संपादकीय : जहां मंदिर थे, वहां मंदिर ही बनने चाहिए !

देश के हिन्दुओं एवं मुसलमानों में दूरी उत्पन्न होने के लिए कांग्रेस द्वारा मुसलमानों के तुष्टीकरण हेतु बनाया गया पूजास्थल कानून ही उत्तरदायी है !

संपादकीय : राजनीति का भगवाकरण !

राजनीति का भगवाकरण करने हेतु सच्चे संत ही राजनीति की धुरी संभालें, ऐसा हिन्दुओं को लगता है, तो उसमें अनुचित क्या है ?

संपादकीय : ‘रिक्लेमिंग भारत’ अत्यावश्यक !

आम हिंदुओं के प्रयासों के साथ-साथ हिंदू धर्म के प्रति समर्पित संगठन एकत्र आकर इन आयोजनों तक ही सीमित न रहकर, हिंदुओं की सुरक्षा के लिए एक सार्वभौमिक ‘हिंदू इकोसिस्टम’ की दिशा में निर्णायक कदम उठाएंगे !

संपादकीय : विनाशकारी संघर्ष : वास्तविकता एवं भविष्य !

परमाणु हथियारों के लालच में विश्व के अनेक राष्ट्र विनाश की खाई में गिरते जा रहे हैं, इस वास्तविकता को जानें !

विशेष संपादकीय : ‘रिक्लेमिंग भारत’ अत्यावश्यक !

 हिन्दू धर्मरक्षण के लिए हिन्दूवादी विचारकों के वैचारिक उद्बोधन को सर्वत्र हिन्दू कृति में लाएं, ऐसी अपेक्षा !

विशेष संपादकीय : निर्णायक ‘बीबीसी ट्रायल’ !

भारत के संदर्भ में झूठे कथानक फैलानेवालों के लिए वैचारिक विष (जहर) की आपूर्ति करने में ‘बीबीसी’ क्रमांक एक पर है । भारत अर्थात निर्धनों का, लाचार जनता का एवं ‘शैतानी धर्म’ (सनातन धर्म) का, इस प्रकार विकृत एवं निराधार तस्वीर उसने प्रस्तुत की है ।

संपादकीय : ‘स्वच्छ भारत’ का एक दशक पूरा !

भारत में राष्ट्र के प्रति अनुचित मानसिकता रखनेवाले लोगों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए सख्त सजा के प्रावधान आवश्यक !

संपादकीय : हिमाचल प्रदेश की भांति एकजुटता दिखाएं !

केवल अवैध हैं, इसीलिए नहीं; अपितु मस्जिदों तथा मदरसों से हिन्दुओं को जो उद्दंडता दिखाई जाती है, वह देश एवं धर्म के लिए घातक है !

संपादकीय : ‘धर्मनिरपेक्ष’ नहीं, हिन्दू बनें !

गला काटने पर हिन्दुओं के मुर्दाे को भी धर्मनिरपेक्षता संजोने का तत्त्वज्ञान देने में भी आधुनिकतावादी पीछे नहीं हटेंगे; परंतु भविष्य में हिन्दुओं को अपना अस्तित्व बनाए रखना है, तो छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बताया धर्माभिमानी बनने का मार्ग ही हिन्दुओं को अपनाना पडेगा ।

संपादकीय : वक्फ कानून रद्द करें !

वक्फ कानून के कारण इच्छित भूमि पर अधिकार जताने का दावा सीधे-सीधे ‘लैंड जिहाद’ को प्रोत्साहित करनेवाला है । लोकतंत्रवाले भारत में ऐसा कानून बन ही कैसे सकता है ? यही प्रश्न है ।