१. ‘यदि घर अस्वच्छ हो गया हो, तो नामजप भावपूर्वक करते हुए क्षात्रभाव से, किसी भी समय झाडू लगाएं । ऐसा करने से ही झाडू लगाने के कृत्य से निर्मित कष्टदायक स्पंदनों का देह पर प्रभाव नहीं होगा ।
२. कर्मबंधन के आचाररूपी नियम स्वयं पर लागू करें और उसके अनुसार दिन में ही, अर्थात रज-तमात्मक क्रिया का अवरोध करनेवाले समय में ही यह कर्म कर लें ।
३. सायंकाल झाडू न लगाना : दिन में एक बार ही झाडू लगाएं । सायंकाल के समय झाडू न लगाएं; क्योंकि इस काल में वायुमंडल में रज-तमात्मक स्पंदनों का संचार बडी मात्रा में होता है । इसलिए झाडू लगाने की रज-तमात्मक क्रिया से संबंधित इस प्रक्रिया से घर में अनिष्ट शक्तियों के प्रवेश की आशंका अधिक रहती है । दिन में वायुमंडल सत्त्वप्रधान होता है, इसलिए झाडू लगाने की रज-तमात्मक क्रिया से निर्मित कष्टदायक स्पंदनों पर यह वायुमंडल यथायोग्य अंकुश लगाए रखता है । अतः इस क्रिया से किसी को भी कष्ट नहीं होता ।
संदर्भ – सनातन का ग्रंथ ‘स्नानपूर्व आचारोंका अध्यात्मशास्त्रीय आधार’