अपवादों को छोडकर, यदि बडी संख्या में लोग प्रतिवर्ष देश छोडकर जा रहे हैं, तो इस पर सरकार एवं जनता को भी विचार करना आवश्यक है । भारत आज विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन गया है तथा आगे के कुछ वर्षों में उसे तीसरी अर्थव्यवस्था करने का सरकार का प्रयास है । पूरे विश्व में कोरोना महामारी के पश्चात मंदी की स्थिति रहते हुए भी भारत की आर्थिक स्थिति अधिक अच्छी है, इस पर भी लोग देश छोडकर जा रहे हों, तो इस पर विचार करने की आवश्यकता है । भारत के पडोस के पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति गिरी है तो भी भारत से प्रतिवर्ष ४० से अधिक लोग पाकिस्तान की नागरिकता स्वीकार कर रहे हैं । आज यदि भारत पाक के नागरिकों को नागरिकता देने की अनुमति दे, तो सहस्रों की संख्या में पाकिस्तानी भारत में आ जाएंगे, एक चित्र यह भी है । भारत की नागरिकता न छोडें, इसके लिए देश के नागरिकों को उत्तम सुविधाएं देने की आवश्यकता है । चाकरी एवं व्यवसाय के लिए अवसर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है । पिछले ७५ वर्षोंं में ऐसा न होने से आज ऐसी स्थिति है ।


भारत को विश्वगुरु बनाएं !

भारत से विदेश जानेवालों का पहला लक्ष्य अमेरिका होता है । तदनंतर कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमिरात आदि देशाें का क्रमांक आता है । इन देशों की जनसंख्या भारत की अपेक्षा अल्प होने से उन्होंने भौतिक क्षेत्र में अच्छी प्रगति की है । अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया तथा ब्रिटेन विकसित देश हैं एवं भारत विकासशील देश है । अमेरिका के बडे प्रतिष्ठानों के मुख्य पद पर भारतीय वंश के लोग हैं । ‘नासा’ अमेरिका की इस अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थानों में भी बडी मात्रा में भारतीयों का समावेश है । पुराने समय से यह कहा जा रहा है कि भारतीय गुप्त (खुफिया) जानकारी विदेशों में जा रही है । भारत अभी भी उस पर रोक नहीं लगा पाया है ।


भारतीय खगोलशास्त्रीज्ञ जयंत नार्लिकर, अमेरिका में थे परंतु वे भारत वापस आ गए, यह एक दुर्लभ उदाहरण है । भारत में दूरसंचार क्रांति करानेवाले सॅम पित्रोदा भी अमेरिका में थे परंतु कुछ समय पश्चात वे भी भारत अवपस आ गए । विदेश में स्थायी हुए हिन्दुओं से एक लाभ भी हो रहा है, वह यह कि वे विदेश में भी अपनी भारतीय संस्कृति बनाए रखते हैं । इससे विदेशी लोगों को उसकी जानकारी हो रही है । कुछ देशों की संसद का आरंभ भारतीय वेदमंत्रों से किया जा रहा है । अनेक देशाें में सरकारी स्तर पर दीपावली मनाने के साथ दीपावली की छुट्टी भी दी जा रही है । भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश जाने पर वहां भारतीयाें से मिलते हैं । इसके विपरीत आजकल कनाडा एवं भारत में वहां के खालिस्तानवादियाें के कारण विवाद चल रहा है । ये खलिस्तानवादी भारत विरोधी गतिविधियां कर रहे हैं । भारतीय दूतावासाें पर आक्रमण भी कर रहे हैं तथा हिन्दुओं के मंदिरों को लक्ष्य किया जा रहा है । भारत में खालिस्तानी कार्यवाहियां करने अथवा आपराधिक कृत्य करने के पश्चात सिक्ख युवक भागकर कनाडा में जाकर वहां से पंजाब में आपराधिक कार्यवाहियां करा रहे हैं । पंजाब से लाखों की संख्या में युवक पढने तथा चाकरी के लिए जाते हैं, तदनंतर अनेक लोग कनाडा में ही स्थायी होकर वहां की नागरिकता ले लेते हैं । इनमें कुछ लोग खालिस्तानी आतंकवादियों का समर्थन कर रहे हैं । केवल कनाडा ही नहीं, अपितु अमेरिका, ब्रिटेन तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी खलिस्तानवादी सिक्ख भारत विरोधी कार्यवाहियां कर रहे हैं । इसे भारत छोडनेवालों से हो रही एक हानि के तौर पर भी देखा जाता है ।

एक सहस्र वर्ष पूर्व पूरे विश्व से लोग भारत आकर यहां शिक्षा ग्रहण करते थे । भारत यदि पुन: यह स्थिति लाना चाहता हो, तो सर्वप्रथम जनसंख्या नियंत्रण करने के साथ आध्यात्मिक स्तर पर प्रयास करना आवश्यक है । हिन्दुओं के साधना आरंभ करने ही पर यह साध्य हो सकता है, क्योंकि आज विदेश में भौतिक सुख भले ही मिलता है, किंतु मन की शांति नहीं, यह स्पष्ट दिखाई दे देती है । नैतिकता का भी ह्रास हुआ है । ये दोनों बातें हिन्दू धर्म में हैं । इसके बल पर भारत विश्व को मार्गदर्शन कर सकता है, यह ध्यान में लेना चाहिए । भौतिक सुविधाएं निर्मित करने में भारत को अनेक वर्ष लग सकते हैैं; किंतु साधना के माध्यम से भारत विश्वगुरु हो सकता है ।

भारत से हो रहे पलायन को रोकने तथा भारत को विश्वगुरु बनने के लिए आध्यात्मिक स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है !